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23-Oct-2021 05:04 PM
PATNA : बिहार की मुख्य विपक्षी दल आरजेडी पिछले साल विधानसभा चुनाव हारने के अगले दिन से ही ये दावा कर रही है कि मुख्यमंत्री नीतीश के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पायेगी. नीतीश की सरकार कभी भी गिर सकती है. एक नहीं बल्कि कई मौकों पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ये कह चुके हैं. तेजस्वी ने एक बार फिर इस बात को दुहराया है. उन्होंने यह दावा कर दिया है कि विधानसभा की दोनों सीटों पर उपचुनाव जीतकर वह खेला कर सकते हैं.
बिहार विधानसभा की दो सीटों पर हो रहे उपुचनाव को लेकर सभी पार्टियों के नेता प्रचार प्रसार में जुट गए हैं. शनिवार को कुशेश्वरस्थान पहुंचे तेजस्वी यादव ने एक बड़ी बात कही. चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी ने कहा कि दो सीट जीतकर बिहार में खेला हो सकता है. तेजस्वी यादव ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि "माताओं-बहनों को सबको वोटिंग कराना है. और हमको पूरा विश्वास है कि दो सीट पर उपचुनाव हो रहा है. अगर हम दोनों सीट जीत गए तो खेला हो सकता है. नीतीश की सरकार गिर सकती है. क्योंकि ज्यादा का अंतर नहीं है."
तेजस्वी ने जनसभा में कहा कि "सरकार और विपक्ष में ज्यादा का अंतर नहीं है. इसलिए हम ताकत मांगने आये हैं. आर्शीवाद मिलेगा न? तो चुपचाप लालटेन छाप. जितने सारे नौजवान हैं. एकजुट होकर वोट करें. एक-एक व्यक्ति आरजेडी को वोट दें."
आपको बता दें कि तेजस्वी के तेजस्वी के इस दावे में कोई दम नहीं दिख रहा. हाल ही में लोगों से मिलने राघोपुर पहुंचे तेजस्वी यादव ने एक बड़ा बयान देते हुए ये कहा था कि "2-3 महीने में सरकार गिरने वाली है." लेकिन ऐसा नहीं हुआ. तेजस्वी के दावे में कोई दम नहीं दिखा और ये बात काफी हल्की साबित हुई. राजनीतिक पर्वेक्षकों की बात करें तो तेजस्वी यादव को इस तरीके के हल्के-फुल्के बयानों से बचना चाहिए.
अब बात करते हैं बिहार विधानसभा के समीकरण की. पिछले साल के चुनाव परिणाम की की बात करें तो आरजेडी 75 सीटों के साथ बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है. इसके बाद बीजेपी के पास 74 और जेडीयू के पास 43 सीटें थीं. इसमें से दरभंगा के कुशेश्वरस्थान सीट से शशिभूषण हजारी और मुंगेर के तारापुर विधानसभा सीट से बिहार सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री रहे मेवालाल चौधरी का निधन हो गया. इन दोनों खाली सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. ये दोनों सीटें जदयू की रही हैं. ऐसे में जदयू किसी हाल में इसे अपनी झोली में रखना चाहेगा. हालांकि चुनावी बिगुल बजने से पहले ही तेजस्वी ने इन दोनों सीटों पर जीत की दावेदारी कर रहे हैं.
ये बड़ी पार्टियों का हाल है. एनडीए की छोटी पार्टियों की बात करें तो नीतीश की सरकार में शामिल पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के पास चार और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी के पास चार विधायक हैं. जिनके बलबूते नीतीश कुमार सत्ता का सुख भोग रहे हैं. महागठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस के पास 19, सीपीआई माले के पास 11, सीपीएम के पास 3 और सीपीआई के पास 2 विधायक हैं. यानि कि वामदल के पास कुल 15 विधायक हैं, जो अबतक तेजस्वी के साथ खड़े हैं. इनके अलावा एआइएमआइएम के पास 5 विधायक हैं.
तेजस्वी यादव को सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत है लेकिन इनके पास फिलहाल 109 विधायक हैं. अगर ओवैसी की पार्टी तेजस्वी का समर्थन करती है तो तेजस्वी के पास 109 से बढ़कर 114 विधायकों का समर्थन हो जायेगा. गौरतलब हो कि मायावती की बीएसपी और चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी के एकलौते विधायक पहले ही नीतीश की पार्टी का दामन थाम चुके हैं. ऐसे में तेजस्वी के लिए सरकार गिराने और फिर सरकार बनाने की राह काफी मुश्किल साबित होगी.
जब तक बिहार में मांझी और मुकेश सहनी किंगमेकर के रूप में हैं. तब तक नीतीश की सत्ता सुरक्षित हैं. तेजस्वी को सरकार गिराने के लिए इन दोनों पार्टी के विधायकों को साथ में लाना होगा. लेकिन ये संभव नहीं दिख रहा. क्योंकि सहनी के तीन विधायक बीजेपी माइंडेड हैं. शुरू से यह चर्चा रही है कि ये सभी बीजेपी की कृपा से ही विधायक बने हैं. वरना इनका भी वही हाल होता, जो चुनाव में मुकेश सहनी का हुआ और वो चुनाव हार गए.
बाद में जैसा कि तेजस्वी ने कहा रिचार्ज कूपन पर सरकार में मंत्री बने हुए हैं. मुकेश सहनी के पास मन मुताबिक मंत्रालय है और वो तेजस्वी के साथ जाने की इतनी बड़ी जोखिम नहीं उठा सकते. यही कहानी मांझी के साथ भी है. मांझी बुजुर्ग हो गए हैं और वो अपने बेटे संतोष मांझी और दामाद देवेंद्र मांझी को सेट करने में लगे हैं. मांझी के बेटे तो मंत्री हैं लेकिन दामाद विधायकी का चुनाव हार गए. ऐसे में मांझी भी फिलहाल कोई बड़ा कदम उठाने की स्थिति में नहीं हैं.
तेजस्वी यादव जादुई आंकड़ा से काफी दूर हैं. उन्हें सरकार में आने के लिए कम से कम 12 विधायकों की जरूरत है. नीतीश की सरकार गिरने और तेजस्वी के सीएम बनने के सपना एक ही स्थिति में संभव हो सकता है जब एआइएमआइएम, मांझी और सहनी तीनों साथ आएं. लेकिन बीजेपी और जेडीयू इतनी आसानी से हार नहीं मान सकती. नीतीश उन नेताओं में से नहीं जिन्हें बड़ी आसानी से सत्ता से बेदखल कर दिया जाये. तेजस्वी शायद भूल रहे हैं कि ये वही नीतीश कुमार हैं, जिन्होंने राजनीति में इनके माता-पिता को ऐसी सबक सिखाई कि डेढ़ दशक से ज्यादा समय तक लालू परिवार सत्ता सुख से दूर रहा.