गयाजी में किसान सम्मेलन का आयोजन, सूरज यादव ने किसानों की आवाज़ बनने का लिया संकल्प थाने के लॉकअप से फरार कैदियों को पुलिस ने दबोचा, चौकीदार और OD ऑफिसर पर सहरसा SP ने की कार्रवाई बाढ़ पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग: अनशन के दौरान RJD नेता की बिगड़ी तबीयत, अस्पताल में मिलने पहुंचे मनोज झा मुजफ्फरपुर: कॉलेज प्राचार्या पर महिला कर्मी की पिटाई और वसूली का आरोप, मानवाधिकार आयोग पहुंचा मामला पूर्णिया में NSD का नाट्य उत्सव: विद्या विहार स्कूल में 21-22 सितम्बर को विशेष प्रस्तुतियाँ बिहार में चुनावी सरगर्मी हुई तेज: शाह-नीतीश की मुलाकात के बाद JDU ने की बैठक, राहुल और तेजस्वी पर साधा निशाना अमित शाह का बेगूसराय दौरा, राहुल-लालू-तेजस्वी पर साधा जमकर निशाना पटना के गर्दनीबाग में 28.66 करोड़ से बनेगा आधुनिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, क्रिकेट की 15 पिचों समेत जिम-हॉल की सुविधा BIHAR NEWS : 'एक दिन एक घंटा एक साथ’, बिहार में ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान शुरू, गंगा तटवर्ती जिलों में पहुँचेगा स्वच्छता संदेश कल BJP के किस नेता का नंबर..? प्रशांत किशोर चौथा किस्त जारी करेंगे, दावा- जो फड़फड़ा रहा वो धाराशाई होकर गिर जाएगा
09-Mar-2021 08:25 AM
MUZAFFARPUR : सूबे के सरकारी अस्पताल में नसबंदी करवाने के बावजूद एक महिला के गर्भवती होने का मामला अदालत में जा पहुंचा है. नसबंदी के दो साल बाद एक महिला के गर्भवती होने का मामला सामने आया है. अब पीड़ित महिला ने इस मामले में उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटाया है. पूरा मामला मुजफ्फरपुर जिले का है.
नसबंदी के बावजूद जो महिला गर्भवती हुई उसने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव पर उपभोक्ता न्यायालय में मामला दर्ज कराया है. पीड़िता ने विभाग से 11 लाख का हर्जाना मांगा है. उपभोक्ता अदालत इस मामले की सुनवाई 16 मार्च को करेगी. पीड़िता फुलकुमारी का आरोप है कि सरकारी अस्पताल में परिवार नियोजन का ऑपरेशन करवाया था. इसके बाद भी वह गर्भवती हो गई है. फुलकुमारी मोतीपुर के महना गांव की रहने वाली हैं. उसने 27 जुलाई 2019 को मोतीपुर पीएचसी में नसबंदी ऑपरेशन करवाया था.
उपभोक्ता अदालत में जो शिकायत दर्ज करायी गई है उसके मुताबिक फुलकुमारी के पहले से चार बच्चे हैं और वह पांचवां बच्चा नहीं चाहती थी. कुछ दिन पहले उसे मालूम हुआ कि वह फिर से गर्भवती हो गई है तो सन्न रह गई. उसका कहना है कि वह एक और बच्चे के भरण-पोषण के लिए बिलकुल तैयार नहीं है. इसीलिए उसने परिवार नियोजन का ऑपरेशन कराया था. उसने मोतीपुर पीएचसी में जाकर अपने गर्भवती होने की जानकारी दी तो अल्ट्रासाउंड करवाया गया जिसमें गर्भवती होने की पुष्टि हुई. फुलकुमारी ने अब पांचवे बच्चे के पालन-पोषण के लिए सरकार से 11 लाख रुपये हर्जाने के तौर पर मांगे हैं. इस मामले पर फुलकुमारी के अधिवक्ता डॉ. एसके झा ने कहा कि यह गंभीर मामला है, जिसके लिए स्वास्थ्य महकमे के सर्वोच्च पदाधिकारी भी जिम्मेदार हैं. मामले में प्रधान सचिव के अलावा स्वास्थ्य सचिव, परिवार नियोजन के उपनिदेशक और मोतीपुर पीएचसी के प्रभारी डॉक्टर को पक्षकार बनाया गया है.