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12-Apr-2025 02:31 PM
By First Bihar
Cyber fraud in Bihar : देश में साइबर अपराधों की बाढ़ आ चुकी है। वर्ष 2024 में अकेले 22,812 करोड़ रुपये की ठगी के मामले दर्ज हुए हैं। यह आंकड़ा बीते चार वर्षों में साइबर अपराध में 900% की बढ़ोतरी को दर्शाता है।
बिहार, खासकर नालंदा, पटना, जमुई, शेखपुरा और दरभंगा जैसे जिले अब नए साइबर ठगी हॉटस्पॉट बन चुके हैं। CBI के नाम पर गया जिले के जाने माने डॉ. अभय नारायण रॉय से 4.40 करोड़ की ठगी हुई थी।अपराधी ने CBI केस का डर दिखाकर उनके साथ ये बड़ा साइबर स्कैम हुआ था| वहीँ पटना में कुछ दिन पहले एक रिटायर्ड प्रोफेसर से करोड़ों कि ठगी हुए थी |
नालंदा में FIR पोर्टल से डेटा चुराकर ठगी का नया मॉडल
नालंदा पुलिस ने हाल ही में खुलासा करते हुए बताया था कि साइबर अपराधियों ने एक बेहद शातिर तरीका अपनाया है। स्थानीय थानों द्वारा स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (SCRB) पोर्टल पर अपलोड की गई FIR की जानकारी को हैक कर ठग पीड़ितों और आरोपियों से संपर्क करते हैं। वे उन्हें केस से नाम हटाने या फर्जी साबित करने का लालच देकर बड़ी रकम ऐंठते हैं।
ऑपरेशन 'प्रहार' से पुलिस को मिली थी सफलता
हालाँकि नालंदा पुलिस ने ऑपरेशन 'प्रहार' के तहत 21 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया था । पुलिस ने इनके पास से सात लाख नकद, मोबाइल फोन, लैपटॉप, एटीएम कार्ड और अन्य उपकरण जब्त किए। इनमें चार नाबालिग भी शामिल हैं। इसके अलावा उगावा गांव में अश्लील चैटिंग के नाम पर चल रहे ठगी रैकेट का भी भंडाफोड़ हुआ, जिसमें तीन आरोपी गिरफ्तार किए गए।
देशभर में छोटे शहर बने साइबर फ्रॉड की फैक्ट्री (hotspot)
IIT कानपुर के हालिया Future Crime Research Foundation की रिपोर्ट A Deep Dive into Cybercrime Trends Impacting India के अनुसार, देवघर, नूंह, मथुरा जैसे छोटे शहर साइबर फ्रॉड के नए अड्डे बनते जा रहे हैं। देश में टॉप 10 साइबर फ्रॉड जिले 2020-2023 डेटा के अनुसार राजस्थान के भरतपुर में 18%, यूपी के मथुरा में 12%, हरियाणा के नूंह में 11%, झारखंड के देवघर में 10%, झारखंड के जामताड़ा में 9.6%, हरियाणा के गुरुग्राम 8.1%, राजस्थान के अलवर में 5.1%, झारखंड के बोकारो में 2.4%, झारखंड के कर्मा टांड़ में 2.4%, झारखंड के गिरिडीह में 2.3% ये देश टॉप जिले हैं जहाँ साइबर क्राइम को अंजाम दिया जाता है |
बिहार में भी हालात बेहद चिंताजनक
एक रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2024 तक 5,187 साइबर फ्रॉड केस दर्ज हुए थे और 571 गिरफ्तारियां हुईं थी। सबसे अधिक कॉल 1930 हेल्पलाइन पर आती है .प्रतिदिन करीब 5,000 से 5,500 से अधिक कॉल रिसीव किया जाता है | जिनमें 85% वित्तीय ठगी से जुड़े होते हैं। बिहार के बांका, बेगूसराय, जमुई, नालंदा, पटना, सासाराम और शेखपुरा जिले साइबर अपराध के प्रमुख केंद्र बन चुके हैं| पटना में दर्ज साइबर अपराध के मामलों के अध्ययन से पता चलता है कि साइबर अपराधी लोगों को निशाना बनाने के लिए कई तरीके अपनाते हैं।पुलिस जांच में यह सामने आया है कि ये अपराधी एक टीम के रूप में संगठित होकर काम करते हैं। वे सोशल मीडिया पर लोगों की प्रोफाइल को घंटों खंगालते हैं और उनके दोस्तों, पसंद-नापसंद व जरूरतों की जानकारी जुटाते हैं। इसके बाद वे इस जानकारी का इस्तेमाल कर ठगी की घटनाओं को अंजाम देते हैं |
