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23-Apr-2025 02:29 PM
By First Bihar
PATNA: बिहार के पटना जिले में प्रशासनिक अनुशासन को लेकर एक बड़ी कार्रवाई सामने आई है। बेलछी के अंचलाधिकारी पीयूष मिश्रा को वरिष्ठ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ अभद्रता करने के आरोप में जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने एक्शन लिया है। बाढ़ के SDO के साथ फोन पर अभद्रता और दुर्व्यवहार के मामले में DM डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने निलंबन की कार्रवाई शुरू कर दी है। उन्होंने आरोपी सीओ को निलंबित करने की अनुशंसा की है। वहीं, राजस्व विभाग ने सरकारी जमीन के सत्यापन में लापरवाही बरतने पर सभी जिलों को सख्त निर्देश जारी किए हैं।
बिहार की प्रशासनिक मशीनरी में इन दिनों सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की बयार चल रही है। इसी कड़ी में पटना जिले के बेलछी अंचल अधिकारी (CO) पीयूष मिश्रा पर गंभीर आरोपों के बाद निलंबन की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है। यह कार्रवाई पटना डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने की है। इस एक्शन से यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि अब सरकारी पदों पर अनुशासनहीनता और अभद्रता को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल भूमि सुधार विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के साथ सीओ पीयूष मिश्रा ने फोन पर अभद्र व्यवहार किया। साथ ही बेलछी की प्रखंड प्रमुख पल्लवी देवी के साथ भी दुर्व्यवहार किए जाने की शिकायत के बाद पटना डीएम ने बेलछी के अंचलाधिकारी को निलंबित करने की अनुशंसा की है। मामला संज्ञान में आने के बाद बाढ़ SDO ने ‘प्रपत्र क’ के तहत विस्तृत आरोप पत्र भेजते हुए कार्रवाई की अनुशंसा डीएम से की थी। डीएम ने भी निलंबन की अनुशंसा कर दी है।
DM डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए न केवल पीयूष मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की अनुशंसा की है, बल्कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश भी की।
बताया गया है कि सीओ मिश्रा का व्यवहार लंबे समय से असहयोगात्मक रहा है, जिससे प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही थी। यही नहीं, स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ उनका समन्वय भी बेहद खराब था, जिससे क्षेत्र में विकास कार्य प्रभावित हो रहे थे। इस कार्रवाई को प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक मजबूत कदम के तौर पर देखा जा रहा है। जिले में आम जनता और जनप्रतिनिधियों के बीच यह संदेश गया है कि अब अफसरशाही की मनमानी और अभद्रता को सहन नहीं किया जाएगा। डीएम की इस त्वरित और निर्णायक कार्रवाई ने प्रशासनिक सुधार की एक नयी मिसाल कायम की है।
इसी के साथ, राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने भी सभी जिलों के डीएम को चेतावनी देते हुए निर्देश जारी किए हैं कि अब सरकारी जमीनों के सत्यापन में लापरवाही करने वाले अंचलाधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभाग की समीक्षा में सामने आया है कि अब तक करीब 26 लाख खेसरा की प्रविष्टि हो चुकी है, लेकिन सिर्फ 22.61 प्रतिशत मामलों में ही सत्यापन किया जा सका है। भोजपुर और पश्चिमी चंपारण जैसे जिलों में सत्यापन की गति बेहद धीमी है, वहीं बगहा क्षेत्र में तकनीकी समस्याएं जैसे "डेटा नॉट फाउंड" की शिकायतें सामने आई हैं। समीक्षा बैठक में संबंधित अपर समाहर्ता ने इसकी जानकारी दी।
राजस्व विभाग ने सभी अंचल अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे जिला मुख्यालय से प्राप्त पत्रों को एक विशेष रजिस्टर में दर्ज करें और उसका निरीक्षण करवाकर संबंधित राजस्व कर्मचारियों से हस्ताक्षर लें। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विकास परियोजनाओं के लिए सरकारी ज़मीनों की उपलब्धता में कोई देरी ना हो। बिहार में प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में यह कार्रवाई मील का पत्थर साबित हो सकती है। जहां एक ओर बेलछी सीओ पर कार्रवाई ने जवाबदेही का संदेश दिया है, वहीं सरकारी जमीनों के सत्यापन में सख्ती यह दिखाती है कि सरकार अब किसी भी स्तर पर लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेगी।