Bihar News: बिहार के सबसे बड़े अस्पताल में होगी तीन हजार से अधिक बहाली, दिल्ली AIIMS की तर्ज पर विकसित करने का लक्ष्य Bihar News: बिहार के सबसे बड़े अस्पताल में होगी तीन हजार से अधिक बहाली, दिल्ली AIIMS की तर्ज पर विकसित करने का लक्ष्य Success Story: कौन हैं डॉक्टर से IAS बनीं अर्तिका शुक्ला? जिन्होंने बिना कोचिंग UPSC में लाया 4th रैंक; जानें... सफलता की कहानी Which pulse is Good for Health: शरीर की जरूरत के अनुसार चुनें दाल, जानें किससे मिलेगा ज्यादा फायदा Bihar News: बिहार में दो सगी बहनों की डूबने से मौत, गंगा स्नान के दौरान हुआ हादसा Bihar News: बिहार में दो सगी बहनों की डूबने से मौत, गंगा स्नान के दौरान हुआ हादसा Kerala Congress Controversy: ‘B से बीड़ी और B से बिहार’ केरल कांग्रेस के विवादित पोस्ट पर फजीहत के बाद एक्शन, सोशल मीडिया चीफ को देना पड़ा इस्तीफा Kerala Congress Controversy: ‘B से बीड़ी और B से बिहार’ केरल कांग्रेस के विवादित पोस्ट पर फजीहत के बाद एक्शन, सोशल मीडिया चीफ को देना पड़ा इस्तीफा Patna News: पटना का वांटेड अपराधी शैलेन्द्र यादव गिरफ्तार, देसी कट्टा और कारतूस बरामद SBI Clerk Prelims Exam 2025: SBI क्लर्क भर्ती प्रारंभिक परीक्षा की तारीखें घोषित, 6589 पदों पर होगी बहाली
28-Jun-2022 07:23 PM
PATNA: बिहार विधानसभा ने आज ही यानि मंगलवार को काला और अब तक के इतिहास में सबसे हैरान कर देने वाला दिन देखा. विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों ने सदन का बहिष्कार कर दिया. आज जेडीयू ने विधानसभा का अघोषित बहिष्कार कर दिया. सदन की कार्यवाही चल रही थी और जेडीयू ने अपने तमाम विधायकों से लेकर मंत्री को सदन से बाहर बुलवा लिया. इस वाकये के कुछ ही देर बाद दिल्ली से बीजेपी के नेता धर्मेंद्र प्रधान पटना पहुंचे. सीधे नीतीश आवास गये और बाहर निकले तो एलान कर दिया-नीतीश जी, हमारे नेता हैं औऱ 2025 तक वही बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
बता दें कि आज जब बिहार विधानसभा की कार्यवाही लंच ब्रेक के बाद शुरू हुई तो सदन में उत्कृष्ट विधायक की परंपरा शुरू करने को लेकर विशेष बहस शुरू हुई. विधानसभा की कार्यवाही में पहले से ही इस विशेष चर्चा का जिक्र था. लेकिन सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद विपक्ष का एक भी विधायक सदन में नहीं पहुंचा. पत्रकारों ने जब ध्यान दिया तो पता चला की जेडीयू का भी कोई विधायक सदन के अंदर मौजूद नहीं है. ट्रेजरी बेंच पर जेडीयू के तीन मंत्री लेसी सिंह, सुनील कुमार और शीला मंडल सदन में मौजूद थे. लेकिन कुछ ही देर में उनके पास मैसेज पहुंचा औऱ तीनों मंत्री भी सदन से निकल गये।
जेडीयू विधायकों की बैठक, नीतीश की मंत्रणा
सदन में चर्चा हो रही थी और बाहर जेडीयू के विधायक मंत्री श्रवण कुमार के साथ बैठक कर रहे थे. वे सदन के अंदर जाने के बजाय श्रवण कुमार के कक्ष में जमे रहे. इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पहुंचे लेकिन हाउस में नहीं गये. नीतीश ने अपने सहयोगी मंत्रियों विजय चौधरी और श्रवण कुमार के बीच लंबी मंत्रणा की. जेडीयू के एक नेता ने कहा कि पार्टी ने बीजेपी को साफ साफ मैसेज दिया है कि सदन में वही होगा जो नीतीश कुमार चाहेंगे. बीजेपी या विधानसभा अध्यक्ष के कहने से सदन नहीं चलेगा।
