मोतिहारी: दर्दनाक सड़क हादसे में दो की मौत, परिजनों में मचा कोहराम प्रशांत किशोर ने लालू के साथ-साथ राहुल गांधी पर बोला बड़ा हमला, कहा..संविधान लेकर घूमने वाले क्या अंबेडकर के अपमान का जवाब देंगे? BIHAR: मिट गया माथे पर लगा कलंक: पॉक्सो एक्ट में बुरी तरह से फंस चुके केशव को मिला नया जीवन दान नीट 2025 में गोल इन्स्टीट्यूट के छात्रों ने लहराया परचम, 5400 से अधिक छात्र सफल, 527 छात्रों का सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश की उम्मीद Bihar Crime News: बिहार के पूर्व मंत्री की बहू को परिवार समेत जान से मारने की धमकी, जेठ पर गंभीर आरोप Bihar Crime News: बिहार के पूर्व मंत्री की बहू को परिवार समेत जान से मारने की धमकी, जेठ पर गंभीर आरोप BIHAR: शादी के 3 साल बाद विवाहिता की संदिग्ध मौत, ससुरालवालों पर दहेज के लिए हत्या का आरोप KATIHAR: डॉक्टर-पुलिस की मिलीभगत से कोर्ट को गुमराह करने का मामला उजागर, 82 वर्षीया महिला को जेल भेजने की धमकी, सोशल एक्टिविस्ट ने किया पर्दाफाश BIHAR CRIME: मोतिहारी एसपी के नाम पर बनाया फेक फेसबुक अकाउंट, साइबर ठगों ने की पैसे की मांग Bihar Politics: ‘बिहार की सत्ता में लालू परिवार की कभी नहीं होगी वापसी’ बाबा साहेब के अपमान पर बोले रोहित कुमार सिंह
20-Apr-2025 02:38 PM
By First Bihar
Chanakya Niti: प्राचीन भारत के महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और शिक्षाविद आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में जीवन के हर पहलू से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं। चाहे वो राजनैतिक व्यवस्था हो, नैतिक शिक्षा हो या फिर पारिवारिक संस्कार ,चाणक्य की नीतियाँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी प्राचीन काल में थीं।
आचार्य चाणक्य का मानना था कि संतान का भविष्य केवल उनकी शिक्षा और आर्थिक स्थिति पर निर्भर नहीं करता, बल्कि माता-पिता के व्यवहार, निर्णय और सोच का भी उसमें बड़ा योगदान होता है। यदि माता-पिता कुछ गलतियाँ बार-बार दोहराते हैं, तो वह बच्चे के पूरे भविष्य को प्रभावित कर सकती हैं।
चाणक्य नीति के अनुसार किन बातों का ध्यान रखें:
क्रोध और अहंकार का प्रदर्शन न करें
चाणक्य कहते हैं कि माता-पिता को बच्चों के सामने कभी भी क्रोध, घमंड या निराशा जैसे नकारात्मक भाव प्रकट नहीं करने चाहिए। बच्चे अपने घर से ही सबसे पहले चीजें सीखते हैं, इसलिए यदि वे घर में लड़ाई, चीख-चिल्लाहट या अपमान देखेंगे, तो वही व्यवहार उनका स्वभाव बन जाएगा।
जरूरत से ज़्यादा प्यार और हर जिद पूरी करना
माता-पिता बच्चों से प्यार करते हैं, ये स्वाभाविक है, लेकिन हर मांग पूरी करना, हर जिद मान लेना उन्हें ज़िद्दी और गैर-जिम्मेदार बना सकता है। चाणक्य के अनुसार, जरूरत से ज्यादा लाड़-प्यार बच्चों को अनुशासन से दूर ले जाता है, जिससे वे भविष्य में कठिनाइयों का सामना नहीं कर पाते।
दूसरों का अपमान करना और झूठ बोलना
यदि माता-पिता बच्चों के सामने किसी का अपमान करते हैं, झूठ बोलते हैं या दिखावा करते हैं, तो ये आदतें बच्चे भी अपना सकते हैं। इसलिए अभिभावकों को अपने आचरण और भाषा पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
बच्चों की गतिविधियों पर रखें नजर
आज के समय में टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया के चलते बच्चों के जीवन में कई तरह की चुनौतियाँ आ रही हैं। ऐसे में माता-पिता को बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए—वे किससे मिलते हैं, क्या देखते हैं, क्या सोचते हैं। हालांकि, हर बात पर रोक-टोक भी नुकसानदायक हो सकती है। संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
निर्णय लेने की आज़ादी दें, लेकिन सीमाओं के साथ
चाणक्य यह भी कहते हैं कि बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें कुछ निर्णय स्वयं लेने देने चाहिए। लेकिन माता-पिता को यह भी देखना होगा कि वे निर्णय बच्चों को नुकसान न पहुंचाएं। समय-समय पर मार्गदर्शन देना ज़रूरी है। आचार्य चाणक्य की नीतियाँ आज भी बच्चों के अच्छे पालन-पोषण के लिए मार्गदर्शक बन सकती हैं। यदि माता-पिता उनके सिद्धांतों का पालन करें, तो न केवल वे एक बेहतर पीढ़ी का निर्माण करेंगे, बल्कि अपने बच्चों को एक सफल और सशक्त भविष्य भी दे सकेंगे|