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फर्स्ट बिहार की खबर का असर, पापा को दिल्ली से साइकिल पर बैठाकर दरभंगा लाने वाली बहादुर बिटिया की मदद करेगा जिला प्रशासन

फर्स्ट बिहार की खबर का असर, पापा को दिल्ली से साइकिल पर बैठाकर दरभंगा लाने वाली बहादुर बिटिया की मदद करेगा जिला प्रशासन

20-May-2020 12:13 PM

By PRASHANT KUMAR

DARBHANGA : पापा को साइकिल पर बैठाकर दिल्ली से दरभंगा लाने वाली बहादुर बिटिया की मदद अब दरभंगा जिला प्रशासन करेगा. आपको बता दें कि फर्स्ट बिहार ने भी इस खबर को प्रमुखता से दिखाई थी. जिसके बाद  दरभंगा जिला प्रशासन ने इस खबर पर संज्ञान लिया है.

बुधवार को जिला प्रशासन बहादुर बिटिया ज्योती के घर पहुंची. सदर SDO खुद उसके घर पहुंच मदद करने का भरोसा दिया. उन्होंने कहा कि ज्योती अभी के समय की श्रवण कुमार है. ज्योती के परिवार को हर सरकारी सहायता दी जाएगी. वहीं ज्योति के पढ़ने की इच्छा भी पुरी होगी औऱ जिला प्रशासन उसका  नामांकन नौवीं क्लास में कराया.


बता दें कि लॉकडाउन में एक मजदूर दिल्ली में फंसा था. बिमार होने के कारण उसने अपनी 13 साल की बेटी को भी लॉकडाउन लगने से पहले दिल्ली बुला लिया था. पर लॉकडाउन लगने के बाद दोनों वहीं फंस गए थे. जिसके बाद कमतौल थाना इलाके के सिंहवारा प्रखंड के सिरहुल्ली गांव के मोहन पासवान की 13 साल की बेटी ज्योति कुमारी अपने बिमार पिता को साइकिल पर बैठाकर दिल्ली से 8 दिन में दरभंगा पहुंची. जिसके बाद परिजन और ग्रामीणों ने उन्हें गांव के पुस्तकालय में क्वारेंटाइन कर दिया.

अपने गांव पहुंचने के बाद बीमार पिता ने जो आपबीती सुनाई तो उनका दर्द सामने आ गया.  मोहन पासवान ने बताया वे दिल्ली-नोएडा कापासहेरा बॉर्डर पर ई रिक्शा चलाते थे. लॉकडाउन के पूर्व ही उनका 26 जनवरी को दिल्ली में एक्ससिडेंट हो गया और उनके जांघ की हड्डी कई भागों में टूट गयी. इस बीच  उन्हें पता चला कि दरभंगा से कुछ ग्रामीण दिल्ली आ रहे हैं. तब उन्होंने अपनी देखरेख के लिए अपनी बेटी ज्योति को इनलोगो के साथ दिल्ली बुला लिया. इस बीच लॉकडाउन हो गया औऱ काम बंद होने के कारण उन्होंने घर लौटने का मन बनाया. लेकिन कोई वाहन नहीं मिलने पर ट्रक वाले से बात की उसने दो लोगों को दरभंगा छोड़ने के लिए 6000 की मांग की. लेकिन पास में पैसा नहीं होने के कारण वे नहीं आ पाए. इसके बाद बेटी ने साइकिल से ही अपने पिता को घर ले जाने का फैसला लिया. पिता ने लाख मना किया पर बेटी नहीं मानी.  बेटी की जिद के आगे पिता भी झुक गए और साइकिल से ही दरभंगा के लिए निकल पड़े.  8 दिनों की लंबी यात्रा को तय कर दोनों अपने घर सकुशल पहुंच गए. पिता को अपनी बेटी पर गर्व है.