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03-Feb-2022 08:39 PM
PATNA: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का कोई प्रस्ताव नहीं है. केंद्र सरकार ने बिहार के लिए सवा लाख करोड़ रूपये का पैकेज घोषित किया था, जिसे दिया जा रहा है. लोकसभा में आज जेडीयू के सांसद ललन सिंह औऱ कौशलेंद्र कुमार ने ये मामला उठाया था जिसके जवाब में केंद्र सरकार ने दो टूक जवाब दिया.
केंद्र सरकार ने लोकसभा में साफ कहा कि बिहार या और देश के किसी दूसरे राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा देने का कोई प्रस्ताव नहीं है. दरअसल लोकसभा में राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह और कौशलेंद्र कुमार ने सवाल किया था कि बिहार और कुछ अन्य राज्यों के पिछड़ेपन से संबंधित नीति आयोग की रिपोर्ट के मद्देनजर क्या बिहार को विशेष दर्जा देने की सरकार की कोई योजना है? दोनों सांसदो के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन तथा योजना मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने अपने लिखित उत्तर में ये जानकारी दी.
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने अपने उत्तर में कहा कि नीति आयोग ने राज्यों के पिछड़ेपन पर कोई रिपोर्ट जारी नहीं हैं. लेकिन राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक यानि एमपीआई की बेसलाइन रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में गरीब लोगों का अनुपात सबसे ज्यादा है. यहां गरीबों की संख्या राज्य की जनसंख्या का 51.91 प्रतिशत है. इसके बाद झारखंड का नंबर आता है जहां 42.16 प्रतिशत गरीब है, फिर उत्तर प्रदेश है, जहां 37.79 प्रतिशत लोग गरीब है.
बिहार को सवा लाख करोड़ का पैकेज
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बहुत पहले यानि अतीत में पहाड़ी, दुर्गम भूभाग, कम जनसंख्या घनत्व और पड़ोसी देशों की सीमाओं से लगे सामरिक स्थानों जैसे खास मुद्दों को ध्यान में रख कर राष्ट्रीय विकास परिषद ने कुछ राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया था. लेकिन उसके बाद चौदहवें वित्त आयोग ने साझा योग्य करों के वितरण में सामान्य श्रेणी के राज्यों और विशेष श्रेणी के राज्यों में कोई अंतर नहीं किया. मंत्री ने कुछ औऱ विवरण पेश करते हुए कहा कि 2015 में भारत सरकार ने बिहार के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी. बिहार को वह सहायता दी जा रही है. राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि इस पृष्ठभूमि में बिहार सहित किसी भी दूसरे राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा देने का कोई प्रस्ताव नहीं है.