रोहतास में भीषण सड़क हादसा: दो बाइकों की आमने-सामने टक्कर में 4 युवकों की दर्दनाक मौत विजिलेंस का ताबड़तोड़ एक्शन: पटना में भ्रष्ट आपूर्ति पदाधिकारी गिरफ्तार, निगरानी ने 10 हजार रुपये घूस लेते दबोचा सहरसा में ट्रैक्टर चालक से दिनदहाड़े एक लाख की छिनतई, चाकू के बल पर बदमाशों ने घटना को दिया अंजाम ट्रेनिंग के दौरान कैसे IAS-IPS अफसरों में हो जाता है प्यार, क्यों बढ़ रही है आपसी शादियों की संख्या अरवल में आंगनबाड़ी सहायिका की रेप के बाद पीट-पीटकर हत्या, इलाके में सनसनी Bihar Sand Scam: पटना में जब्त बालू का बड़ा खेल...EOU की जांच के बाद बिक्रम थाने में लाईसेंसधारियों के खिलाफ केस दर्ज Bihar Ips Officer: बिहार के 5 IPS अफसरों को मिला नया जिम्मा...आने वाले कुछ दिनों तक प्रतिस्थानी के तौर पर करेंगे काम BIHAR: अब 24 घंटे में बनेगा ड्राइविंग लाइसेंस, परिवहन मंत्री श्रवण कमार ने एजेंसी को दिये सख्त निर्देश सुपौल के लाल मोहम्मद इजहार ने रचा इतिहास, जिले का नाम किया रोशन, मुंबई इंडियंस ने 30 लाख में खरीदा वैशाली में मानव तस्करी और देह व्यापार का खुलासा, दो बहनों का रेस्क्यू, 5 गिरफ्तार
05-Apr-2025 05:57 PM
By First Bihar
Bihar girls education : बिहार में अब बेटियाँ न केवल स्कूल जा रही हैं, बल्कि आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं। यह बदलाव केवल परिवारों की सोच में नहीं, बल्कि सरकार की योजनाओं और सामाजिक परिवेश में आए सकारात्मक परिवर्तन में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
अब बिहार में हर क्षेत्र में पढ़ाई, सुरक्षा और सुविधाओं का विस्तार हुआ है। हालाँकि, शिक्षा के क्षेत्र में बिहार अब भी कुछ अन्य राज्यों की तुलना में पीछे है, विशेषकर उच्च शिक्षा में जहाँ सकल नामांकन दर (GER - Gross Enrollment Ratio) अपेक्षाकृत कम है। अधिकांश लड़कियाँ 10वीं और 12वीं तक पढ़ाई कर लेती हैं, लेकिन उच्च शिक्षा की ओर बढ़ते समय कई बार आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक बाधाओं के कारण उनका हौसला टूट जाता है। मगर अब सरकार की इच्छाशक्ति और योजनाओं के प्रभाव से इस स्थिति में सुधार हो रहा है।
राज्य सरकार ने बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू की हैं। बेटी के जन्म पर माता-पिता को 5000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है, जो परिवारों को बच्चियों के भविष्य के प्रति गंभीर बनने के लिए प्रेरित करती है। स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को आयरन की गोलियाँ, सैनिटरी पैड और यूनिफॉर्म के लिए धनराशि सीधे बैंक खातों में भेजी जाती है। नौवीं और दसवीं कक्षा की छात्राओं को साइकिल उपलब्ध कराई जाती है ताकि वे नियमित रूप से स्कूल जा सकें।
वहीँ ,बालिग होने पर विवाह के पंजीकरण पर 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। इंटरमीडिएट में 25 हजार और स्नातक की पढ़ाई के लिए 50 हजार रुपये तक की छात्रवृत्ति मिलती है। साथ ही, ग्रेजुएशन और पीजी की पढ़ाई को सरकार ने निशुल्क कर दिया है। सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है, जबकि नगर निकाय चुनावों में उन्हें 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार उद्यमिता को प्रोत्साहित कर रही है – बेटियाँ यदि उद्योग लगाना चाहें तो उन्हें 5 लाख रुपये का अनुदान और 5 लाख रुपये तक का ब्याज रहित ऋण मिलता है।
आपको बता दे कि कमर्शियल वाहन खरीदने पर रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट दी जाती है, जबकि जमीन की रजिस्ट्री पर केवल 0.4% स्टांप ड्यूटी देनी होती है। मुद्रा योजना के तहत बिना किसी संपत्ति को गिरवी रखे लोन की सुविधा भी उपलब्ध है। अब माता-पिता बेटियों की शिक्षा को सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि भविष्य की मजबूती के रूप में देखने लगे हैं। गाँव से लेकर शहरों तक यह सोच विकसित हुई है कि बेटियों को पढ़ाना न केवल उनका अधिकार है, बल्कि एक समृद्ध और प्रगतिशील समाज की आवश्यकता भी है।
बिहार की बेटियाँ आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, शिक्षा, प्रशासन, खेल, विज्ञान, और उद्योग में उनका योगदान लगातार बढ़ रहा है। यह परिवर्तन केवल योजनाओं का परिणाम नहीं है, बल्कि बेटियों की मेहनत, परिवारों की बदली सोच और समाज के सहयोग का एक सुंदर उदाहरण है। बिहार में बेटियों की उड़ान अब सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि साकार होती हकीकत है।