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24-Jun-2025 05:44 PM
By First Bihar
Bihar News: पश्चिमी चंपारण के नरकटियागंज में मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की एक छापेमारी ने निजी अस्पतालों में खलबली मचा दी है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शिवगंज रोड स्थित गुप्ता हॉस्पिटल और हाई स्कूल चौक के पास रविरंजन हॉस्पिटल पर छापा मारा है। इस दौरान दोनों अस्पतालों के डॉक्टर और कर्मचारी फरार हो गए। यह कार्रवाई एक बलात्कार पीड़िता के इलाज में लापरवाही और पुलिस को सूचना न देने के गंभीर आरोपों के तहत की गई है।
ज्ञात हो कि 19 जून को मैनाटाड के एक गांव की एक नाबालिग लड़की के साथ नरकटियागंज के एक होटल में तीन युवकों द्वारा बलात्कार की घटना हुई थी। पीड़िता को इलाज के लिए गुप्ता हॉस्पिटल और रविरंजन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। आरोप है कि इन अस्पतालों ने न केवल इलाज में लापरवाही बरती, बल्कि इस गंभीर अपराध की सूचना पुलिस को देने में भी कोताही की है। दुर्भाग्यवश, पीड़िता की बाद में मृत्यु हो गई, जिसके बाद जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। जिला मजिस्ट्रेट के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दोनों अस्पतालों की जांच शुरू की है। छापेमारी का नेतृत्व अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. संजीव कुमार ने किया, जिसमें शिकारपुर पुलिस और अन्य स्वास्थ्य अधिकारी भी शामिल थे।
छापेमारी के दौरान गुप्ता हॉस्पिटल में कोई भी डॉक्टर या जिम्मेदार कर्मचारी मौजूद नहीं था। डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि अस्पताल का न तो कोई रजिस्ट्रेशन मिला है और न ही कोई जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराया गया है। अस्पताल में केवल एक स्टाफ मौजूद था, जिसका बयान दर्ज किया गया। रविरंजन हॉस्पिटल में भी डॉक्टरों से पूछताछ की गई, लेकिन वहां भी कई कमियां पाई गईं। जांच दल ने दोनों अस्पतालों से संबंधित दस्तावेज जब्त किए और जांच प्रतिवेदन तैयार कर जिला प्रशासन को भेजने की बात कही।
छापेमारी दल में अनुमंडलीय अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. प्रदीप शरण, डॉ. राजेश कुमार और अस्पताल प्रबंधक विपिन राज शामिल थे। इस कार्रवाई ने नरकटियागंज में अवैध रूप से संचालित निजी अस्पतालों, जांच केंद्रों और अल्ट्रासाउंड क्लिनिकों में हड़कंप मचा दिया है। कई प्रतिष्ठानों ने छापेमारी की खबर सुनते ही अपने शटर गिराकर कर्मचारियों को भगा दिया।
शिकारपुर पुलिस ने इस मामले में पहले ही तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिन्होंने बलात्कार की घटना को अंजाम दिया था। अब स्वास्थ्य विभाग की इस छापेमारी से यह स्पष्ट हो रहा है कि निजी अस्पतालों की लापरवाही ने पीड़िता की जान को और खतरे में डाला। पुलिस और प्रशासन अब दोनों अस्पतालों के संचालकों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी में है।