Bihar Election : लखीसराय में विजय सिन्हा के काफिले पर हमला, DGP को CEC का कड़ा निर्देश ,कहा - तत्काल लें इस मामले में एक्शन Bihar Election 2025: वोटिंग के दौरान छपरा में सीपीएम विधायक सत्येंद्र यादव की गाड़ी पर हमला, बाल-बाल बचे Bihar Election 2025: वोटिंग के दौरान छपरा में सीपीएम विधायक सत्येंद्र यादव की गाड़ी पर हमला, बाल-बाल बचे Bihar Election 2025: PM मोदी की जनसभा में उमड़ी भीड़,कहा - तेजस्वी और लालू को इससे ही मिल गया संकेत; जंगलराज वाले का रिपोर्ट जीरो Bihar Election : विजय सिन्हा के काफिले पर हमला,कहा -RJD के गुंडे ने किया है ऐसा काम, SP हैं कायर; अब होगा बुलडोजर एक्शन Bihar Election 2025: बिहार में वोटिंग के बीच धरना पर बैठ गए प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार, क्या है वजह? Bihar Election 2025: बिहार में वोटिंग के बीच धरना पर बैठ गए प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार, क्या है वजह? Bihar News: मुंबई और बिहार के बीच चलेगी यह स्पेशल ट्रेन, हजारों यात्रियों को बड़ी राहत Bihar Election 2025 : नालंदा में मतदान के दौरान बवाल, 4 BJP कार्यकर्ता हिरासत में; वोटर स्लिप बांटने का लगा आरोप Bihar Election 2025: बुर्का पहनकर वोटिंग करने आने वाली महिलाओं के लिए चुनाव आयोग की खास तैयारी, हर बूथ पर इन लोगों की लगाई गई ड्यूटी
19-Oct-2022 05:13 PM
PATNA: बिहार में नगर निकाय चुनाव को लेकर कुछ देर में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आ गया है. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश मानने की शर्त पर बिहार में नगर निकाय चुनाव कराने की अनुमति दे दी है. नीतीश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट के आदेश को मानने के वादे के साथ हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की बेंच ने सरकार द्वारा दिये गये आश्वासन के आधार पर निकाय चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दे दी है.
सरकार ने रातोरात बनाया अति पिछड़ा आय़ोग
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर रखा है कि स्थानीय निकाय चुनाव में तभी पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया जा सकता है जब सरकार ट्रिपल टेस्ट कराये. यानि सरकार ये पता लगाये कि किस वर्ग को पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है. नीतीश सरकार सुप्रीम कोर्ट का फैसला माने बगैर चुनाव कराने में लगी थी, जिस पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दिया था.
अब राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने की कवायद शुरू की है. नीतीश सरकार ने रातो रात बिहार में अति पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक यही आयोग सूबे में उन जातियों का पता लगायेगी जिन्हें पर्याप्त राजनीतिक भागीदारी नहीं मिली है. राज्य सरकार इसी आयोग का हवाला देकर हाईकोर्ट में गयी है. उसने हाईकोर्ट को कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ट्रिपल टेस्ट कराने की प्रक्रिया में लग गयी है.
दिसंबर से पहले हो सकता है चुनाव
हाईकोर्ट में राज्य निर्वाचन आयोग ने भी अपना पक्ष रखा. आयोग ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय मानकों का पालन कर बिहार में दिसंबर से पहले चुनाव करा सकती है. कोर्ट में राज्य सरकार ने ये भरोसा दिलाया है कि अति पिछड़ा आयोग की अनुशंसा पर नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग के लिए सीटें तय कर बताएंगे.
राज्य सरकार ने इस संबंध में हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया था. शपथ पत्र में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने का भरोसा दिलाया गया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव को लेकर सरकार को प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दे दी.
अति पिछडा आयोग जिन जातियों को आरक्षण देने की अनुशंसा करेगी, उन्हें आरक्षण देकर चुनाव कराया जायेगा.राज्य सरकार ने इस संबंध में हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया था. शपथ पत्र में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने का भरोसा दिलाया गया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव को लेकर सरकार को प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दे दी.
वैसे सवाल ये उठ रहा है कि जब नीतीश सरकार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानना ही था तो इतना बखेड़ा क्यों खड़ा किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने दो साल पहले ही ये स्पष्ट कर दिया था कि ट्रिपल टेस्ट कराये बगैर किसी राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़े वर्ग को आरक्षण नहीं दिया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार ने फिर से विचार करने की याचिका भी लगायी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया. आखिरकार दोनों राज्यों ने कोर्ट के फैसले के मुताबिक आरक्षण की कवायद शुरू की.
लेकिन बिहार की नीतीश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ताक पर रख कर अपने कायदे कानून से चुनाव कराने शुरू कर दिये. इसके खिलाफ जब हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई तो राज्य सरकार ने बड़े बड़े वकीलों को अपने पक्ष में खड़ा कर सरकारी खजाने से पानी की तरह पैसे बहाये. लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. उधर चुनाव की तैयारियों पर भी भारी भरकम खर्च हुआ. चुनाव में खड़े हुए हजारों उम्मीदवारों ने भी अच्छी खासी रकम खर्च की. कुल मिलाकर खर्च हुए पैसे का हिसाब अरबों रूपये तक पहुंच सकता है. इतना सब कुछ होने के बाद राज्य सरकार ने वही किया जो कोर्ट ने कहा था.