ब्रेकिंग न्यूज़

Devi Bhojpuri Singer: भोजपुरी सिंगर देवी बनीं सिंगल मदर, कहा- "अब सब कुछ मिल गया" Railway News : रेलवे का बड़ा फैसला: पटना-कोलकाता गरीब रथ एक्सप्रेस का नाम बदला, जानिए नया रुट और टाइमिंग BPSC Bihar Govt Job 2025: बिहार नगर विकास विभाग में निकली बंपर वैकेंसी, BPSC भर्ती नोटिफिकेशन जारी; जानिए... पूरी डिटेल Cyber Crime: EOU की जांच में चौंकाने वाला खुलासा, बिहार से ऑपरेट हो रहा था अंतरराज्यीय आधार फ्रॉड; तीन गिरफ्तार Bihar Weather: बिहार के कई जिलों में आज बारिश की संभावना, IMD ने जारी किया अलर्ट Bihar News: बिहार में बनेगी मोकामा-मुंगेर चार लेन सड़क, रेल नेटवर्क का भी होगा विस्तार BIHAR: नौकरी और सरकारी योजनाओं के नाम पर ठगी, खगड़िया में साइबर ठग गिरफ्तार छपरा में एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन, सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और विपक्ष पर किया जोरदार हमला BIHAR NEWS : मां के सोते ही BA की छात्रा ने उठाया खौफनाक कदम, अब पुलिस कर रही जांच BIHAR CRIME : नशे में धुत बेटे ने पिता पर किया हमला, चाकू छीनकर पिता ने कर दी बेटे की हत्या

Bihar News: बिहार के इन 59 उत्पादों को जल्द मिल सकता है GI Tag, लिस्ट में लिट्टी-चोखा से लेकर और भी बहुत कुछ

Bihar News: बिहार के 59 पारंपरिक उत्पादों को जल्द ही जीआई टैग मिल जाएगा. इसको लेकर बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने बड़ी पहल की है.

Bihar News

20-Apr-2025 03:49 PM

By First Bihar

Bihar News: बिहार के 59 पारंपरिक उत्पादों को जल्द ही जीआई टैग मिल सकता है। बिहार की सांस्कृतिक पहचान और विरासत को विश्व पटल पर पहुंचाने के लिए लगातार कोशिशें की जा रही है। इसी बीच बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने इसको लेकर बड़ी पहल की है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने 59 उत्पादों को जीआई टैग दिलाने की तैयारी तेज कर दी है।


दरअसल, बिहार के पांच उत्पाद— जर्दालू आम, कतरनी चावल, मिथिला मखाना, शाही लीची और मगही पान को जीआई टैग मिल चुका है। बीएयू का मानना है कि राज्य की पहचान सत्तू जैसे कई अन्य पारंपरिक उत्पादों से भी जुड़ी हुई है। इन उत्पादों से जुड़े लोगों को पहले कोई विशेष लाभ नहीं मिल पाता था लेकिन जीआई टैग मिलने के बाद मखाना की कीमत में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है और इसके विभिन्न उत्पाद देश-विदेश तक भेजे जा रहे हैं।


इन उत्पादों की बढ़ती मांग का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिहार के बहुत से लोग खुद जर्दालू आम, शाही लीची या कतरनी चावल चख भी नहीं पाते क्योंकि इनकी भारी डिमांड रहती है। अब बीएयू की कोशिश है कि बाकी 59 उत्पादों को भी जीआई टैग दिलाकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाया जाए। बीएयू के कुलपति डॉ. दुनियाराम सिंह का मानना है कि प्रदेश की सांस्कृतिक और कृषि विरासत को नई पहचान मिलनी चाहिए। 


नाबार्ड के आर्थिक सहयोग से बिहार कृषि विश्वविद्यालय में एक जीआई फैसिलिटी सेंटर की स्थापना की गई है। विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. ए.के. सिंह के नेतृत्व में वरिष्ठ वैज्ञानिकों की एक टीम इस परियोजना पर कार्यरत है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह है कि समय की धूल में गुम हो चुके बिहार के पारंपरिक उत्पादों की खोज की जाए, उन्हें चिन्हित किया जाए और उनके उत्पादन से जुड़े लोगों को संगठित कर उन्हें इसका अधिकार दिलाया जाए।


इन उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए तय मापदंडों के अनुसार प्रमाणिकता से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार किए जाते हैं और फाइल जीआई रजिस्ट्रेशन कार्यालय को भेजी जाती है। यदि किसी प्रकार की आपत्ति नहीं आती, तो संबंधित उत्पाद को जीआई टैग मिल जाता है।


अब तक विश्वविद्यालय कतरनी चावल, मगही पान, जर्दालू आम, शाही लीची और मिथिला मखाना जैसे पांच प्रमुख कृषि उत्पादों को जीआई टैग दिलाने में सफल रहा है। पिछले वर्ष एक उच्च स्तरीय टीम गठित की गई, जिससे इस प्रक्रिया को तेजी मिली है। 59 उत्पादों की पहचान की जा चुकी है, जिनमें से एक दर्जन उत्पादों के लिए आवेदन पहले ही जीआई कार्यालय में भेजे जा चुके हैं और एक दर्जन अन्य प्रक्रियाधीन हैं। अगले चरण में 30 और उत्पादों को जीआई टैग के लिए कतार में लाया जाएगा।