ब्रेकिंग न्यूज़

Jharkhand News: झारखंड में नक्सलियों का भारी उत्पाद, लेवी के लिए आठ गाड़ियों को लगाई आग Jharkhand News: झारखंड में नक्सलियों का भारी उत्पाद, लेवी के लिए आठ गाड़ियों को लगाई आग Bihar Child Height: बिहार में बच्चों की लंबाई अचानक कम कैसे हो गई? रिपोर्ट पढ़कर चौंक जाएंगे! Bihar News: बिहार में तेज रफ्तार कार और ट्रक की जोरदार टक्कर, हादसे में दो लोगों की मौत; तीन महिला घायल Bihar News: बिहार में तेज रफ्तार कार और ट्रक की जोरदार टक्कर, हादसे में दो लोगों की मौत; तीन महिला घायल Premanand Maharaj: फिर से बंद हुई वृंदावन वाले संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा, यह बड़ी वजह आई सामने Premanand Maharaj: फिर से बंद हुई वृंदावन वाले संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा, यह बड़ी वजह आई सामने High Voltage Drama: गर्लफ्रेंड के साथ उठा रहा था चाउमिन का लुत्फ़, माँ ने देखा तो बीच सड़क सिर से उतार दिया प्यार का भूत Bihar Assembly Election 2025: JDU ने तेजस्वी के EBC प्रेम की खोली पोल , कहा- RJD का रा. अध्यक्ष-लालू यादव, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, विप में नेता-राबड़ी देवी और ... Rahul Gandhi apology on Sikh riots: 1984 दंगों पर वोलें राहुल गांधी...कांग्रेस से हुईं गलतियां, जिम्मेदारी लेने को तैयार

अमित शाह ने ‘लल्लन बाबू’ का इलाज कर दिया है: नीतीश के लिए दरवाजा खोला लेकिन जानिये कैसे ललन सिंह की ‘होम्योपैथिक’ दवाई हो गयी

अमित शाह ने ‘लल्लन बाबू’ का इलाज कर दिया है: नीतीश के लिए दरवाजा खोला लेकिन जानिये कैसे ललन सिंह की ‘होम्योपैथिक’ दवाई हो गयी

29-Jan-2024 08:27 PM

By First Bihar

PATNA:  बात दो साल पुरानी यानि 2022 की है. 9 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार बीजेपी से पल्ला झाड़ कर राजद के साथ चले गये थे. इस वाकये के दो महीने बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार आये. पार्टी के नेताओं के साथ मीटिंग की. अमित शाह ने अपने नेताओं को कहा-“बिहार में भाजपा की रणनीति अब मैं खुद बनाऊंगा. नीतीश कुमार के लिए बीजेपी के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गये हैं औऱ लल्लन सिंह को भी नहीं भूलूंगा.” अमित शाह जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को लल्लन बाबू कह कर ही संबोधित करते हैं.


हर महीने-दो महीने पर बिहार आ रहे अमित शाह यहां की अपनी जनसभाओं में भी नीतीश कुमार के साथ साथ लल्लन बाबू का जिक्र जरूर करते थे. समय बदला, अमित शाह ने नीतीश कुमार के लिए बीजेपी के खिड़की-दरवाजे सब खोल दिये. लेकिन लल्लन बाबू को नहीं भूले. बिहार में सरकार का जो रूप दिख रहा है, उसका एक मैसेज बहुत क्लीयर है-अमित शाह ने लल्लन बाबू का इलाज कर दिया है.  


ऐसे होगा ललन सिंह का इलाज

बिहार बीजेपी ने 28 जनवरी को नीतीश कुमार के साथ सरकार बनाने से पहले अपने दो डिप्टी सीएम के नाम का एलान किया. बीजेपी नेताओं ने मीडिया से कहा कि विधायकों की सहमति से सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को अपना नेता और उप नेता चुन लिया है. यही दोनों डिप्टी सीएम बनेंगे. लेकिन हकीकत कुछ और था. दिल्ली से बीजेपी के आलाकमान ने 28 जनवरी की सुबह 10 बजे पटना में बैठे प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े को मैसेज दिया था- सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाना है. इन्हीं दोनों को विधायक दल का नेता और उपनेता चुनना है. विनोद तावड़े ने आलाकमान का फऱमान विधायकों को सुनाया और फिर उनसे सहमति के लिए हाथ उठवा लिया. 