नतमस्तक हो गयी बीजेपी
इस वाकये के कुछ ही देर बाद दिल्ली से बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पटना पहुंचे. हालांकि धर्मेंद्र प्रधान का पहले से ही पटना आना तय था. वे राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बात करने आये थे लेकिन इसी बीच दूसरा विवाद सामने आ गया. लिहाजा प्रधान सीधे नीतीश कुमार के दरवाजे पर पहुंचे. वहां नीतीश कुमार के सबसे खास माने जाने वाले मंत्री विजय चौधरी भी मौजूद थे. धर्मेंद्र प्रधान ने नीतीश कुमार से लंबी बातचीत की. फिर बीजेपी दफ्तर में अपनी पार्टी के नेताओं से मिलने पहुंचे।
नीतीश ही बीजेपी के नेता
प्रदेश बीजेपी कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार ही बीजेपी के नेता हैं. उनके नेतृत्व में सरकार चल रही है. प्रधान ने कहा कि 2025 तक नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि दोनों पार्टियों में कोई टकराव नहीं है औऱ सब कुछ स्मूथ चल रहा है. अलग अलग पार्टियां होने के कारण कभी कभी अलग विचार हो जाते हैं लेकिन इससे गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।
क्यों हुआ विवाद
दरअसल ताजा विवाद कुछ दिनों पहले शुरू हुआ था जब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने अग्नपथ आंदोलन को लेकर सरकार पर गंभीर सवाल उठाये थे. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने मीडिया के सामने कहा कि प्रशासन और पुलिस के लोग बीजेपी के नेताओं और कार्यालयों को निशाना बनवा रहे हैं. प्रशासन ने गुंडों के साथ साजिश रचकर बीजेपी के नेताओं पर हमला करवाया है।
संजय जायसवाल के बयान के बाद जेडीयू के कई नेताओं ने उन पर ताबडतोड़ हमला बोला था. ये तनाव चल ही रहा था कि विधानमंडल का सत्र आ गया. विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने अपनी ओर से कई पहल कर दी. उन्होंने सरकार से कहा कि वह सभी जिला मुख्यालयों और प्रखंडों में विधायकों के लिए कमरे बनवाये जहां बैठकर विधायक जनता से मिल सकें. वहीं विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में उत्कृष्ट काम करने वाले विधायक को सम्मानित करने की परंपरा शुरू करने का भी एलान किया।
जेडीयू को परेशानी इस बात पर थी कि ये फैसले विधानसभा अध्यक्ष अपने स्तर से कर रहे थे. जबकि 2005 से 2020 तक के 15 सालों के नीतीश राज में सदन में वही हुआ जिसकी मंजूरी नीतीश कुमार ने दी. सियासी जानकार बताते हैं कि विधानसभा अध्यक्ष की जुबान से उतने ही शब्द निकलते रहे जितना नीतीश कुमार चाहते थे. लेकिन 2020 के बाद बीजेपी ने अपना विधानसभा अध्यक्ष बनवा लिया. अब विधानसभा अध्यक्ष अपने स्तर पर फैसले ले रहे हैं।
विधानसभा के पिछले सत्र में खुद नीतीश कुमार ने सदन में खड़े होकर ये कह दिया था कि अध्यक्ष जैसे चाहेंगे वैसे सदन नहीं चलेगा. नीतीश की इस धमकी पर काफी हंगामा हुआ था. सदन के मौजूदा सत्र में भी विधानसभा अध्यक्ष ने अपने स्तर से फैसले लेने शुरू कर दिये. इसके बाद ही जेडीयू ने अपने तेवर दिखाये औऱ विधानसभा के इतिहास में पहला मौका आया जब सत्तारूढ पार्टी ने ही सदन का बहिष्कार कर दिया।अब बीजेपी नीतीश कुमार के सामने नतमस्तक दिख रही है. सवाल ये है कि क्या वाकई गठबंधन में पड़ी गाठें खत्म हो जायेंगी।