ब्रेकिंग न्यूज़

Anant Singh arrest : अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद पटना ssp ने बुलाई प्रेस कॉन्फ्रेंस! कुछ देर में हो जाएगी आधिकारिक पुष्टि ; क्या होगा मोकामा सीट पर असर बड़ी खबर : दुलारचंद हत्याकांड मामले में पुलिस ने अनंत सिंह को किया अरेस्ट ! दो गाड़ियों से साथ लेकर रवाना हुए सीनियर अधिकारी ! इलाके में चर्चा हुई तेज शिक्षा और शोध में नई दिशा: पटना ISM के चेयरमैन के जन्मदिन पर IJEAM का प्रथम अंक जारी Bihar Crime News: बिहार में इलाज के दौरान महिला की मौत पर हंगामा, अस्पताल छोड़कर भागे डॉक्टर और हेल्थ स्टाफ Bihar Crime News: चुनावी तैयारियों के बीच बिहार में चाकूबाजी की घटना, नाबालिग लड़के की हत्या से हड़कंप Mahila Rojgar Yojana: अब तक 1.51 करोड़ महिलाओं को मिला 10-10 हजार, लाभ मिलने तक जारी रहेगी योजना...आवेदन की कोई अंतिम तिथि नहीं Mahila Rojgar Yojana: अब तक 1.51 करोड़ महिलाओं को मिला 10-10 हजार, लाभ मिलने तक जारी रहेगी योजना...आवेदन की कोई अंतिम तिथि नहीं Mokama Dularchand Murder Case: मोकामा में दुलारचंद हत्याकांड में पुलिस ने अबतक क्या की कार्रवाई? पटना SSP ने दिया जवाब Mokama Dularchand Murder Case: मोकामा में दुलारचंद हत्याकांड में पुलिस ने अबतक क्या की कार्रवाई? पटना SSP ने दिया जवाब Koilwar bridge accident : कोइलवर सिक्सलेन पुल पर स्कूल बस और कंटेनर की टक्कर, ड्राइवर की हालत गंभीर

Bakrid 2025: वर्चुअल बकरीद और ग्रीन बकरीद क्या है? सोशल मीडिया पर अचानक क्यों हो रहे हैं ट्रेंड

Bakrid 2025: बकरीद 2025 में परंपरा और तकनीक के बीच जंग दिख रही है। एक ओर 'ग्रीन बकरीद' का संदेश है, तो दूसरी ओर 'वर्चुअल बकरीद' में ऑनलाइन कुर्बानी और लाइव स्ट्रीमिंग का चलन बढ़ा है। सोशल मीडिया पर दोनों ट्रेंड्स चर्चा में हैं।

Bakrid 2025

03-Jun-2025 02:25 PM

By FIRST BIHAR

Bakrid 2025: परंपरा और तकनीक की जंग में अब ईद-उल-अजहा (बकरीद) भी दो राहों पर खड़ी दिखाई देती है। एक तरफ वे लोग हैं, जो इस त्योहार को ‘हरियाली’ से जोड़ना चाहते हैं, पेड़ लगाकर, मीट की जगह मोहब्बत बांटकर, एक नई सोच को बढ़ावा दे रहे हैं। दूसरी तरफ, कुछ लोग मोबाइल स्क्रीन पर कुर्बानी देख रहे हैं, डिजिटल गेटवे से जानवर खरीद रहे हैं, और तकनीक की गले लगती वर्चुअल ईद में डूबे हुए हैं। समय बदल रहा है, और उसके साथ बकरीद की तस्वीर भी।


कुर्बानी हो रही है… पर कैसे?

बकरीद पर पारंपरिक रूप से मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे या दूसरे हलाल जानवरों की कुर्बानी देते हैं। लेकिन इस बार सोशल मीडिया पर दो खास ट्रेंड छाए हुए हैं — ग्रीन बकरीद और वर्चुअल बकरीद। सवाल यह नहीं कि कुर्बानी हो रही है या नहीं, सवाल यह है कि वो अब कैसे हो रही है।


क्या है 'ग्रीन बकरीद'?

