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08-Jul-2025 07:31 AM
By First Bihar
Bihar News: बिहार के 81,000 स्कूलों में पढ़ने वाले 2 करोड़ से अधिक बच्चों की प्रारंभिक स्वास्थ्य जांच अब शिक्षक करेंगे। बिहार शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग ने मिलकर इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने का फैसला किया है, जिसमें प्रत्येक स्कूल से दो शिक्षकों को नामित किया जाएगा। ये शिक्षक बच्चों की लंबाई, वजन, और अन्य बुनियादी स्वास्थ्य मापदंडों की जांच करेंगे और इसे ‘पुर्जा’ पर दर्ज करेंगे। शिक्षकों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे इस जिम्मेदारी को प्रभावी ढंग से निभा सकें। साथ ही राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत प्रत्येक प्रखंड में चिकित्सा दल स्कूलों में बच्चों की विस्तृत स्वास्थ्य जांच करेंगे।
इस साल बिहार सरकार का लक्ष्य है कि सभी स्कूली बच्चों की शत-प्रतिशत स्वास्थ्य जांच हो। इसके लिए शिक्षा विभाग, राज्य स्वास्थ्य समिति, मध्याह्न भोजन निदेशालय और बिहार शिक्षा परियोजना परिषद मिलकर काम करेंगे। बच्चों की स्वास्थ्य जांच से संबंधित सभी डेटा ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड किए जाएंगे। इसके अलावा बच्चों में एनीमिया को रोकने के लिए आयरन फोलिक एसिड की गोलियां वितरित की जाएंगी। कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को गुलाबी रंग की आयरन गोली और कक्षा 6 से 12 तक के बच्चों को नीली रंग की आयरन फोलिक एसिड गोली दी जाएगी। फरवरी और अगस्त में एल्बेंडाजोल की गोली भी दी जाएगी।
स्वास्थ्य जांच के दौरान यदि किसी बच्चे में गंभीर बीमारी का पता चलता है, तो उसे उचित इलाज के लिए बड़े अस्पतालों में रेफर किया जाएगा। सभी जिलों के लिए एक समान माइक्रोप्लान प्रारूप तैयार किया गया है, जिसमें स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग के नोडल पदाधिकारियों, स्कूलों के प्रधानाध्यापकों और चलंत चिकित्सा दलों के संपर्क नंबर शामिल होंगे। जिला और प्रखंड स्तर पर स्वास्थ्य कार्यक्रमों की मासिक समीक्षा होगी, जबकि राज्य स्तर पर प्रत्येक तिमाही आयरन फोलिक एसिड वितरण और कृमि मुक्ति कार्यक्रम की संयुक्त समीक्षा की जाएगी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कार्यक्रम सुचारू रूप से चले, नोडल पदाधिकारियों का प्रशिक्षण राज्य स्वास्थ्य समिति और शिक्षा विभाग मिलकर आयोजित करेगा।
यह पहल बिहार में बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और एनीमिया मुक्त भारत अभियान को गति देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। आयरन फोलिक एसिड की गोलियां बच्चों में खून की कमी को रोकने में मदद करेंगी, जो शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी है। हालांकि, बिहार में IFA आपूर्ति श्रृंखला में कुछ चुनौतियां रही हैं, जैसे स्टॉक की कमी और वितरण में देरी। इन समस्याओं को दूर करने के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग संयुक्त रूप से निगरानी और आपूर्ति प्रबंधन को मजबूत करेंगे।