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09-Oct-2021 04:53 PM
By AKASH KUMAR
AURANGABAD: औरंगाबाद सदर अस्पताल के डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप भी ऐसा की जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। दरअसल इस अस्पताल के चिकित्सक ने मृत व्यक्ति को दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया। परिजनों का आरोप है कि दो घंटे बीत जाने के बाद भी मरीज का इलाज शुरू नहीं किया गया। इलाज शुरू करने की परिजन लगातार गुहार लगाते रहे लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। इलाज में देरी होने के कारण मरीज की मौत हो गयी। घटना से गुस्साएं परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा मचाया और डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की।
बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त है इस बात का दावा सरकार आए दिन करती है। लेकिन इसकी सच्चाई तब पता चलता जब इन दावों की पोल खोलती कोई घटना सामने आती है। हम बात कर रहे हैं औरंगाबाद सदर अस्पताल की। जिसकी स्थिति बद से बदतर है। इलाज के लिए लोग दूर दराज के इलाकों से यहां आते हैं इस उम्मीद से कि उनका मरीज चंगा होकर निकले लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कुछ डॉक्टरों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण लोगों की यह उम्मीद टूटती नजर आती है।
दरअसल शाहपुर अखाड़ा के रहने वाले सुनील गुप्ता की तबीयत अचानक बिगड़ गयी। परिजन आनन-फानन में उन्हें लेकर औरंगाबाद सदर अस्पताल पहुंचे इस उम्मीद से की इनकी जान बचायी जा सके। लेकिन यहां आने के बाद दो घंटे तक डॉक्टरों ने मरीज का इलाज शुरू नहीं किया गया। सुनील की तबीयत और बिगड़ने लगी और अंतत: उसने अस्पताल परिसर में ही दम तोड़ दिया।
सबसे हैरानी की बात तो यह रही कि मरीज की मौत के बाद भी डॉक्टर ने पुर्जे पर रेफर तक लिख दिया। यदि डॉक्टर द्वारा पुर्जे पर मौत से पहले रेफर लिखा जाता तो परिजन दूसरे अस्पताल में उसे ले जाते और शायद उसकी जान बचायी जा सकती थी। घटना से आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा मचाया और डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। हंगामे की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची नगर थाना पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद लोगों को शांत कराया।
आक्रोशित परिजनों का कहना है कि डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होते हैं उन पर हम सभी को पूरा विश्वास होता है। लेकिन इस मामले में डॉक्टर की लापरवाही के कारण एक मरीज की जान चली गयी। हमारी मांग है कि लापरवाही बरतने वाले डॉक्टर पर कार्रवाई की जाए। कैसे बिना देखे मृत व्यक्ति को दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया गया। यह बेहद गंभीर मामला है इस मामले की जांच की जानी चाहिए। हैरानी की बात यह है कि सुनील की मौत के बाद पुर्जे पर रेफर लिखा गया। अगर यह पहले ही लिखा होता तो शायद सुनील की जान बचायी जा सकती थी और वह आज हमारे बीच होता। इस घटना से परिजनों के बीच कोहराम मचा हुआ है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
घटना के संबंध में जब उपाधीक्षक विकास कुमार से बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने बताया कि शराब पीने से मरीज की मौत हुई है। लेकिन सवाल यह उठता है कि बिना जांच किए शराब से मौत की पुष्टि उपाधीक्षक ने कैसे कर दी। बहरहाल मामला चाहे जो भी हो डॉक्टरों को अपनी ड्यूटी इमानदारी के साथ करनी चाहिए। क्योंकि बड़ी उम्मीद के साथ वे अस्पताल आते हैं कि मरीज की जान बचायी जा सके। मृतक के परिजनों ने सदर अस्पताल के चिकित्सक पर गंभीर आरोप लगाए हैं और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं ऐसे में देखना यह होगा कि स्वास्थ्य विभाग इस मामले में क्या कार्रवाई करती है।



