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11-Jul-2025 12:37 PM
By First Bihar
Bihar News: बिहार को हर साल मानसून के दौरान आने वाली विनाशकारी बाढ़ से निजात दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। गंगा, कोसी और अन्य नदियों में हर साल जमा होने वाली गाद (सिल्ट) के व्यवस्थित प्रबंधन के लिए एक "व्यापक गाद प्रबंधन नीति" तैयार की जाएगी। यह फैसला केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में गुरुवार को रांची में हुई पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में लिया गया। इस बैठक में बिहार की ओर से उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, और मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने भाग लिया।
बैठक में बिहार सरकार की लंबे समय से लंबित मांग को स्वीकार करते हुए, केंद्र ने गाद प्रबंधन नीति को मंजूरी दी। सम्राट चौधरी ने बताया कि जलग्रहण क्षेत्रों में गंगा और कोसी जैसी नदियों में हर साल अत्यधिक मात्रा में गाद जमा हो जाती है, जिससे बाढ़ की स्थिति और अधिक भयावह हो जाती है। इस गाद के कारण नदियों की जलधारण क्षमता घट जाती है और निचले इलाकों में पानी का बहाव अवरुद्ध हो जाता है, जिससे लाखों लोगों को हर साल विस्थापन और जान-माल के नुकसान का सामना करना पड़ता है।
बैठक में इंद्रपुरी जलाशय-बाणसागर समझौते के तहत सोन नदी के जल बंटवारे पर भी सहमति बनी। तय फॉर्मूले के अनुसार, बिहार को 5.75 मिलियन एकड़ फीट (MAF) और झारखंड को 2.00 MAF पानी मिलेगा। यह समझौता वर्षों से लंबित था और इससे दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे को लेकर स्पष्टता आएगी।
इसके अलावा, उपमुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से फरक्का बैराज के कारण गंगा की अविरलता पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के लिए कदम उठाने की मांग की। उन्होंने विशेष रूप से बिहार-पश्चिम बंगाल सीमा पर कटाव निरोधक कार्यों पर केंद्र सरकार से 100% खर्च वहन करने की अपील की।
बैठक में यह भी प्रस्ताव रखा गया कि नेपाल और अन्य राज्यों से बिहार में प्रवेश करने वाली नदियों के जल प्रबंधन के लिए एक समन्वित और व्यापक नीति बनाई जाए। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इन नदियों से आने वाली बाढ़ से निपटने के लिए अंतरराज्यीय समन्वय अत्यंत आवश्यक है।
इसके अलावा बैठक में सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास, राज्यों के बीच सहयोग, और वर्षों से लंबित समस्याओं के समाधान पर भी चर्चा हुई। सम्राट चौधरी ने कहा, "भारत सरकार और राज्यों के संयुक्त प्रयासों से अब क्षेत्रीय विकास को नई दिशा और गति मिल रही है। वर्षों से रुकी परियोजनाएं अब तेजी से आगे बढ़ रही हैं।" यह बैठक बिहार समेत झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे पूर्वी राज्यों की समस्याओं को समझने और उनके समाधान के लिए एक सकारात्मक मंच साबित हुई है।