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21-Jul-2025 02:40 PM
By First Bihar
Bihar Bhumi: बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जमीन रजिस्ट्री की प्रक्रिया को और भी पारदर्शी व सुगम बनाने के लिए नई व्यवस्था शुरू कर दी है। अब मुजफ्फरपुर जिले सहित राज्य के निबंधन कार्यालयों में जमीन का निबंधन होते ही क्रेता और विक्रेता के मोबाइल पर दस्तावेज का लिंक भेजा जा रहा है। इस लिंक के जरिए दोनों पक्ष घर बैठे ही केवाला डाउनलोड कर प्रिंट निकाल सकते हैं। साथ ही निबंधन के तुरंत बाद कार्यालय से भी दस्तावेज प्राप्त किया जा सकता है।
हालांकि, निबंधन के तुरंत बाद निबंधन कार्यालय से भी दस्तावेज प्राप्त किए जा सकते हैं। यह व्यवस्था जिला निबंधन कार्यालयों में इस सप्ताह से शुरू हो गई है। इसमें जमीन के क्रेता-विक्रेता दोनों के मोबाइल पर निबंधन के साथ-साथ दस्तावेज का लिंक भेजा जा रहा है। जिला अवर निबंधक मनीष कुमार ने इस बारे में बात करते हुए कहा है कि निबंधन कार्य में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से ऐसा किया गया है। इस नई व्यवस्था से अब क्रेता और विक्रेताओं की कितनी भी संख्या हो, उनके मोबाइल पर जमीन निबंधन के साथ दस्तावेज का लिंक आ जाएगा।
पहले निबंधन के बाद दस्तावेज देर शाम या अगले दिन मिलता था और केवल क्रेता को ही उपलब्ध होता था। कई बार विक्रेताओं की शिकायत रहती थी कि उनकी सहमति के बिना ज्यादा जमीन रजिस्टर्ड कर दी गई। नई व्यवस्था में निबंधन बटन दबते ही दस्तावेज अपलोड हो जाता है और इसमें बाद में बदलाव भी संभव नहीं होगा। इसलिए क्रेता और विक्रेता को दस्तखत से पहले सभी तथ्यों और कागजातों की सावधानीपूर्वक जांच करने की सलाह दी गई है।
बताते चलें कि पहले निबंधन के दस्तावेज की स्कैनिंग और अपलोड में समय लगता था। मुजफ्फरपुर में यह व्यवस्था जिला निबंधन कार्यालय में लागू हो चुकी है। लोग अब bhumijankari.bihar.gov.in पर जाकर रजिस्ट्री दस्तावेज डाउनलोड कर सकते हैं। प्रक्रिया में वेबसाइट पर जाकर आपको “View Registered Document” चुनना होगा, फिर जिला, अंचल, मौजा, रजिस्ट्री नंबर और अन्य जरूरी जानकारी भरकर दस्तावेज डाउनलोड कर प्रिंट निकाला जा सकता है।
ज्ञात हो कि 22 अप्रैल से शुरू होने वाली ई-निबंधन प्रक्रिया में हस्ताक्षर की जगह बायोमेट्रिक निशान को डिजिटल साइन माना जाएगा। यह प्रक्रिया पहले 10 निबंधन कार्यालयों में लागू होगी, जिसके बाद इसे पूरे राज्य में विस्तार दिया जाएगा। जमीन रजिस्ट्री के साथ अब भू-नक्शा भी दस्तावेज में शामिल होगा और म्यूटेशन की प्रक्रिया भी स्वचालित हो जाएगी।
इस नई व्यवस्था से समय की बचत तो होगी ही साथ ही जमीन रजिस्ट्री में होने वाले फर्जीवाड़े और विवादों में भी कमी आएगी। बायोमेट्रिक सत्यापन और डिजिटल दस्तावेजों से प्रक्रिया पारदर्शी होगी और लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ेंगे। मुजफ्फरपुर के निवासियों ने इस कदम की सराहना की है और इसे बिहार में डिजिटल भूमि प्रबंधन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।