ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Police: इस जिले में पुलिस टीम पर फायरिंग के बाद मचा हड़कंप, अब तक इतनों की गिरफ्तारी Bihar Crime News: स्कूल गए नाबालिग का दिनदहाड़े अपहरण, अपराधियों का मैसेज पढने के बाद परिवार में मचा कोहराम Patna Metro: पटना मेट्रो का किराया होगा इतना सस्ता, फूड कोर्ट और शॉपिंग के साथ-साथ मिलेंगी ये हाईटेक सुविधाएँ JP Ganga Path: जेपी गंगा पथ में दरार से मची खलबली, ₹3831 करोड़ के पुल का 2 दिन पहले CM ने किया था उद्घाटन Bihar Crime News: जालंधर में बिहार की युवती से दुष्कर्म, आरोपी ने शहर के बीचों-बीच दिया वारदात को अंजाम Bihar Crime News: दुकानदार का सिर काट ले गए बेखौफ अपराधी, तलाश में जुटी 4 थानों की पुलिस BIHAR POLICE NEWS : क्या सुरक्षित हैं आप ? पटना में नहीं थम रहा झपटमारों का आतंक, DSP के हाथ से मोबाइल छीनकर भागे बदमाश; उठने लगे यह सवाल Stone Pelting: हनुमान जयंती की शोभायात्रा में हुए पथराव के बाद स्थिति तनावपूर्ण, पुलिस समेत कई युवक घायल Bihar weather: बिहार के इन चार जिलों में अगले 3 घंटों के लिए रेड अलर्ट, अभी से 11 बजे के बीच भारी वज्रपात-वर्षा की संभावना BIHAR TEACHER NEGLIGENCE : यह कैसी शिक्षा ? क्लास टाइम में मैडम ने बच्चों से अपनी स्कूटी धुलाई, VIDEO वायरल होने के बाद एक्शन लेंगे ACS सिद्धार्थ

Rooh Afza :बाबा रामदेव ने किया दावा...शरबत बेचकर बनाया जा रहा है कुछ और! जानिए क्या है रूह अफजा की असली कहानी जानिए!

Rooh Afza :118 साल पुराना एक ठंडक देने वाला शरबत, जिसे हर घर में गर्मियों का राजा कहा जाता है – रूह अफजा, अब विवादों के घेरे में है। योगगुरु बाबा रामदेव के एक वीडियो ने इसे धार्मिक विवाद से जोड़ दिया है, जिससे सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।

रूह अफजा, Rooh Afza, बाबा रामदेव, Baba Ramdev, शरबत विवाद, Sharbat Controversy, हमदर्द लैबोरेट्रीज, Hamdard Laboratories, रूह अफजा का इतिहास, Rooh Afza History, शरबत जिहाद, Sharbat Jihad, रूह अफजा का

12-Apr-2025 04:50 PM

Rooh Afza : गर्मियों की तपिश में जब शरीर थक जाता है और गला सूखने लगता है, तब राहत देने वाले पेयों में सबसे पहले जिस नाम का ज़िक्र होता है, वो है "रूह अफजा"। यह गुलाबी रंग का मीठा शरबत न केवल स्वाद में खास है, बल्कि इसके पीछे एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत भी छुपी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस शरबत का नाम किसने रखा और इसका मतलब क्या है? चलिए, इसकी अनसुनी कहानी पर एक नज़र डालते हैं।

नामकरण की रोचक दास्तान

दिल्ली के लाल कुआं इलाके में 1906 में एक यूनानी चिकित्सा केंद्र हमदर्द दवाखाना की नींव हकीम हाफिज अब्दुल मजीद ने रखी थी। उन्होंने गर्मी से राहत देने वाले एक खास शरबत को तैयार किया, जो प्राकृतिक जड़ी-बूटियों पर आधारित था। इस पेय को एक उपयुक्त नाम देने की जरूरत थी, और यह नाम सुझाया उनके करीबी और प्रसिद्ध फारसी-उर्दू कवि नज़ीर अहमद ने – “रूह अफजा”। फारसी में इसका मतलब होता है "आत्मा को ताजगी देने वाला"। यह न केवल पेय के प्रभाव को दर्शाता है, बल्कि इसमें एक शायराना गहराई भी है।

रूह अफजा का अनोखा मिश्रण

रूह अफजा केवल स्वाद के लिए नहीं, बल्कि इसमें मौजूद तत्व भी इसे खास बनाते हैं। इसमें चंदन, गुलाब जल, केवड़ा, पुदीना, नींबू, खरबूजे के बीज जैसे प्राकृतिक घटक होते हैं, जो शरीर को ठंडक पहुंचाते हैं। इसे पानी, दूध या आइसक्रीम के साथ मिलाकर पिया जा सकता है और यह गर्मी के मौसम में लू और डिहाइड्रेशन से राहत दिलाता है।

विरासत और विस्तार की कहानी

हकीम अब्दुल मजीद के निधन के बाद उनके बेटों ने हमदर्द की विरासत को आगे बढ़ाया। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय हमदर्द दो हिस्सों में बंट गया – भारत में इसे हकीम अब्दुल हमीद ने ट्रस्ट बना दिया जबकि पाकिस्तान में हकीम मोहम्मद सईद ने इसका नेतृत्व संभाला। दोनों देशों में रूह अफजा का उत्पादन हुआ और यह पूरे दक्षिण एशिया में लोकप्रियता हासिल करता गया। 

वर्तमान में रूह अफजा का निर्माण कौन करता है?

भारत में रूह अफजा का निर्माण हमदर्द लैबोरेट्रीज़ इंडिया करती है, जो FMCG और हेल्थकेयर सेगमेंट में अग्रणी भूमिका निभाती है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में कंपनी ने ₹1,843 करोड़ का शुद्ध लाभ कमाया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 7.9% अधिक है। कंपनी अब वेलनेस और कॉस्मेटिक्स सेगमेंट में भी अपना दायरा बढ़ाने की रणनीति तैयार कर रही है।

विवादों में क्यों आया रूह अफजा?

हाल ही में बाबा रामदेव के एक वीडियो वायरल होने के बाद रूह अफजा चर्चा का विषय बन गया। उन्होंने रूह अफजा को ‘शरबत जिहाद’ से जोड़ा और कंपनी पर धार्मिक फंडिंग के आरोप लगाए। उनका कहना था कि इससे मिलने वाले लाभ का प्रयोग धार्मिक संस्थानों के निर्माण में होता है। इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर रूह अफजा को लेकर बहस शुरू हो गई। हालाँकि रूह अफजा सिर्फ एक शरबत नहीं, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप की भावनात्मक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। हर गर्मी, हर रमजान, और हर पारिवारिक समारोह में इसकी मिठास लोगों के दिलों तक पहुंचती है। चाहे विवाद हों या तारीफें, एक बात तो तय है , रूह अफजा ने बीते एक सदी से लाखों लोगों की आत्मा को ताजगी जरूर दी है।



---