विजय सिन्हा क्यों बनाये गये डिप्टी सीएम?

भाजपा के ढ़ेर सारे कार्यकर्ता औऱ नेता हैरान हैं. आखिरकार विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम क्यों बना दिया गया. वे पार्टी के किसी पैमाने पर फिट नहीं बैठते. भाजपा का फोकस इन दिनों पिछड़ों और अति पिछड़ों की राजनीति पर है. इस पैमाने पर सम्राट चौधरी फिट बैठते हैं. वैसे भी पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर नीतीश के खिलाफ चेहरा बना रखा था. लेकिन विजय सिन्हा क्यों? 


विजय कुमार सिन्हा भूमिहार जाति से आते हैं. इस जाति का कोई बहुत बड़ा वोट बैंक नहीं है. दूसरी बात ये कि विजय सिन्हा का प्रभाव अपनी ही जाति पर बहुत ज्यादा नहीं है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहते हुए भी विजय कुमार सिन्हा की कार्यशैली पर बहुत सारे सवाल उठे. वे अपनी पार्टी के विधायकों को ही नहीं संभाल पाये. सरकार को घेरने में भी सफल नहीं रहे थे. फिर उन्हें डिप्टी सीएम पद पर बिठाने का मतलब क्या है. इस सवाल का जवाब बहुत बड़ा है.


अमित शाह ने ललन सिंह का उपाय किया

भाजपा के कई नेताओं से हमने बात की. पता चला कि विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाने का फैसला अमित शाह का था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अमित शाह को बिहार के सारे फैसले लेने के लिए खुला छोड़ रखा है. अमित शाह  ने विजय कुमार सिन्हा के जरिये ‘लल्लन बाबू’ का इलाज करने का रास्ता तलाशा है. 


पूरे प्रकरण को विस्तार से समझिये. जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह मुंगेर संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं. अपने संसदीय क्षेत्र में ही उनकी जान बसती है. विजय कुमार सिन्हा लखीसराय विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. लखीसराय विधानसभा क्षेत्र मुंगेर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है. ये भी बताना जरूरी है कि ललन सिंह के संसदीय क्षेत्र में भले ही 6 विधानसभा क्षेत्र हों, लेकिन वे लखीसराय से ही अपने क्षेत्र की राजनीति करते हैं. लखीसराय में ललन सिंह ने अपना कार्यालय तक खोल रखा है. ललन सिंह लखीसराय का ही सबसे ज्यादा दौरा करते हैं.


काफी पहले से ललन-विजय में 36 का आंकड़ा

खास बात ये है कि ललन सिंह और विजय कुमार सिन्हा में काफी पहले से 36 का आंकड़ा रहा है. 2020 के विधानसभा चुनाव में इस बात की खूब चर्चा थी कि ललन सिंह ने विजय कुमार सिन्हा को हराने की पूरी कोशिश की. नीतीश के खास माने जाने वाले ललन सिंह ने लखीसराय में पुलिस से लेकर प्रशासन तक में निचले स्तर भी अपने आदमियों को बिठा रखा है. 


विजय कुमार सिन्हा जब बिहार विधानसभा के अध्यक्ष थे तो एक वाकया खूब चर्चा में रहा. बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा अपने क्षेत्र के एक दरोगा से परेशान थे. दरोगा से लेकर डीएसपी और एसपी कोई उनकी बात नहीं सुन रहा था. परेशान विजय सिन्हा भाजपा के दूसरे विधायकों से सदन के अंदर दरोगा और डीएसपी के खिलाफ सवाल उठवा रहे थे और सरकार से कार्रवाई करने को कह रहे थे. सदन के अंदर विजय सिन्हा का दरोगा प्रकरण ऐसा चला कि एक दिन नीतीश कुमार आपा खो बैठे थे. वे सदन के अंदर ही अध्यक्ष पर बरस पड़े थे. 


