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29-Mar-2025 05:34 PM
By First Bihar
land survey bihar: बिहार में जमीन सर्वे को लेकर स्वघोषणा देने का अंतिम तिथि 31 मार्च रखी गयी है। समय सीमा नजदीक आते ही जमीन के मालिकों में बेचैनी बढ़ गयी है। अक्सर विभाग का सर्वर फेल रहता है जिसके कारण लोगों को स्वघोषणा करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शुक्रवार को भी सर्वर का प्रोब्लम लोगों को झेलना पड़ा। लेकिन अब रैयतों के लिए राहतभरी खबर सामने आ रही है। इसे लेकर बिहार सरकार ने बड़ा संकेत दिया है। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने इसे लेकर कहा है कि स्वघोषणा की मौजूदा समय सीमा 31 मार्च, 2025 तक है। लेकिन इसे बढ़ाया जा सकता है।
हालांकि राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने रैयतों से अपील की है कि वो अपनी जमीन की स्वघोषणा 31 मार्च तक हर हाल में पूरी कर लें। स्वघोषणा प्रक्रिया की हम जल्द समीक्षा करेंगे। यदि जरूरी हुआ तो कैबिनेट की मंजूरी के बाद समय सीमा का विस्तार करेंगे। बता दें कि बिहार में जमीन सर्वे के लिए स्वघोषणा जमा करने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2025 निर्धारित की गई है। जैसे-जैसे यह तिथि करीब आ रही है, रैयतों में चिंता बढ़ती जा रही है।
हालांकि, अब उन्हें राहत की उम्मीद मिल रही है क्योंकि बिहार सरकार ने समय सीमा बढ़ाने की संभावना पर विचार किया है। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने कहा कि वर्तमान समय सीमा 31 मार्च 2025 तक है, लेकिन यदि आवश्यक समझा गया तो इसे बढ़ाया जा सकता है। बताया जाता है कि राज्य में अभी भी बड़ी संख्या में रैयतों ने अपनी जमीन की स्वघोषणा पूरी नहीं की है, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ रहा है।
कई जमीन मालिकों का कहना है कि उनकी पुश्तैनी जमीन के कागजात उपलब्ध नहीं हैं, जिससे उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावे तकनीकी समस्याएं भी एक बड़ी बाधा बनकर सामने आ रही है। जब लोग स्वघोषणा पत्र भरने साइबर कैफे जाते हैं तो अक्सर सर्वर प्रोब्लम रहता है। जिसके कारण उन्हें लौटना पड़ जाता है। यह बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के पोर्टल पर बार-बार तकनीकी खामियों की शिकायत हर जिले के लोग कर रहे हैं। समय सीमा करीब आने से लोग काफी परेशान हैं।
इस समस्या को राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने स्वीकार किया है। उनका कहना है कि स्वघोषणा प्रक्रिया में कुछ चुनौतियां सामने आई हैं। पहले सरकार इस मामले की समीक्षा करेगी उसके बाद इसे लेकर आगे फैसला लिया जाएगा। बता दें कि बिहार में चल रहे जमीन सर्वे राज्य के भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल और अपडेट करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रक्रिया के तहत रैयतों को अपनी जमीन का विवरण स्वयं घोषित करना होता है ताकि पुराने रिकॉर्ड में सुधार हो सके और विवाद कम किए जा सकें। हालांकि, पुश्तैनी जमीन के कागजात की कमी और तकनीकी समस्याओं के कारण यह प्रक्रिया जटिल हो गई है।
इस सर्वे को लेकर उत्साहित हैं, लेकिन समय सीमा और प्रक्रिया की जटिलता के कारण परेशान भी हैं। लोगों ने सुझाव दिया है कि सरकार को समय सीमा बढ़ाना चाहिए साथ ही इसे लेकर लोगों को जागरूक करना चाहिए। लोगों का यह भी कहना है कि ग्रामीण इलाकों में पोर्टल का इस्तेमाल करने में लोगों को भारी परेशानी हो रही है। इसलिए जगह-जगह हेल्प डेस्क या कैंप लगाकर रैयतों को यह काम कराने में मदद करनी चाहिए।