Ration Card : 1 नवंबर से राशन कार्ड में बड़ा बदलाव: डिजिटल DBT, पौष्टिक राशन और 8 प्रमुख लाभ New Rules From 1st November: आज से बदल गया यह नियम, आपकी जेब पर पड़ेगा सीधा असर; जानिए पूरी डिटेल Bihar Board : बिहार बोर्ड ने घोषित की इंटर और मैट्रिक सेंट-अप परीक्षा 2026 की तिथियां, मुख्य परीक्षा के लिए अनिवार्य होगी 75% उपस्थिति Bihar Election 2025: वोटिंग के दिन PM मोदी के बिहार आगमन से कितना बदल सकता है समीकरण; इस इलाके में गूंजेगी आवाज तो किसे होगा फायदा? Mokama Murder Case : 'हथियार जमा कराए...', मोकामा हत्याकांड के बाद एक्शन में चुनाव आयोग, कहा - लॉ एंड ऑडर पर सख्ती बरतें Bihar election update : दुलारचंद यादव हत्याकांड का बाढ़ और मोकामा चुनाव पर असर, अनंत सिंह पर एफआईआर; RO ने जारी किया नया फरमान Justice Suryakant: जस्टिस सूर्यकांत बने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश, इस दिन लेंगे शपथ Bihar News: अब बिहार से भी निकलेंगे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जलवा दिखाने वाले धावक, इस शहर में तैयार हुआ विशेष ट्रैक Dularchand Yadav case : मोकामा में दुलारचंद यादव हत्याकांड में चौथा FIR दर्ज ! अनंत सिंह और जन सुराज के पीयूष नामजद; पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद अब बदलेगा माहौल Bihar Election 2025: "NDA ही कर सकता है बिहार का विकास...", चुनाव से पहले CM नीतीश का दिखा नया अंदाज, सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर किया वोट अपील
03-May-2025 12:31 PM
By First Bihar
Bihar News: ग्लोबल वार्मिंग का असर इस बार उत्तर बिहार की जीवनरेखा कही जाने वाली कोसी नदी पर साफ़ दिख रहा है। नेपाल के गोसाईंथान चोटी से निकलकर बिहार के कुरसेला (कटिहार) में गंगा से मिलकर बंगाल की ओर बढ़ने वाली यह नदी इस वर्ष वैशाख की गर्मी में ही पानी के अभूतपूर्व संकट से जूझ रही है। पहली बार देखा गया है कि वैशाख महीने में कोसी की धार इतनी कमजोर हो गई है कि नदी अब नाले जैसी दिखने लगी है।
स्थानीय मछुआरों के अनुसार, नदी में भारी मात्रा में गाद जमा होने और लगातार तेज गर्मी के कारण कोसी का प्रवाह नवगछिया के मदरौनी से ही धीमा हो गया है। परिणामस्वरूप कुरसेला पुल के नीचे मुख्य धारा के बीच डेल्टा (टापू) उभरने लगे हैं। इससे न सिर्फ नावों की आवाजाही में बाधा उत्पन्न हो रही है, बल्कि मछुआरों की आजीविका भी संकट में आ गई है।
स्थानीय मछुआरे पवन सहनी, महेश मंडल आदि बताते हैं कि कोसी में जल स्तर कम होने से गंगा नदी का प्रवाह भी प्रभावित होगा, विशेष रूप से झारखंड के साहिबगंज क्षेत्र में। इससे इस बार गंगा में चलने वाले क्रूज और कार्गो जहाजों के परिचालन पर भी असर पड़ सकता है। वहीं कोसी से सटी बस्तियों में रहने वाले हजारों लोग मछली पालन और पकड़ने पर निर्भर हैं, जिनके समक्ष अब रोजगार का संकट मंडरा रहा है।
कोसी नदी का उद्गम क्षेत्र हिमालय की पर्वतमालाओं से जुड़ा है, जिसमें माउंट एवरेस्ट और कंचनजंगा जैसे शिखर आते हैं। जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार, हिमालय क्षेत्र में बर्फबारी में गिरावट, तापमान में वृद्धि और अनियमित मानसून के चलते कोसी जैसे हिमालयी नदियों में जल आपूर्ति अस्थिर हो रही है। कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार के अनुसार, "कोसी डाउन स्ट्रीम में है, और गाद जमा होने से प्रवाह में दिक्कत आ रही है। जल संसाधन विभाग को इस स्थिति से अवगत कराया जाएगा। हालांकि जुलाई-अगस्त में मानसून के समय कोसी पुनः जलमग्न हो जाएगी।"
पूर्व मुख्य अभियंता चारू मजूमदार कहते हैं, "कोसी की कुल लंबाई 730 किमी है, जिसमें से 260 किमी बिहार में बहती है। इसे बिहार का शोक भी कहा जाता है, क्योंकि इसके मार्ग परिवर्तन और बाढ़ से हर साल तबाही होती है।" कोसी नदी बिहार के सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, खगड़िया, कटिहार और भागलपुर जिलों से होकर बहती है। इनमें कोसी प्रमंडल (सुपौल, मधेपुरा, सहरसा) सबसे अधिक प्रभावित होता है। इन जिलों में नदी की हालत का सीधा असर खेती, मछलीपालन और पेयजल पर हो रहा है।
क्या किया जाना चाहिए?
विशेषज्ञों की राय में, कोसी में जल प्रवाह बनाए रखने के लिए:
गाद निकालने की नियमित व्यवस्था (ड्रेज़िंग),
नेपाल के साथ ट्रांसबाउंडरी जल प्रबंधन सहयोग,
और जलवायु अनुकूल नीतियों को तत्काल अपनाना जरूरी है।
साथ ही, सरकार को कोसी के किनारे रहने वाले लोगों के लिए वैकल्पिक आजीविका के अवसर भी तलाशने चाहिए।