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15-Jan-2025 02:43 PM
By First Bihar
DELHI: RJD के पूर्व एमएलसी सुनील कुमार सिंह की विधान परिषद की सदस्यता रद्द करने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनील कुमार सिंह की सदस्यता रद्द के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए बड़ा आदेश दिया. सुनील सिंह की खाली जगह को भरने के लिए बिहार विधान परिषद के उप चुनाव का रिजल्ट घोषित करने पर फिलहाल रोक लगा दी गयी है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई पूरी होने तक रिजल्ट पर रोक लगी रहेगी.
बता दें कि पिछले साल जुलाई में आरजेडी के विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह की विधान परिषद की सदस्यता रद्द कर दी गयी थी. उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने सदन में नीतीश कुमार के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी की थी और मजाक उड़ाया था. सुनील कुमार सिंह की सदस्यता रद्द होने के कारण विधान परिषद की इस सीट पर उप चुनाव हो रहा है. इसमें जेडीयू के ललन प्रसाद एकमात्र उम्मीदवार हैं. जिनका निर्विरोध निर्वाचन हो गया है. गुरूवार को औपचारिक तौर ये ऐलान किया जाना था कि ललन प्रसाद जीत गये और उन्हें जीत का सर्टिफिकेट मिलना था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने तक रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगा दिया है.
नीतीश ने मुखिया का चुनाव नहीं जीता
इस बीच सुनील कुमार सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच में सुनवाई हुई. सुनील कुमार सिंह की ओर से बहस करते हुए वरीय अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सदस्यता रद्द करने का फैसला लोकतंत्र को समाप्त करने की कोशिश है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में ऐसा नहीं चल सकता कि आप बहुमत के आधार पर कोई भी फैसला ले लेंगे. सुनील कुमार सिंह की सदस्यता रद्द करने का फैसला हतप्रभ करने वाला है.
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि विधान परिषद के एक और सदस्य कारी शोएब पर भी वही आरोप लगा लेकिन उन्हें दो दिनों के लिए निलंबित किया गया. ये कहा जा रहा है कि सुनील कुमार सिंह ने इस मामले की जांच में सुनवाई नहीं किया और आचार समिति की बैठक में शामिल नहीं हुए. क्या इस आधार पर किसी की सदस्यता रद्द की जा सकती है?
जज ने जतायी आपत्ति
वरीय अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि ये सर्वविदित है कि नीतीश कुमार बिना बहुमत के 18 सालों से मुख्यमंत्री बने हुए हैं. उन्होंने पिछले 18 सालों में मुखिया तक का चुनाव नहीं जीता है. सिंघवी के इस बयान पर जस्टिस सूर्यकांत ने आपत्ति जतायी. उन्होंने कहा कि अगर ये कहा जाये कि उन्होंने मुखिया तक का चुनाव नहीं जीता है तो क्या ये गलत नहीं है. नीतीश कुमार कहीं न कहीं चुने गये होंगे तभी मुख्यमंत्री हैं. आप सुनील कुमार सिंह की सदस्यता रद्द होने पर अपनी बात रखिये.
पलटू राम कहना गुनाह नहीं
पूर्व एमएलसी सुनील कुमार सिंह के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि मेरे क्लाइंट ने नीतीश कुमार को पलटू राम कहा था. लेकिन ये कोई इतना बड़ा गुनाह नहीं है कि उनकी सदस्यता हमेशा के लिए रद्द कर दी जाये. सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है. उन्होंने ऐसे कई न्यायिक प्रावधानों का हवाला दिया, जिनके मुताबिक सुप्रीम कोर्ट संसद, विधान सभा या विधान परिषद के मामलों की सुनवाई कर सकता है.
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सुनील कुमार सिंह को विधान परिषद की कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग उपलब्ध नहीं करायी गयी. जब सदन से निकालने की प्रक्रिया चल रही थी तो उन्हें बोलने तक का मौका नहीं दिया गया. ये प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का खुला उल्लंघन है.
चुनाव आयोग ने उपचुनाव कैसे कराया
सुनील कुमार सिंह के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सदस्यता रद्द करने के खिलाफ मामले में दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए 30 अगस्त को नोटिस जारी किया. लेकिन चुनाव आयोग ने 30 दिसंबर को उप चुनाव का ऐलान कर दिया. जब कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी तो चुनाव आयोग ने उप चुनाव का ऐलान कैसे कर दिया. अब अगर सुप्रीम कोर्ट हमारी याचिका को सही ठहराता है तो फिर विधान परिषद की एक सीट पर दो एमएलसी हो जायेंगे.
उप चुनाव के रिजल्ट पर रोक लगी
अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से विधान परिषद उप चुनाव के रिजल्ट पर तत्काल रोक लगाने की मांग की. उन्होंने कहा कि गुरूवार को उप चुनाव का रिजल्ट घोषित कर दिया जायेगा. निर्विरोध जीत का ऐलान हो जायेगा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आदेश दिया-हम कल भी इस मामले पर सुनवाई जारी रखेंगे. तब तक उप चुनाव के रिजल्ट पर रोक लगायी जाती है. यानि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक उप चुनाव के रिजल्ट पर रोक लगी रहेगी.