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20-Apr-2023 01:03 PM
By First Bihar
PATNA: जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह पिछले कुछ दिनों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और महागठबंधन की सरकार पर हमलावर बने हुए हैं। आरसीपी हर दिन अलग-अलग मुद्दों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेर रहे हैं। शराबबंदी और पटना में बालू माफिया की दबंगई के बाद अब आरसीपी ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाया है। आरसीपी ने कहा है कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है और मुख्यमंत्री को सिर्फ और सिर्फ अपनी कुर्सी की चिंता है।
दरअसल, आरसीपी सिंह पिछले कुछ दिनों से विभिन्न मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार को आईना दिखा रहे हैं। गुरुवार को आरसीपी ने मुख्यमंत्री से पूछा है कि बिहार में ध्वस्त हो चुकी शिक्षा व्यवस्था के लिए कौन जिम्मेवार है। आरसीपी ने ट्वीट कर लिखा कि,“बिहार में शिक्षा का बुरा हाल ! नीतीश बाबू ,आप तो जानते ही हैं कि बिहार ज्ञान की भूमि रही है। नालंदा विश्वविद्यालय, उदंतपुरी विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय जैसी विश्व विख्यात संस्थाएं बिहार में ही थीं। भारतवर्ष के साथ-साथ विदेशों के विद्यार्थी भी यहां ज्ञान अर्जन करते थे। आपको पता है न नीतीश बाबू, कि आज बिहार में एक भी शैक्षणिक स्थान की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर नहीं है।“
आरसीपी आगे लिखते हैं, “आपको याद दिला दें मुख्यमंत्री महोदय कि विगत 33 वर्षों में बिहार पर या तो श्रीमान लालू जी के परिवार ने या आपने ही शासन किया है। आपने कभी सोचा कि कैसे बिहार शिक्षा के क्षेत्र में इतना पिछड़ गया ? आज बिहार की शिक्षा व्यवस्था बिलकुल ध्वस्त हो चुकी है। सरकारी विद्यालयों में प्राथमिक, माध्यमिक एवं इंटर तक की शिक्षा का कोई स्तर ही नहीं रहा है। उच्च शिक्षा की स्थिति तो और भी बत्तर है ! विद्यार्थियों का ज्ञान न्यूनतम स्तर पर भी नहीं है। शिक्षकों को अध्यापन को छोड़कर अन्य कार्यों में व्यस्त रखा जाता है- कभी जनगणना,कभी पशु गणना,कभी जातीय गणना ,कभी चुनाव संबंधित कार्य ,कभी शराबबंदी इत्यादि। जबकि शिक्षकों का पहला धर्म एवं कर्तव्य विद्यार्थियों को ज्ञानार्जन कराना है परंतु आप उनसे कौन-कौन सा काम करा रहे हैं?”
पूर्व जेडीयू अध्यक्ष ने लिखा कि, “नीतीश बाबू,हम लोग जब विद्यार्थी थे(1960-80) , तो बिहार में शिक्षा की ऐसी स्थिति नहीं थी। मैंने तथा मेरे जैसे हज़ारों साथियों ने अपनी प्राथमिक,माध्यमिक एवं हाई स्कूल तक की शिक्षा गाँव के स्कूल में प्राप्त की थी। उस समय विद्यालयों में भवन एवं अन्य सुविधाओं का अभाव था परंतु शिक्षकों में अध्यापन के प्रति इतनी लगन थी कि उस समय शिक्षा का स्तर उच्च कोटि का था। गांव के विद्यालयों में पढ़कर मैंने और मेरे जैसे कई साथियों ने UPSC की परीक्षा पास की थी। वो भी बिना ट्यूशन और कोचिंग के ! समझिए, बिहार में उस समय शिक्षा का क्या स्तर था । आप भी अपना ख़ुद का उदाहरण देखिए। आपने गांव में पढ़ाई नहीं की लेकिन क़स्बे के विद्यालय में पढ़कर आप इंजीनियर बन गए। मैं अपने गाँव में आज देखता हूं कि बच्चों ने सरकारी विद्यालयों में दाख़िला करा रखा है परंतु अपनी पढ़ाई, ट्यूशन या कोचिंग के माध्यम से ही कर रहे हैं।“
आरसीपी सिंह ने आगे लिखा, “नीतीश बाबू , सरकारी स्कूल अब पाठशाला नहीं पाकशाला बन कर रह गए हैं तथा विद्यालय भी भोजनालय हो चुका है ! शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों तथा प्रधानाचार्यों की ज़िम्मेदारी गुणात्मक शिक्षा न होकर मध्यान भोजन हो गई है। फिर ऐसे में शिक्षा का स्तर कैसे सुधर सकता है नीतीश बाबू ? आप तो भाषण देंगे कि शिक्षा का बजट इस वर्ष 40 हज़ार करोड़ से भी ज़्यादा का है। सही है ,परंतु रोना भी तो यही है ! सरकारी ख़ज़ाने से प्रति वर्ष 40 हज़ार करोड़ से ज़्यादा खर्च हो रहे हैं और बच्चों के ट्यूशन एवं कोचिंग पर अभिभावकों का भी सरकारी बजट से कई गुना ज़्यादा पैसा खर्च हो रहा है। इस पर आपका ध्यान गया है मुख्यमंत्री महोदय ? शायद नहीं । आप बच्चे को पोशाक, पुस्तकें, साइकिल का पैसा देते हैं । परंतु कोचिंग और ट्यूशन का पैसा तो उनके अभिभावक ही देते हैं। सरकारी विद्यालयों में गरीब बच्चे ही ज़्यादा पढ़ते हैं , अब बताइए वो कैसे पढ़ें ? उनके पास ट्यूशन और कोचिंग का पैसा नहीं है । इसलिए नीतीश बाबू समझिए, अब समय आ गया है कि बच्चों की पढ़ाई के लिए उनके खातों में ट्यूशन तथा कोचिंग के लिए पैसे एक मानक बनाकर ट्रांसफ़र किए जायें जिससे गरीब बच्चे ज्ञानार्जन करने से वंचित न रह जाएँ। आपकी नींद कब खुलेगी नीतीश बाबू ? क्या आप कुर्सी की ही चिंता में डूबे रहिएगा मुख्यमंत्री महोदय ? बच्चों की शिक्षा बदहाल ! आप और आपके मंत्री खुशहाल ! कुर्सीवाद ज़िंदाबाद! कुर्सीवाद ज़िंदाबाद!"