1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 31 Dec 2025 10:29:41 AM IST
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Bihar Crime News : बिहार के दरभंगा जिले से दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां अपने इकलौते बेटे की मौत की निष्पक्ष जांच न होने से आहत एक मां ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। मृतका की पहचान मनीषा कुमारी (35) के रूप में हुई है, जो समस्तीपुर जिले के पानारत वार्ड 17 निवासी लव साह की पत्नी थीं। मनीषा फिलहाल दरभंगा के कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत भटियारीसराय स्थित अपने मायके में रह रही थीं। जहर खाने के बाद उन्हें दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (डीएमसीएच) लाया गया, जहां मेडिसिन आईसीयू में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
परिजनों के अनुसार, मनीषा के इकलौते बेटे कश्यप की करीब तीन महीने पहले एक निजी स्कूल के हॉस्टल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। बेटे की अचानक और रहस्यमय मौत ने मनीषा को अंदर से तोड़ दिया था। परिजनों का आरोप है कि घटना के बाद उन्होंने लगातार पुलिस और प्रशासन से निष्पक्ष जांच की गुहार लगाई, लेकिन कहीं से उन्हें संतोषजनक जवाब या न्याय नहीं मिला। इसी मानसिक पीड़ा और निराशा ने आखिरकार मनीषा को यह कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।
बताया जा रहा है कि बेटे की मौत के बाद से मनीषा लगातार अवसाद में थीं। वे हर रोज अपने बेटे की तस्वीर को निहारतीं और उसकी मौत के कारणों को लेकर सवाल करती रहती थीं। परिजनों ने बताया कि उन्होंने कई बार अधिकारियों से मुलाकात की, आवेदन दिए और जांच में तेजी लाने की मांग की, लेकिन जांच की दिशा और प्रगति से वे असंतुष्ट थीं। इंसाफ की उम्मीद टूटने से उनका मानसिक संतुलन बिगड़ता चला गया।
मनीषा ने जहर खा लिया। तबीयत बिगड़ने पर परिजनों ने पहले उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से गंभीर हालत को देखते हुए डीएमसीएच रेफर कर दिया गया। डीएमसीएच में मेडिसिन आईसीयू में उनका इलाज चल रहा था, लेकिन मंगलवार सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया। मौत की सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया।
पुलिस ने मामले में आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हुए मंगलवार को पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया। कोतवाली थाना पुलिस ने मनीषा के भांजे प्रिंस का बयान दर्ज किया है। महिला की मौत की खबर फैलते ही पोस्टमार्टम हाउस परिसर में बड़ी संख्या में परिजन और मोहल्ले के लोग पहुंच गए। हर कोई इस बात से स्तब्ध था कि एक मां को अपने बेटे के लिए न्याय मांगते-मांगते जान गंवानी पड़ी।
मृतका के परिजन रविशंकर ने बताया कि कश्यप उनका इकलौता बेटा था और उसकी मौत के बाद से मनीषा पूरी तरह टूट चुकी थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि बेटे की संदिग्ध मौत के मामले में निष्पक्ष जांच नहीं की गई। “हमने हर दरवाजे पर दस्तक दी, लेकिन कहीं से इंसाफ नहीं मिला। इसी वजह से वह लगातार परेशान रहती थी,” रविशंकर ने कहा। उन्होंने मांग की कि कश्यप की मौत की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों को सख्त सजा मिले।
यह मामला न सिर्फ एक परिवार की त्रासदी को उजागर करता है, बल्कि जांच प्रक्रिया पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। एक मां का अपने बेटे के लिए न्याय मांगते हुए इस तरह टूट जाना समाज और प्रशासन—दोनों के लिए चेतावनी है। स्थानीय लोगों ने भी घटना पर दुख जताते हुए प्रशासन से मांग की है कि बच्चे की मौत की निष्पक्ष जांच हो और मनीषा की मौत के कारणों की भी गहराई से पड़ताल की जाए।
फिलहाल पुलिस का कहना है कि सभी पहलुओं की जांच की जा रही है और दर्ज बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या समय पर और निष्पक्ष जांच से एक मां की जान बचाई जा सकती थी।