MUNGER: कहते हैं इंसानियत अगर इंसान के दिलों में हो तो उसे अपनी पहचान की कोई फिक्र नहीं होती. होती है तो बस उसे लोगों की जिंदगी को उपर उठाने की फिक्र और उसकी जिंदगी की दुश्वारियों को दूर करने की लालसा. वो भी जब बच्चों की बात हो, उसकी कठिन जिंदगी की बात हो तो बड़े से बड़े पद पर बैठा शख्स भी अपनी भावनाओं और संवेदनाओं को नहीं रोक पाता है.
मामला मुंगेर का है जहां रविवार आम तौर पर अधिकारियों के लिए छुट्टियों का दिन होता है. कोशिश होती है इस दिन को अपने परिवार के साथ इंज्वॉय करें अपनी व्यस्त जिंदगी के पल अपने परिवार के साथ बिताएं. लेकिन मुंगेर के डीएम राजेश मीणा कुछ और ही सोचते हैं. खुद की जिंदगी से ज्यादा महत्वपूर्ण उनके लिए दूसरों की जिंदगी में हंसी और उल्लास का रंग भरना है. तभी तो रविवार की छुट्टियों को अपने घर और अपने परिवार के साथ न बिताकर डीएम साहब अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अचानक पहुंच गए अनाथालय. न किसी को खबर, न किसी के साथ. इतना ही नहीं जिलाधिकारी महोदय अपने साथ अनाथालाय में रह रहे बच्चों के लिए ढेर सारा चॉकलेट, मिठाई, बच्चों के खेलने के लिए खिलौने भी ले गये. वो भी सब अपनी जेब से खर्च कर.
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अनाथालय पहुंचकर डीएम राजेश कुमार मीणा ने बच्चों को उपहार दिए. उनकी दिक्कतों के बारे में वहां के कर्मचारियों से पूछा. बच्चों को अपनी गोद में खिलाया और उनका हालचाल जाना. उनके साथ उनकी पत्नी और उनका छोटा बेटा भी था. जिलाधिकारी महोदय की पत्नी ने भी बच्चों को अपनी गोद में खिलाया और उनका हाल जाना.
https://youtu.be/OBup4E04k4Y
दरअसल ये किसी अधिकारी का अनाथालय का निरीक्षण दौरा नहीं था. यह दौरा था एक भावनाओं से भरे अधिकारी का जिसने अपने बच्चों की तरह अनाथालय के बच्चों को भी अपना समझा, उसकी परेशानियों को अपना समझा और उनकी बेहतरी के लिए अनोखी पहल की. डीएम राजेश मीणा की इस पहल के आज शहर में चर्चे हो रहे हैं. और बच्चों के साथ बिताए उनके पलों की चर्चाएं अनाथालय में काम कर रही कर्मचारी भी कर रही हैं. शायद ठीक ही तो कहा गया है कि लोगों के दर्द बांटने वाला ही सही मायने में वो अधिकारी होता है जिसके तबादले पर लोग आंसू बहाते हैं और उसकी तरक्की की दिल से कामना करते हैं.
मुंगेर से सैफ अली की रिपोर्ट