ये हैं साइबर अपराध के प्रमुख तरीके:
फेक लिंक और OTP के जरिये और नकली वेबसाइटों और पासवर्ड के माध्यम से ठगी की वारदात को अंजाम दिया जाता है | भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक ट्रिक का इस्तेमाल भी खूब की जाती है | KYC फ्रॉड और बिजली बिल घोटाले के नाम पर ग्राहकों की जानकारी लेकर ठगी होती है | फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल क्रिएट कर ब्कलैकमेल और भावनात्मक शोषण भी किया जाता है |
क्या है पुलिस की तैयारी
बढ़ते साइबर फ्रॉड को देखते हुए बिहार में 44 साइबर थाना स्थापित किए गए हैं। महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधानों के साथ डाक या ईमेल के माध्यम से भी शिकायत की जा सकती है। पुलिस सोशल मीडिया पर अश्लीलता फैलाने वालों पर पुलिस की नजर रहती है ,हालाँकि इसका असर बहुत कम दिखता है |
आपको बता दे कि बिहार में साइबर अपराध अब एक संगठित उद्योग का रूप ले चुका है।जिसमे पढ़े लिखे Tech Savvy युवा शामिल हैं ,जो सरगना चलने में अहम रोल निभाते हैं |जबकि झारखंड और बिहार में ये खेल ग्रामीण इलाकों से ऑपरेट किया जाता है,जिसमे कम पढ़े लिखे युवा ये cyber fraud में शामिल रहते हैं ,गरीबी, बेरोजगारी और सामाजिक असमानता इसकी प्रमुख वजहें हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए पुलिस, आम नागरिकों और सरकार सभी को मिलकर सतर्कता, शिक्षा और तकनीकी सुधारों पर काम करना होगा|
साइबर ठगी से बचने के उपाय
AI वॉयस क्लोनिंग से सावधान रहें
आजकल तकनीक इतनी एडवांस हो गई है कि आपकी या किसी जान-पहचान वाले की आवाज़ हूबहू कॉपी की जा सकती है। अगर कोई अनजान कॉल पर मदद मांगता है या पैसे की बात करता है, तो बिना पुष्टि किए उस पर भरोसा न करें।
सोशल मीडिया पर सतर्कता जरूरी है
अपनी प्रोफाइल को पब्लिक न रखें। जन्मतिथि, पता, मोबाइल नंबर या बैंक डिटेल्स जैसे निजी जानकारी कभी शेयर न करें। साइबर अपराधी इन्हीं से आपकी पहचान चुरा सकते हैं।और गूगल पर कस्टमर केयर नंबर सर्च न करें कई बार गूगल सर्च में फर्जी कस्टमर केयर नंबर दिखाई देते हैं। किसी भी कंपनी से संपर्क करने के लिए उनकी ऑफिशियल वेबसाइट या मोबाइल ऐप का ही इस्तेमाल करें।
फर्जी ट्रेडिंग ऑफर से रहें दूर
सोशल मीडिया पर शेयर मार्केट या क्रिप्टो ट्रेडिंग में जल्दी पैसा कमाने के लालच में न आएं। ऐसे स्कैम में आपको फर्जी ऐप डाउनलोड करने या पैसे ट्रांसफर करने को कहा जाता है। सोच-समझकर निवेश करें।
“एक क्लिक आपकी पूरी कमाई उड़ा सकता है — सावधानी ही सुरक्षा है।”