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20-Nov-2025 10:52 AM
By First Bihar
Bihar Politics : बिहार की राजनीति गुरुवार को एक बार फिर इतिहास रचने जा रही है। राज्य की कमान एक बार फिर जेडीयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार के हाथों में आने वाली है। वे 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं—देश में अब तक किसी भी नेता ने इतनी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ली है। यह उपलब्धि अपने-आप में अद्वितीय है, लेकिन इससे आगे एक और बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है: क्या नीतीश कुमार देश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का
रिकॉर्ड अपने नाम कर पाएंगे? 18 साल से अधिक का सफ़र, बिहार में सबसे आगे नीतीश
नीतीश कुमार पहली बार साल 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि वह कार्यकाल सिर्फ 7 दिनों का रहा, क्योंकि सदन में बहुमत साबित नहीं कर सके और पद छोड़ना पड़ा। असली राजनीतिक स्थिरता 2005 के विधानसभा चुनावों के बाद आई, जब उन्होंने दोबारा सत्ता संभाली और बिहार की राजनीति में एक लंबे दौर की शुरुआत हुई।
बीच में एक छोटा अंतराल जरूर आया जब 2014–2015 में जीतनराम मांझी कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री बने, लेकिन कुल मिलाकर नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में 18 साल से ज्यादा समय पूरा कर चुके हैं। बिहार में उनसे अधिक लंबे समय तक शासन किसी और नेता ने नहीं किया है।
देश में सबसे लंबे कार्यकाल का रिकॉर्ड अब भी दूर
हालांकि बिहार में यह रिकॉर्ड उनके नाम है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वालों की सूची में वे अभी पीछे हैं।देश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड सिक्किम के पवन कुमार चामलिंग के नाम है। चामलिंग 12 दिसंबर 1994 से 26 मई 2019 तक लगातार मुख्यमंत्री रहे। यह कार्यकाल करीब 24 साल और 165 दिन का रहा—एक ऐसा रिकॉर्ड जिसे अब तक कोई छू भी नहीं सका है।
चामलिंग के बाद दूसरा नाम ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का आता है, जिन्होंने 24 साल 99 दिन तक सत्ता संभाली। वे 2000 से 2024 तक राज्य पर शासन करते रहे और लगातार पांच बार मुख्यमंत्री बने। इसके बाद पश्चिम बंगाल के दिग्गज नेता ज्योति बसु, जो 1977 से 2000 तक करीब 23 साल मुख्यमंत्री रहे।अरुणाचल प्रदेश के गेगोंग अपांग कुल मिलाकर लगभग 23 साल, मिजोरम के लाल थनहवला करीब 22 साल, हिमाचल के वीरभद्र सिंह 21 साल और त्रिपुरा के माणिक सरकार 19 साल से ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहे।
अब कहां खड़े हैं नीतीश कुमार?
नीतीश कुमार अब तक 18 वर्ष से अधिक मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे इस सूची में फिलहाल आठवें स्थान पर आते हैं। लेकिन नई सरकार के गठन के बाद उनका यह कार्यकाल और आगे बढ़ेगा। प्रश्न यह है कि क्या वे देश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता बन सकते हैं? अगर नीतीश कुमार लगातार 2031 तक मुख्यमंत्री बने रहते हैं, तब जाकर वे पवन चामलिंग के रिकॉर्ड को चुनौती दे पाएंगे। इसका अर्थ है कि उन्हें कम से कम छह साल और पद पर बने रहना होगा।
क्या यह संभव है? आयु और राजनीति दोनों हैं चुनौती
नीतीश कुमार की उम्र फिलहाल 75 वर्ष हो चुकी है। 2031 तक वे 81 वर्ष के हो जाएंगे। इस दृष्टि से लंबा कार्यकाल उम्र की चुनौती के साथ आता है। राजनीतिक रूप से भी बिहार में परिस्थितियां तेजी से बदलती रहती हैं। पिछले एक दशक में नीतीश कुमार ने कई बार गठबंधन बदले हैं। वे एनडीए से महागठबंधन में गए और फिर महागठबंधन से NDA में लौटे। ऐसे राजनीतिक उतार-चढ़ाव में लगातार सत्ता में बने रहना आसान नहीं।
लेकिन यह भी उतना ही सच है कि नीतीश बिहार की राजनीति के सबसे अनुभवी, स्थापित और प्रभावशाली नेता बने हुए हैं। उनकी प्रशासनिक छवि, गठबंधन राजनीति में पकड़ और जनता में पहचान उन्हें लगातार सत्ता में बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है।
10वीं बार शपथ: एक नया कीर्तिमान
नीतीश कुमार गुरुवार को 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर एक और रिकॉर्ड अपने नाम कर लेंगे। देश में आज तक कोई नेता इतना लंबा राजनीतिक सफर तय करते हुए इतने बार मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ले सका है। यह उपलब्धि उन्हें भारतीय राजनीति के इतिहास में अलग पहचान देती है।
नीतीश कुमार पहले ही बिहार के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री बन चुके हैं। लेकिन पवन चामलिंग के राष्ट्रीय रिकॉर्ड तक पहुंचने के लिए उन्हें कम से कम छह साल और पद पर बने रहना होगा। राजनीतिक परिपक्वता, गठबंधन संतुलन और जनता का विश्वास—इन तीनों सूत्रों के सहारे यदि वे 2031 तक मुख्यमंत्री रहते हैं, तो निश्चित रूप से भारत के इतिहास में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता बन जाएंगे। फिलहाल, नीतीश कुमार एक बार फिर सत्ता की कमान संभालने को तैयार हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले वर्ष उनकी राजनीतिक यात्रा को किस दिशा में ले जाते हैं।