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01-Dec-2024 10:20 AM
By First Bihar
DESK : महाराष्ट्र में नई सरकार के शपथ ग्रहण की तारीख भले ही सामने आ चुकी है, लेकिन प्रदेश का मुखिया यानी की मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर अभी तक तस्वीरें साफ नहीं हुई हैं। इस बीच अब खबर यह है कि आरएसएस नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर हो रही चर्चाओं और जातिगत समीकरणों के आधार पर निर्णय लेने की संभावनाओं से नाखुश है।
संघ सूत्रों के अनुसार आरएसएस ने देवेंद्र फडणवीस और एक नाम को मुख्यमंत्री बनाने की बात भाजपा के बड़े नेता के पास रख दिया है। आरएसएस का कहना है कि यदि महाराष्ट्र में आज तस्वीर बदली है तो इसमें देवेंद्र का बहुत बड़ा रोल है। इसलिए उसे इनका इनाम मिलना चाहिए। आरएसएस के वह स्वाभाविक पसंद हैं। हालांकि, बीते कुछ दिनों में भाजपा के एक वर्ग ने मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए मुरलीधर मोहोल के नाम सामने रखे हैं।
इसके अलावा इस बार संघ के तरफ से जिस नाम पर चर्चा कि गई है उसमें विनोद तावड़े, चंद्रशेखर बावनकुले, चंद्रकांत पाटिल और मुरलीधर मोहोल के नाम हैं। जहां विनोद तावड़े, चंद्रकांत पाटिल और मोहोल मराठा समुदाय से आते हैं। बावनकुले ओबीसी वर्ग से हैं। इनके संभावित नामों ने जातिगत समीकरणों को चर्चा के केंद्र में ला दिया है।
मालूम हो कि मराठा और ओबीसी समुदायों ने विधानसभा चुनावों में अहम भूमिका निभाई। इन नेताओं के समर्थकों का मानना है कि मुख्यमंत्री चयन में इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए। ऐसे में संघ का कहना है या तो देवेंद्र का नाम तय करें या फिर चंद्रशेखर बावनकुले पर विचार करें। ऐसे में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर जारी असमंजस पर संघ परिवार नाराज है। हालांकि, आरएसएस ने चुनाव के दौरान ब्राह्मण जाति से आमने वाले देवेंद्र फडणवीस के समर्थन में जोर-शोर से प्रचार किया था। आरएसएस की योजना के तहत 3000 स्वयंसेवकों के साथ हर जिले में अभियान चलाकर महायुति की शानदार जीत सुनिश्चित की थी।
संघ ने भाजपा नेतृत्व को स्पष्ट रूप से संदेश दिया है कि फडणवीस की निर्णायक भूमिका को देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए चुना जाना चाहिए। ऐसा न करने से पार्टी को आगामी चुनावों विशेष रूप से बीएमसी के चुनावों में भारी नुकसान हो सकता है। संघ इस बात से भी निराश है कि जिन चार नेताओं को संघ ने तैयार किया है वे संघ के मार्गदर्शन का पालन नहीं कर रहे। संघ का कहना है कि अजित पवार और एकनाथ शिंदे, दोनों ही मराठा समुदाय से हैं। ऐसे में भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा मराठा मुख्यमंत्री पर जोर देने का कोई ठोस कारण नहीं है।