विजय कुमार सिन्हा विधानसभा अध्यक्ष होने के बावजूद इसलिए बेबस थे क्योंकि दरोगा से लेकर डीएसपी और एसपी सब ललन सिंह के आदमी थे. उन्हें अपने आलाकमान का फरमान मिला हुआ था कि विजय कुमार सिन्हा की बात नहीं सुननी है. लिहाजा उनकी कोई बात पुलिस या प्रशासन का कोई अधिकारी सुन ही नहीं रहा था. विधानसभा में सवाल उठवा कर भी विजय कुमार सिन्हा दरोगा तक का कुछ नहीं बिगाड़ पाये. 


2022 में जब जेडीयू और बीजेपी अलग हुई तो ललन सिंह ने विजय कुमार सिन्हा को निपटाने की अपनी मुहिम और तेज कर दी थी. लखीसराय क्षेत्र में विजय कुमार सिन्हा के समर्थकों को चुन चुन कर जेडीयू में शामिल कराया जाने लगा. साम, दाम, दंड भेद सारे अस्त्र उपयोग किये गये. विजय कुमार सिन्हा चुपचाप तमाशा देखने के अलावा और कुछ नहीं कर पाये.


विजय सिन्हा करेंगे उपाय

बिहार में इस बार बनी जेडीयू-बीजेपी की सरकार वैसी नहीं है, जैसे पहले हुआ करती थी. नीतीश कुमार की स्थिति जगजाहिर है. बीजेपी की ताकत भी सब जान रहे हैं. जाहिर है इस सरकार में बीजेपी के डिप्टी सीएम की इतनी तो चलेगी कि वह अपने क्षेत्र में अपने मनमाफिक अधिकारियों की पोस्टिंग करा सके. अपने हिसाब से काम करवा सके.


दूसरी ओर ललन सिंह की स्थिति देखिये. राजनीति को समझने वाला हर शख्स ये जान रहा है कि ललन सिंह का रूतबा और हैसियत पहले से कम हुआ है. भाजपा से जानी दुश्मनी होने के बावजूद वे नीतीश को बीजेपी के साथ जाने से रोक नहीं पाये. अब ललन सिंह इस हैसियत में नहीं है कि वे नीतीश कुमार और सीएम कार्यालय से अपने मनमाफिक सारा काम करा पाये. बीजेपी नीतीश कुमार का लिहाज करेगी लेकिन ललन सिंह के मामले में सख्त होने में परहेज नहीं करेगी. 


2020 का हिसाब 2024 में

इस खेल को समझ रहे एक बीजेपी नेता ने बताया कि 2020 का हिसाब 2024 में लिया जायेगा. ललन सिंह ने 2020 के विधानसभा चुनाव में विजय कुमार सिन्हा के लिए जो कर रहे थे, अब उसका उलटा होगा. विजय कुमार सिन्हा उसी तरीके का खेल ललन सिंह के लिए खेलेंगे. यानि लोकसभा का अगला चुनाव ललन सिंह के लिए मुश्किलों भरा होगा. ये भी तय है कि ललन सिंह के लिए बीजेपी के कार्यकर्ता एक्टिव नहीं रहेंगे. 2022 के अगस्त से 2024 के जनवरी तक ललन सिंह ने बीजेपी नेताओं-कार्यकर्ताओं के लिए इतने गढ्डे खोदे हैं कि उन्हें भरना किसी सूरत में मुमकिन नहीं है. 


बीजेपी नेता ने कहा कि बीजेपी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि जेडीयू एक सीट हार जाये. अगर ललन सिंह हार भी जायें तो बीजेपी को चिंता नहीं होगी. अमित शाह उन राजनेताओं में शुमार किये जाते हैं जो अपने दुश्मनों को नहीं भूलते. बिहार में भी इसकी पटकथा लिखी जा चुकी है.