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14-May-2025 08:51 AM
By First Bihar
Vigilance Report on corruption in Bihar: बिहार में सरकारी सिस्टम की एक गंभीर तस्वीर सामने आई है। राज्य के विभिन्न विभागों में काम कर रहे करीब 4200 लोकसेवकों पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप हैं।
निगरानी विभाग की रिपोर्ट में यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है, जिसके बाद प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है। इन मामलों की सूची संबंधित विभागों, प्रमंडलीय आयुक्तों और जिलाधिकारियों को भेज दी गई है ताकि इनके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जा सके।
सबसे ज्यादा मामले शिक्षा विभाग में दर्ज हुए हैं। अकेले इस विभाग में 962 लोकसेवकों पर केस चल रहे हैं, जिनमें 400 से ज्यादा शिक्षक शामिल हैं। इनमें से अधिकांश शिक्षक मुजफ्फरपुर के मीनापुर, कांटी, सरैया, गायघाट, पारू, बोचहां और मुशहरी जैसे इलाकों से हैं। यह देखकर साफ है कि शिक्षा व्यवस्था की जड़ें कितनी गहरी चुनौतियों से जूझ रही हैं।
बता दे कि अब इन दागी कर्मचारियों को पदोन्नति नहीं मिलेगी। निगरानी विभाग ने साफ किया है कि 30 जून 2025 तक दर्ज मामलों में शामिल कर्मियों के प्रमोशन पर रोक रहेगी। उन्हें स्वच्छता प्रमाणपत्र देने की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि उनकी स्थिति पहले से रिकॉर्ड में है।
शिक्षा के बाद, पंचायती राज विभाग में भी 333 मामलों में जांच जारी है, जिनमें मुखिया जैसे जनप्रतिनिधि आरोपी हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के तहत आने वाले 247 मामलों में कई जिलाधिकारी, उपविकास आयुक्त, बीडीओ और वरिष्ठ पदों पर तैनात अधिकारी शामिल हैं। बिहार पुलिस के 245, भूमि सुधार विभाग के 193 और ग्रामीण विकास विभाग के 130 अधिकारी भी आरोपों की जद में हैं।
स्पेशल विजिलेंस यूनिट और आर्थिक अपराध इकाई में दर्ज अधिकांश मामलों की जांच अब भी चल रही है। कुछ मामलों में चार्जशीट दाखिल हुई है, जबकि कई मामलों में अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।यह पूरी स्थिति बिहार के सरकारी ढांचे की एक जटिल और चिंताजनक तस्वीर पेश करती है। राज्य सरकार अब पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर सख्त नजर आ रही है, और संकेत साफ हैं—जो अधिकारी व्यवस्था को दूषित करेंगे, उन्हें अब छूट नहीं मिलेगी।