वैशाली में कोचिंग जा रही छात्रा से छेड़खानी, केस वापस लेने का दबाव, पूरे परिवार को जान से मारने की दी धमकी पुल निर्माण के दौरान मिट्टी धंसने से 10 वर्षीय किशोर की दर्दनाक मौत, बकरी चराने के दौरान हादसा BIHAR: निषाद आरक्षण पर राजनीति तेज, VIP ने BJP पर जनता को बरगलाने का लगाया आरोप मुजफ्फरपुर में बेपटरी हुई मालगाड़ी, बाल-बाल बचा रेल कर्मी, ट्रेनों का परिचालन बाधित Bihar News: नहाने के दौरान डूबने से दो लड़कियों की मौत, दादा को खाना पहुंचाने गई थीं दोनों बच्चियां आरा में 22 जून को 'संत सम्मेलन' का आयोजन, जन जागरण सेवा कल्याण संस्थान का कार्यक्रम JDU विधायक के भांजे की हत्या का खुलासा, मुख्य आरोपी गिरफ्तार, प्रॉपर्टी के लिए छोटे भाई ने घटना को दिया था अंजाम Bihar News: काली कमाई से अकूत संपत्ति बनाने वाले अपराधियों की खैर नहीं, इस नए कानून को हथियार बनाएगी बिहार पुलिस Bihar News: काली कमाई से अकूत संपत्ति बनाने वाले अपराधियों की खैर नहीं, इस नए कानून को हथियार बनाएगी बिहार पुलिस IOCL में प्रबंधन की तानाशाही के खिलाफ आमरण अनशन, पूर्वी क्षेत्र के सभी लोकेशनों पर विरोध प्रदर्शन जारी
01-May-2025 10:43 AM
By First Bihar
Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने के लिए आने वाला हर व्यक्ति सम्मान और उचित व्यवहार पाने का हकदार है। यह व्यक्ति का मौलिक अधिकार है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सुनिश्चित किया गया है।
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने तमिलनाडु राज्य मानवाधिकार आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने तमिलनाडु राज्य मानवाधिकार आयोग के फैसले को बहाल किया, जिसमें धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराने थाने गए एक व्यक्ति के साथ पुलिस इंस्पेक्टर द्वारा दुर्व्यवहार करने और प्राथमिकी दर्ज न करने पर राज्य सरकार पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। इस जुर्माने की राशि इंस्पेक्टर से वसूलने का आदेश भी दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा दिए गए फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि पुलिस थाने में फरियादी के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए। जस्टिस ओका ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न नहीं किया जा सकता, खासकर तब जब वह अपनी शिकायत लेकर पुलिस के पास जा रहा हो।
बता दे कि तमिलनाडु के पुलिस इंस्पेक्टर पीवाई धसन ने राज्य मानवाधिकार आयोग के इस फैसले को चुनौती दी थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और फैसला यथावत रखा। यह निर्णय न्यायपालिका द्वारा पुलिस कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और फरियादियों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।