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Bihar Land Survey: बिहार के इस जिले में जमीन की कीमत का सर्वे शुरू, MVR में बढ़ोतरी की संभावना

शहरी इलाकों में जमीन की कीमत 40-50 लाख रुपये प्रति कट्ठा हो गई है जबकि MVR 5 से 10 लाख रुपये के बीच है। बाजार दर के अनुपात में MVR में बढ़ोतरी नहीं की गई है। ऐसे में सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है।

BIHAR

21-Mar-2025 07:36 PM

Bihar Land Survey: बिहार में अब जमीन की कीमत का सर्वे होगा। यह बात कई दिनों से सुनने को मिल रही है कि ऐसा होने के बाद एमवीआर में बढ़ोतरी होगी। एमवीआर में जिस जमीन की कीमत 5 लाख रुपये है उस जमीन की कीमत मार्केट में 50 लाख प्रति कट्ठा है। एमवीआर में जमीन की कीमत कम दर्शाये जाने के कारण सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। इसलिए अब एमवीआर  तीन गुणा बढ़ सकता है। बिहार के इस जिले से पहले जमीन की कीमत का सर्वे शुरू किया जाएगा।


हम बात कर रहे हैं बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की जहां पिछले 9 साल से सरकारी दरों में कोई वृद्धि नहीं हुई है, जबकि बाजार दरें तीन से चार गुना बढ़ चुकी हैं। इस स्थिति को देखते हुए निबंधन विभाग ने एमवीआर (न्यूनतम मूल्य रजिस्टर) और बाजार दर की तुलना करने के लिए सर्वे शुरू किया है। इस सर्वे का उद्धेश्य जमीन के सरकारी मूल्य में वृद्धि करना है। शहरी इलाकों में जमीन की कीमत 40-50 लाख रुपये प्रति कट्ठा तक पहुंच चुकी है, जबकि एमवीआर केवल 5 से 10 लाख रुपये के बीच है।


दूसरी ओर, शहर से सटे इलाके और योजना क्षेत्र में जमीन की कीमतों में पिछले 7-8 वर्षों में भारी वृद्धि हुई है। इन क्षेत्रों में जमीन की बाजार दर 40-50 लाख रुपये प्रति कट्ठा हो गई है, जबकि एमवीआर का मूल्य 5 से 10 लाख रुपये के बीच है। एमवीआर में इस वृद्धि का अभाव होने के कारण सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। इसलिए माना जा रहा है कि शहरी क्षेत्रों में एमवीआर में दो से तीन गुना तक की वृद्धि हो सकती है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी सड़कें बनने के कारण जमीन की कीमतों में वृद्धि हुई है, और यहां एमवीआर में दो से ढाई गुना बढ़ोतरी हो सकती है।


इसके साथ ही, निबंधन विभाग ने यह भी घोषणा की है कि अब रविवार और सार्वजनिक अवकाश के दिनों में भी निबंधन कार्यालय खुले रहेंगे। यह कदम राजस्व वृद्धि के लिए उठाया गया है, ताकि जमीन रजिस्ट्री और अन्य कामकाज सुचारू रूप से किए जा सकें। इसके अलावा, राजस्व अभिलेखों की हार्ड कॉपी रखने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है, और सभी कर्मचारियों को डिजिटल रिकॉर्ड रखने के निर्देश दिए गए हैं। बिचौलियों के हस्तक्षेप पर भी सख्त रोक लगाने की योजना बनाई जा रही है, ताकि आम जनता को सरकारी कामकाज में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।