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02-May-2020 07:19 PM
PATNA : महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी फंसते देख चुनाव आयोग ने रास्ता निकाल दिया. लेकिन बिहार विधान परिषद के सभापति के लिए ऐसी कोई पहल नहीं हुई. 4 दिनों के बाद बिहार विधान परिषद बिना किसी सभापति के हो जायेगा. 83 साल के इतिहास में ऐसा तीसरी दफे होगा कि बिहार के उच्च सदन का कोई सभापति नहीं होगा. मुश्किल ये है कि इस दौरान सरकार चाह कर भी किसी को कार्यकारी सभापति नहीं बना सकती है.
6 मई को रिटायर कर जायेंगे हारूण रशीद
बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति हारूण रशीद का कार्यकाल 6 मई को समाप्त हो रहा है. लिहाजा 6 मई तक तो विधान परिषद में वे सभापति के तौर पर काम करते रहेंगे. लेकिन उसके बाद ये पद खाली हो जायेगा. दरअसल बिहार विधान परिषद के 17 सीट पर काबिज विधान पार्षदों के कार्यकाल समाप्त हो रहे हैं. उनका चुनाव होना था लेकिन कोरोना संकट को देखते हुए चुनाव को टाल दिया गया. ऐसे में हारूण रशीद समेत 17 विधान पार्षद पूर्व MLC हो जायेंगे.
फिलहाल कार्यकारी सभापति भी नहीं बना सकती सरकार
मुश्किल ये है कि हारूण रशीद के रिटायर होने के बाद फिलहाल सरकार किसी दूसरे विधान पार्षद को भी कार्यकारी सभापति नहीं बना पायेगी. दरअसल सदन की कार्यवाही अभी चल नहीं रही है. बिहार विधान परिषद की कार्यसंचालन नियमावली के जानकारों के मुताबिक चलते सत्र में ही सरकार किसी को सभापति बना सकती है. सदन की कार्यवाही कब चलेगी इसे बता पाना संभव नहीं है. लिहाजा लंबे समय तक विधान परिषद बिना सभापति के रहेगा.
83 साल के इतिहास में तीसरी दफे आया ये मौका
बिहार विधान परिषद के 83 साल हो चुके हैं. तीसरी दफे ये मौका आया है जब विधान परिषद का कोई सभापति नहीं होगा. संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के मुताबिक पहले भी बिहार विधान परिषद के सभापति का पद दो बार खाली रह चुका है. सदन का अध्यक्ष और स्पीकर होने के लिए आपको सदन का सदस्य होना जरूरी है. सुभाष कश्यप के अनुसार हारूण राशीद पिछल दो साल से परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष हैं. कार्यकाल पूरा होने पर उन्हें यह पद छोड़ना होगा. अब चुनाव आयोग पर निर्भर करता है कि वह चुनाव प्रक्रिया को कब शुरू करता है.