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Bihar Protem Speaker : बिहार में नई सरकार से पहले प्रोटेम स्पीकर की रेस तेज, इन दावेदारों पर टिकी सबकी निगाहें

Bihar Protem Speaker : बिहार में नई सरकार बनने से पहले प्रोटेम स्पीकर को लेकर सियासी हलचल तेज है। प्रेम कुमार, बिजेंद्र यादव और हरिनारायण सिंह दावेदार माने जा रहे हैं। 20 नवंबर को नई टीम का ऐलान होगा।

Bihar Protem Speaker : बिहार में नई सरकार से पहले प्रोटेम स्पीकर की रेस तेज, इन दावेदारों पर टिकी सबकी निगाहें

19-Nov-2025 02:26 PM

By First Bihar

Bihar Protem Speaker : बिहार में नई सरकार के गठन की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। राजधानी पटना से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक हलचल अपने चरम पर है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 20 नवंबर को सुबह 11:30 बजे गांधी मैदान में शपथ लेंगे। लेकिन शपथ ग्रहण से पहले सबसे बड़ा सवाल यह है कि विधानसभा के पहले सत्र को संचालित करने की जिम्मेदारी किस नेता को सौंपी जाएगी। यानी प्रोटेम स्पीकर कौन होगा?


हालांकि आधिकारिक घोषणा अभी तक नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि तीन नाम इस रेस में सबसे आगे बताए जा रहे हैं—प्रेम कुमार, बिजेंद्र यादव और हरिनारायण सिंह। ये तीनों नेता न सिर्फ वरिष्ठ हैं, बल्कि विधानसभा संचालन का लंबा अनुभव भी रखते हैं। इसलिए इन्हें सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है।


क्यों अहम होता है प्रोटेम स्पीकर का पद?

प्रोटेम स्पीकर का पद भले ही अस्थायी हो, लेकिन इसकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। नई विधानसभा के पहले दिन की पूरी जिम्मेदारी प्रोटेम स्पीकर संभालता है। वह सबसे पहले नए निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाता है। इसके बाद विधानसभा के स्थायी स्पीकर के चुनाव की प्रक्रिया को करवाता है। इस पद पर आम तौर पर ऐसे नेता को चुना जाता है, जो न सिर्फ वरिष्ठ हो, बल्कि सभी दलों का विश्वास भी रखता हो। प्रोटेम स्पीकर का कार्यकाल कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक ही रहता है। जैसे ही स्थायी स्पीकर का चुनाव हो जाता है, प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है। यही कारण है कि इस पद के चयन को लेकर राजनीतिक गलियारों में गहन मंथन चल रहा है।


प्रोटेम स्पीकर की रेस में कौन है आगे?

सूत्रों के अनुसार, जिन तीन नामों पर सबसे ज्यादा सहमति बनती दिख रही है, वे ये हैं प्रेम कुमार – कई बार के विधायक और राज्य की राजनीति का अनुभवी चेहरा। बिजेंद्र यादव – जदयू के वरिष्ठ नेता, संगठन और सरकार दोनों में मजबूत पकड़। हरिनारायण सिंह – भाजपा के वरिष्ठ विधायक, शांत स्वभाव और विधायी कार्यों का अच्छा अनुभव। इनमें से किसी एक को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने की संभावना सबसे अधिक है।


शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी चरम पर

20 नवंबर को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह के लिए पटना के गांधी मैदान में बड़े स्तर पर तैयारियां चल रही हैं। करीब 30 मंत्रियों के नीतीश कुमार के साथ शपथ लेने की संभावना जताई जा रही है। सुरक्षा व्यवस्था से लेकर वीआईपी आगमन तक, प्रशासन के सभी विभाग पूरी तत्परता से जुटे हुए हैं। नई सरकार के गठन से ठीक पहले राजधानी में राजनीतिक बैठकों का दौर लगातार जारी है। जदयू, भाजपा और एनडीए के अन्य सहयोगी दलों के नेता संभावित मंत्रियों और विभागों को लेकर अपनी-अपनी राय रख रहे हैं।


जदयू के पुराने चेहरों की हो सकती है वापसी

जदयू सूत्रों के अनुसार, इस बार नीतीश कुमार अपने कई पुराने और अनुभवी नेताओं को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल कर सकते हैं। यह फैसला प्रशासनिक स्थिरता और शासन की निरंतरता को देखते हुए लिया जा सकता है। एनडीए के सहयोगी दलों को भी इस बार कैबिनेट में उचित प्रतिनिधित्व दिए जाने के संकेत हैं।


एनडीए सहयोगियों को भी मिल सकती है जगह

आरएलएम से उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेह लता को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चा तेज है। हम पार्टी से राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन को एक बार फिर मंत्री बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है। जातीय संतुलन, अनुभव और राजनीतिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए नई टीम तैयार की जा रही है। माना जा रहा है कि इस बार कैबिनेट में हर वर्ग और हर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा।


राजनीतिक सक्रियता अपने चरम पर

शपथ ग्रहण से पहले पटना में राजनीतिक गतिविधि तेजी से बढ़ गई है। नेताओं के आवासों पर बैठकों का सिलसिला जारी है। कौन मंत्री बनेगा, किसे कौन-सा विभाग मिलेगा—इस पर चर्चाएं जोरों पर हैं। जदयू और भाजपा दोनों ही अपनी-अपनी सूची को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अंतिम समय तक सस्पेंस रखने के लिए जाने जाते हैं, इसलिए आधिकारिक सूची शपथ ग्रहण से कुछ घंटे पहले ही सामने आएगी।


20 नवंबर को साफ हो जाएगी तस्वीर

20 नवंबर को न सिर्फ नई सरकार का चेहरा सामने आएगा, बल्कि यह भी तय हो जाएगा कि विधानसभा के पहले सत्र में प्रोटेम स्पीकर की भूमिका कौन निभाएगा। राजनीति के जानकारों का मानना है कि वरिष्ठता और सर्वसम्मति की कसौटी पर जो भी नेता सबसे उपयुक्त पाया जाएगा, वह इस पद तक पहुंचेगा। अब सभी की निगाहें 20 नवंबर पर टिकी हैं, जब बिहार की नई सत्ता संरचना का स्वरूप स्पष्ट होगा और नई सरकार कामकाज की दिशा तय करेगी।