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09-Mar-2025 06:24 AM
Rang Panchami 2025: रंग पंचमी भारत में मनाया जाने वाला एक ऐसा रंगीन त्योहार है, जो न केवल उल्लास का प्रतीक है, बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। यह पर्व होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। रंग पंचमी पर रंगों और गुलाल को आसमान में उड़ाने की परंपरा है, जिसे वातावरण की शुद्धि और देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है।
रंग पंचमी 2025 कब है?
पंचमी तिथि की शुरुआत: 18 मार्च 2025 (मंगलवार) रात 10:09 बजे
पंचमी तिथि की समाप्ति: 20 मार्च 2025 (गुरुवार) रात 12:37 बजेचूंकि उदय तिथि को ही पर्व मनाने की परंपरा है, इसलिए रंग पंचमी 19 मार्च 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी।
रंग पंचमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
भगवान कृष्ण और राधा रानी की होली: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रंग पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधा रानी और गोपियों के साथ होली खेली थी। इस आनंद के अवसर पर देवताओं ने आकाश से फूलों की वर्षा की थी, जिसे देखकर लोगों ने रंगों और गुलाल के साथ इस परंपरा की शुरुआत की।
गुलाल उड़ाने की परंपरा: कहा जाता है कि रंग पंचमी पर गुलाल उड़ाने से देवता प्रसन्न होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह रंग केवल बाहरी नहीं होते, बल्कि हमारे जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार भी करते हैं।
नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रंग पंचमी के दिन वातावरण में फैली सभी नकारात्मक शक्तियाँ समाप्त हो जाती हैं और वातावरण शुद्ध हो जाता है। इस दिन किए गए विशेष पूजन से घर में शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
रंग पंचमी कैसे मनाई जाती है?
गुलाल और अबीर अर्पण: इस दिन विशेष रूप से राधा-कृष्ण को गुलाल और अबीर अर्पित किया जाता है।
धार्मिक अनुष्ठान और पूजन: कई स्थानों पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान और पूजन का आयोजन किया जाता है।
विशेष जुलूस और शोभायात्रा: महाराष्ट्र में “शिमगा” उत्सव के रूप में यह पर्व अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर रंग-बिरंगे जुलूस निकाले जाते हैं और ढोल-नगाड़ों की थाप पर नृत्य एवं संगीत का आयोजन किया जाता है।
सामूहिक उत्सव और आनंद: रंग पंचमी के दिन विभिन्न स्थानों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां लोग एकत्रित होकर गुलाल उड़ाते हैं और उत्सव का आनंद लेते हैं।
रंग पंचमी का सांस्कृतिक महत्व
रंग पंचमी विशेष रूप से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। महाराष्ट्र में इसे “शिमगा” के नाम से भी जाना जाता है, जहां इस दिन विशेष शोभायात्रा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
रंग पंचमी का पर्व केवल आनंद और उत्सव तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अद्भुत संगम है। इस दिन रंगों के माध्यम से न केवल खुशियाँ बांटी जाती हैं, बल्कि वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का संचार भी होता है। ऐसे में इस रंगीन पर्व को पूरे उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए।