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गेट पर महागठबंधन का धरना, प्रशासन ने गांधी मैदान में नहीं दी अनुमति

गेट पर महागठबंधन का धरना, प्रशासन ने गांधी मैदान में नहीं दी अनुमति

05-Dec-2020 11:16 AM

PATNA: कृषि बिल के विरोध में महागठबंधन धरना गांधी मैदान के गेट नंबर 4 पर ही चल रहा है. गांधी मैदान के अंदर जिला प्रशासन ने धरना की अनुमति नहीं दी. जिसके बाद महागठबंधन के नेता और कार्यकर्ता गेट पर ही धरना पर बैठ गए हैं.



गांधी मैदान से निकाला बाहर

गांधी मैदान के अंदर गांधी मूर्ति के सामने महागठबंधन के नेता धरना देना चाहते थे, लेकिन जिला प्रशासन ने अनुमति नहीं दी. प्रशासन का कहना है कि गांधी के अंदर कोई धरना का जगह नहीं है. कृषि बिल के विरोध में आज तेजस्वी यादव पटना के गांधी मैदान में धरना देने वाले थे. तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद, कांग्रेस और वामदलों के नेता गांधी मैदान स्थित गांधी मूर्ति के सामने दो घंटे के लिए धरना पर बैठेंगे और कृषि बिल का विरोध करने वाले थे. लेकिन जिला प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी. 

किसानों के साथ धोखा

इसको लेकर तेजस्वी यादव ने कल कहा कि अगर नए कृषि विधेयक किसानों के पक्ष में है तो सरकार MSP को अनिवार्य रूप से लागू क्यों नहीं करती ? हम पूर्णत: किसानों के साथ खड़े है, आगे भी रहेंगे. किसानों को फसल का उचित दाम और  न्याय दिलाने के लिए कल सुबह 10 बजे से गांधी मैदान पटना में गांधी मूर्ति के सामने संकल्प लेंगे. तेजस्वी ने कहा कि तेल, रेल, हवाई जहाज, हवाई अड्डे, बंदरगाह, बीएसएनएल, एलआईसी बेचने के बाद भाजपा सरकार अब किसानों की ज़मीन भी पूंजीपतियों के हाथों बेचने पर तुली है. मोदी सरकार कृषि क्षेत्र का भी निजीकरण करने को आतुर है. 

बिहार के किसान करेंगे आंदोलन

तेजस्वी ने कहा कि मैं बिहार के किसान और संगठनों से अपील करता हूं  कि इस काले कानून के खिलाफ आपलोग सड़कों पर आए और इस आंदोलन को मजबूत करें. पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसानों में आक्रोश हैं. यह वही सरकार हैं तो किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करनी की बात करती है, लेकिन एमएसपी को खत्म कर दिया है. कृषि को भी प्राइवेट हाथ को सौंप रही है. जिससे प्राइवेट कंपनियों से किसान खरीद बिक्री करेंगे. लेकिन सरकार के सारे फैसले को हमलोगों ने देखा चाहे नोटबंदी हो गया कुछ हो. देश भर में मौजदा सरकार से किसान नाराज हैं. यह किसान विरोधी कानून है. किसानों को मिलना सही मूल्य मिलना चाहिए. कई जगहों पर कर्ज में डूबने से किसान आत्महत्या कर रहे है. जो अन्यदाता है उनके के लिए इस तरह का कानून बनाने देश के खिलाफ है.