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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 11 Jul 2025 03:10:08 PM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Sawan 2025: सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हो चुकी है और इसके साथ ही विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले में भगवान शिव के भक्तों का उत्साह अपने चरम पर है। बिहार में लाखों कांवरिया विभिन्न रूटों के माध्यम से बाबा वैद्यनाथ धाम और अन्य शिव मंदिरों तक गंगा जल लेकर पहुंचते हैं। इस दौरान बिहार के 5 प्रमुख कांवर यात्रा रूटों पर भारी भीड़ देखने को मिलती है, विशेष रूप से सुल्तानगंज से देवघर रूट पर। इन रूटों पर प्रशासन द्वारा सुरक्षा, पेयजल और चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। आइए, आज इन 5 प्रमुख रूटों की विस्तृत जानकारी लेते हैं।
1. सुल्तानगंज से देवघर
यह बिहार का सबसे लोकप्रिय और भीड़भाड़ वाला कांवर यात्रा रूट है, जहां लाखों श्रद्धालु भागलपुर के सुल्तानगंज में अजगैवीनाथ धाम घाट से गंगा जल लेकर झारखंड के देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम तक पैदल यात्रा करते हैं। यह रूट लगभग 105 किलोमीटर लंबा है। इसका मुख्य मार्ग इस प्रकार हैं:
- सुल्तानगंज-अस्सरगंज-तारापुर-कटोरिया-देवघर: यह प्राथमिक रूट है, जहां कांवरिया गंगा जल लेकर पैदल चलते हैं।
- वैकल्पिक मार्ग: सुल्तानगंज-अकबरनगर-अमरपुर-बांका-कटोरिया-देवघर या बांका-ढाकामोड़-हसडीहा-देवघर।
- भीड़ और सुविधाएं: इस रूट पर सबसे अधिक भीड़ होती है, विशेषकर सावन सोमवार (14, 21, 28 जुलाई और 4 अगस्त 2025) को। प्रशासन ने पेयजल, शौचालय, मेडिकल कैंप और ड्रोन-सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था की है। भारतीय रेलवे ने भी सुल्तानगंज-देवघर के लिए 17 जोड़ी विशेष ट्रेनों की घोषणा की है।
2. डुमरिया घाट, डोरीगंज से बाबा धनेश्वरनाथ कांवर यात्रा रूट
इस रूट पर श्रद्धालु गोपालगंज के डुमरिया घाट और सारण के डोरीगंज से जल लेकर सिंहासिनी के बाबा धनेश्वरनाथ मंदिर पहुंचते हैं। रूट की जानकारी:
- मुख्य मार्ग: डुमरिया घाट से एनएच 27 via महम्मदपुर, फिर स्टेट हाईवे 90 via पकड़ी मोड़ और 2 किलोमीटर पैदल यात्रा कर मंदिर तक।
- वैकल्पिक मार्ग: गरौली चंवर, मठिया बाजार और उसरी-दिघवा दुबौली।
- भीड़ और सुविधाएं: यह रूट गोपालगंज और सारण के स्थानीय कांवरियों के बीच लोकप्रिय है। प्रशासन ने सड़कों पर बालू बिछाने और कैंप लगाने की व्यवस्था की है।
3. पहलेजा से बाबा गरीबनाथ कांवर यात्रा रूट
सारण जिले के सोनपुर के पास पहलेजा घाट से शुरू होने वाला यह रूट 65 किलोमीटर लंबा है, जो मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ मंदिर तक जाता है। रूट विवरण:
- मुख्य मार्ग: पहलेजा घाट से हाजीपुर via एनएच 22, और मुजफ्फरपुर तक।
- वैकल्पिक मार्ग: हाजीपुर-लालगंज या महुआ via या सोनपुर-सोनहो।
- भीड़ और सुविधाएं: शुक्रवार, शनिवार और रविवार को एनएच 22 का पश्चिमी लेन कांवरियों के लिए आरक्षित रहता है। इस रूट पर मेडिकल कैंप और अस्थायी शेल्टर की व्यवस्था की गई है।
4. बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ कांवर यात्रा रूट
बक्सर जिले का यह रूट रामरेखा घाट से शुरू होकर ब्रह्मपुर के बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर तक 33 किलोमीटर की दूरी तय करता है। रूट की जानकारी:
- मुख्य मार्ग: रामरेखा घाट से हाईवे 922 via ब्रह्मपुर।
- भीड़ और सुविधाएं: हर सावन सोमवार को हाईवे 922 का एक लेन कांवरियों के लिए सुरक्षित रहता है। इस रूट पर भीड़ मध्यम रहती है और स्थानीय संगठनों द्वारा भोजन और पानी के स्टॉल लगाए जाते हैं।
5. फतुहा से सिद्धेश्वर नाथ कांवर यात्रा रूट
यह रूट फतुहा (पटना) से शुरू होकर जहानाबाद के बराबर स्थित बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर तक जाता है। रूट विवरण:
- मुख्य मार्ग: फतुहा से पटना-नालंदा via हुलासगंज, फल्गु नदी पार कर बराबर।
- वैकल्पिक मार्ग: एनएच 22 via पटना-मखदुमपुर-बराबर।
- भीड़ और सुविधाएं: इस रूट पर भी काफी संख्या में कांवरिया जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। प्रशासन ने सड़क सुरक्षा और अस्थायी कैंप की व्यवस्था की है।
अतिरिक्त जानकारी
- सावन 2025 तिथियां: सावन 11 जुलाई से 9 अगस्त तक चलेगा, जिसमें चार सावन सोमवार (14, 21, 28 जुलाई और 4 अगस्त) और सावन शिवरात्रि (23 जुलाई) शामिल हैं।
- सुरक्षा और व्यवस्था: बिहार सरकार ने कांवर रूटों पर सीसीटीवी, ड्रोन निगरानी और मेडिकल कैंप लगाए हैं। सुल्तानगंज-देवघर रूट पर विशेष रूप से 80 किलोमीटर कच्चा कांवरिया पथ तैयार किया गया है।
- रेलवे सुविधा: भारतीय रेलवे ने सुल्तानगंज-देवघर के लिए 17 जोड़ी विशेष ट्रेनें और कटिहार-देवघर, डिब्रूगढ़-देवघर के लिए दो जोड़ी ट्रेनें शुरू की हैं जो 10 जुलाई से 7 अगस्त तक चलेंगी।
- भीड़ का अनुमान: सुल्तानगंज-देवघर रूट पर प्रतिदिन लाखों कांवरिया यात्रा करते हैं, विशेषकर सावन सोमवार और शिवरात्रि पर।
इन रूटों पर कांवरियों की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने यातायात डायवर्जन, स्वच्छ शौचालय और पेयजल की व्यवस्था की है। कांवरियों से अपील की गई है कि वे शांतिपूर्ण यात्रा करें और पर्यावरण की स्वच्छता भी साथ में बनाए रखें।