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08-Jun-2025 09:14 PM
By First Bihar
BETTIAH: बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया से हैरान कर देने वाली खबर आ रही है। जो पुलिस प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है। दरअसल मझौलिया थाना क्षेत्र में तैनात डायल 112 इमरजेंसी पुलिस गाड़ी अचानक बीच सड़क पर खराब हो गया। यह वही गाड़ी होता है जो इमरजेंसी कॉल आने के बाद तुरंत स्पॉट पर मदद के लिए पहुंचती है। बेतिया में पुलिस की गाड़ी को धक्का देते वीडियो सामने आने के बाद लोग भी हैरान हैं, कह रहे हैं कि जब मददगार खुद ही मदद के मोहताज हो जाएं, तो जनता किस पर भरोसा करे?
बंद गाड़ी को धक्का देते दिखे पुलिसकर्मी
बंद गाड़ी को धक्का देते पुलिस कर्मियों की तस्वीर को किसी ने अपने मोबाइल में कैद कर लिया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे 3 पुलिसकर्मी एक पुलिस की जीप को सड़क पर धक्का दे रहे हैं। एक पुलिस कर्मी गाड़ी के ड्राइवर सीट पर बैठा है जो गाड़ी को स्टार्ट करने की कोशिश कर रहा है।
गाड़ी पर डायल 112 लिखा हुआ है। जिसका इस्तेमाल इमरजेंसी में होता है। वीडियो में एक पुलिसकर्मी गाड़ी का स्टेयरिंग संभालते हुए नजर आ रहा है, जबकि अन्य धक्का मारने में लगे हैं। एक पुलिसकर्मी कैमरे से चेहरा छिपाता भी दिख रहा है। यह दृश्य न सिर्फ लोगों को हैरान कर गया, बल्कि पुलिस की कार्यशैली और संसाधनों पर भी सवाल खड़ा कर गया।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
रास्ते से गुजर रहे कुछ लोगों ने इस पूरी घटना का वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया। वीडियो के वायरल होते ही स्थानीय प्रशासन और पुलिस महकमे पर आलोचनाओं की बौछार शुरू हो गई। लोग यह सवाल उठाने लगे कि जब इमरजेंसी सेवाओं के लिए उपयोग होने वाली गाड़ियां इस हालत में हैं, तो ऐसी स्थिति में आम लोगों को समय पर सहायता कैसे मिलेगी?
प्रशासन से जवाबदेही की मांग
स्थानीय लोगों ने इस घटना पर नाराजगी जताते हुए कहा कि "जिस गाड़ी से हमें आपात स्थिति में मदद मिलनी चाहिए, वही अगर धक्का मारकर चले तो हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है।" एक राहगीर ने यह भी कहा कि अगर किसी की जान बचाने के लिए ये गाड़ी जा रही होती और उसी वक्त ये बंद हो जाती, तो बड़ी अनहोनी हो सकती थी।
हालांकि कि इस मामले पर अभी तक पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। न तो वाहन खराब होने के कारणों की जानकारी दी गई है, और न ही यह बताया गया है कि ऐसे वाहनों के नियमित मेंटेनेंस के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है। यह घटना न केवल पुलिस व्यवस्था की तकनीकी खामियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि संसाधनों की अनदेखी किस हद तक प्रशासन की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है।