‘ग्रीन बकरीद’ नाम सुनकर यह कोई पर्यावरण दिवस लग सकता है, लेकिन असल में यह एक विचारधारा है। इसका मकसद है प्रतीकात्मक कुर्बानी के ज़रिए ईद का संदेश और ज्यादा पाक बनाना। इस सोच के समर्थक मानते हैं कि जानवरों की बलि की जगह पेड़ लगाए जाएं, जरूरतमंदों को पैसा या भोजन दिया जाए, प्लास्टिक और प्रदूषण से बचा जाए। PETA जैसे संगठनों और कई शहरी मुस्लिम युवाओं ने इस मुहिम को सोशल मीडिया पर बढ़ावा दिया है। #GreenBakrid जैसे ट्रेंड्स के साथ लोग भैंस-बकरी की जगह पौधे लेकर 'सेल्फी विद सैक्रिफाइस' कर रहे हैं।


कैसी है ‘वर्चुअल बकरीद’?

कोविड-19 के दौर ने जब मस्जिदें बंद कर दीं और कुर्बानी के लिए बाजार तक जाना मुश्किल हो गया, तब जन्म हुआ वर्चुअल बकरीद का। यह एक ऐसा तरीका है, जिसमें लोग ऑनलाइन वेबसाइट्स या ऐप्स के जरिए जानवर बुक करते हैं, बलि किसी फार्म या संस्था द्वारा दी जाती है और मीट उन्हें भेजा जाता है या किसी को दान कर दिया जाता है। कुछ प्लेटफॉर्म तो लाइव स्ट्रीमिंग भी कराते हैं, जिससे आप स्क्रीन पर देख सकते हैं कि आपकी कुर्बानी कब और कैसे हो रही है। यह तरीका भीड़-भाड़ से बचाता है और प्रवासी मुस्लिमों और व्यस्त लोगों के लिए सुविधाजनक बन चुका है।


सिर्फ कुर्बानी नहीं, रोज़गार का पर्व

जब बकरीद करीब आती है, तो सिर्फ बकरों की कीमतें ही नहीं बढ़तीं, बढ़ती है हजारों लोगों की उम्मीद, रोजगार और बाजार की रौनक। यह त्योहार किसानों, मजदूरों, पशुपालकों, ट्रांसपोर्टरों और कारीगरों के लिए सबसे बड़े कमाई के मौकों में से एक है। बकरीद का फायदा सिर्फ मुसलमानों को नहीं, बल्कि हर धर्म और समुदाय के गरीब तबकों को होता है। देशभर में बकरा मंडियां सजती हैं, जिनमें कई जानवर हिंदू, दलित, आदिवासी या गरीब किसानों द्वारा पाले गए होते हैं। वे साल भर इंतजार करते हैं, बकरीद की बिक्री से अपने जीवन को संवारने का।


सोशल मीडिया की प्रतिक्रियाएं

जैसे ही सोशल मीडिया पर ग्रीन और वर्चुअल बकरीद ट्रेंड करने लगे, यूजर्स के रिएक्शन भी आने लगे। एक यूजर ने लिखा: “ग्रीन बकरीद की शुरुआत हो गई है, किसी भी धर्म में जीव हत्या नहीं होनी चाहिए।” दूसरे ने कहा: “बकरीद आते ही सबको जीव दया याद आ जाती है।” एक और यूजर ने तंज कसा: “ग्रीन बकरीद एक दिन की बात है, बाकी सब खाते ही हैं।” बता दें कि बकरीद अब केवल परंपरा नहीं रही, यह सोच, तकनीक और समाजिक चेतना का मिश्रण बनती जा रही है। चाहे कोई पेड़ लगाए या जानवर की बलि दे, बात सिर्फ कुर्बानी की नहीं, उसके पीछे की नीयत और सोच की है।