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जिन्ना की औलाद है महबूब आलम, कार्रवाई की मांग करते सदन में बोले बीजेपी विधायक..कहां गया महबूब आलम?

जिन्ना की औलाद है महबूब आलम, कार्रवाई की मांग करते सदन में बोले बीजेपी विधायक..कहां गया महबूब आलम?

01-Mar-2023 02:17 PM

By First Bihar

PATNA: बिहार विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने बीजेपी के बारे में जो कुछ कहा था उसे लेकर भाजपा ने आज तीसरे दिन सदन में जमकर हंगामा मचाया। महबूब आलम को कल का जवाब देते हुए बीजेपी विधायक संजय सरावगी ने कहा कि कहां गया महबूब आलम जिन्ना की औलाद.. संजय सरावगी ने महबूब आलम पर कार्रवाई किये जाने की मांग सदन से की। 


विधानसभा शुरू होते की सदन में चीख-चीख कर माले विधायक महबूब आलम को बीजेपी विधायक खोजने लगे और बोले कि कहां गया महबूब आलम। इस दौरान सदन में शब्दों की मर्यादा टूट गयी। बीजेपी विधायक ने महबूब आलम को जिन्ना की औलाद, लेनिन की औलाद, चाइना की औलाद और बांग्लादेशी की औलाद तक कह दिया। 


भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा था कि भाजपाइयों को शर्म नहीं आती। ये लोग गद्दारों की औलाद है। ये देशद्रोहियों की औलाद है। जब देश में आजादी की लड़ाई चल रही थी तो ये लोग अंग्रेजों के तलवे चाट रहे थे। प्रधानमंत्री छाती ठोंकता है, 56 इंच के सीने की बात करता है। महबूब आलम यह तब बोल रहे थे जब सदन में उस वक्त बीजेपी के कोई विधायक नहीं थे। 


सभी सदन से जा चुके थे। आज सदन में भाजपा विधायक संजय सरावगी में महबूब आलम को खोजा। सरावगी ने कहा कि कहां है महबूब आलम कहां है मिरजाफर की औलाद। संजय सरावगी ने सदन से महबूब आलम पर कार्रवाई करने की मांग की। माले विधायक के बयान को लेकर बीजेपी ने सदन में जमकर हंगामा मचाया। 


संजय सरावगी ने यहां तक कह दिया कि महबूब आलम लेनिन की औलाद है, वह चाईना की औलाद है और वो बंगलादेशी की औलाद है। ऐसा कहने के बाद विवाद बढ़ गया जिसके बाद स्पीकर अवध बिहारी चौधरी ने इसे असंसदीय करार देते हुए इन शब्दों को हटाने की बात कही। उन्होंने कहा कि सदन में कोई असंसदीय शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकता। ऐसी बातों को सदन की कार्यवाही से हटाया जाएगा।


माले विधायक महबूब आलम ने क्या कहां था?

 “गांधी के हत्यारे अब गांधी का सहारा ले रहे हैं.  गांधी का सहारा लेने का कोई अधिकार नहीं है तुम लोगों को. तुम लोगों ने गांधी की हत्या की है. तुम छाती ठोंक कर नाथूराम गोडसे का नाम लो. सावरकर को वीर बोलता है. सावरकर माफी मांगते मांगते थक गये, शर्म इनको नहीं आती. ये लोग गद्दारों की औलाद है. ये देशद्रोहियों की औलाद है. जब देश में आजादी की लडाई चल रही थी तो ये लोग अंग्रेजों के तलवे चाट रहे थे.”


महबूब आलम यहीं नहीं रूके. उन्होंने बोलना जारी रखा

“प्रधानमंत्री लफ्फाजी के बल पर कुछ वक्त के लिए देश को गुमराह करने में कामयाब हो गये हैं. ये संसद में छाती ठोक रहे थे. इनके पास मुसलमान के खिलाफ बोलने के अलावा कुछ नहीं है. मुसलमानों के खिलाफ बोलने के लिए पाकिस्तान को मोहरा बना दिया है. ये छाती ठोंकता है, 56 इंच के सीने की बात करता है, सेना के सम्मान की बात करते हैं. किसने सेना का अपमान किया. अभी हाल ही में इनके जयशंकर ने कहा कि भले ही चीन हमारे सरहद में घुसा हुआ हो, लेकिन चीन हमसे बहुत बडी अर्थव्यवस्था वाला देश है इसलिए हम उसे कुछ नहीं करते.” 


महबूब आलम ने कहा- 15 अगस्त के दिन बिलकिस बानो के हत्यारों की रिहाई इन बेशर्म भाजपाइयों ने की है. गुनाह करने वाले शर्मसार होता है, आंखें झुकी हुई होती है. लेकिन इनकी आखों में शर्म नहीं है. ये लोग बेशर्म ही नहीं इन लोगों ने बुलडोजर राज चलाने की कोशिश की है. मां-बेटी को जिंदा जला दिया, दरिंदगी की हद को पार कर दिया. 


माले विधायक दल के नेता ने कहा-हमारे मुख्यमंत्री जब सरकार चला रहे थे तब ये लोग उनकी पीठ में छुरा भोंक रहे थे. मुंह में राम और बगल में छुरी यही है उन लोगों का आचरण. हम मुख्यमंत्री को बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं कि उन्होंने ऐसे नाजुक वक्त में फैसला लिया ऐसे शैतानों से अलग होने का. ऐसे में समय में नीतीश कुमार के हिम्मत की दाद देते हैं.