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Vastu Shastra: घर में बार-बार परेशानियां? हो सकता है भूमि दोष, जानें लक्षण और असरदार उपाय

Vastu Shastra: वास्तु शास्त्र में विभिन्न प्रकार के दोषों का उल्लेख मिलता है, जिनका सीधा असर घर के वातावरण, परिवार के स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति पर पड़ता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण दोष भूमि दोष माना जाता है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 16 Nov 2025 01:59:49 PM IST

Vastu Shastra

वास्तु शास्त्र - फ़ोटो GOOGLE

Vastu Shastra: वास्तु शास्त्र में विभिन्न प्रकार के दोषों का उल्लेख मिलता है, जिनका सीधा असर घर के वातावरण, परिवार के स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति पर पड़ता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण दोष भूमि दोष माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जिस भूमि पर घर बनाया जा रहा है यदि वह ऊर्जात्मक रूप से अशुद्ध, असंतुलित या बाधित हो, तो उस घर में रहने वाले लोगों के जीवन में लगातार परेशानियाँ उत्पन्न होती रहती हैं। ऐसी भूमि न केवल नकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है बल्कि परिवार में तनाव, आर्थिक अड़चन और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी बढ़ाती है।


भूमि की तीन अवस्थाएं

वास्तु शास्त्र के अनुसार भूमि की तीन अवस्थाएं बताई गई हैं- 

जागृत भूमि – अत्यंत शुभ मानी जाती है। ऐसी भूमि पर घर बनाने से प्रगति, सफलता और समृद्धि आती है।

सुप्त भूमि – सामान्य और स्थिर प्रभाव देने वाली भूमि होती है।

मृत भूमि – अत्यंत अशुभ मानी जाती है और यह घर में रुकावटें, तनाव, बीमारी और आर्थिक बाधाएँ बढ़ाती है।

किसी भूमि की प्रकृति समझने के लिए जन्म कुंडली का भी सहारा लिया जाता है। विशेष रूप से शनि और गुरु (बृहस्पति) के प्रभाव से भूमि की ऊर्जा प्रभावित होती है। यदि इन ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल हो तो भूमि मृत या अशुभ मानी जाती है।


मृत भूमि से होने वाले दुष्प्रभाव

मृत भूमि का असर परिवार पर धीरे-धीरे प्रकट होता है। ऐसे घरों में बरकत का अभाव, अनचाहे खर्च, मानसिक तनाव, कलह, स्वास्थ्य समस्याएँ, बार-बार नुकसान और संघर्ष जैसी स्थितियाँ बनी रहती हैं। घर के सदस्यों के बीच मतभेद बढ़ सकते हैं, और प्रगति व स्थिरता बाधित हो सकती है।


भूमि दोष के प्रमुख संकेत

1. पालतू पशुओं का बार-बार बीमार पड़ना या असमय मृत्यु

जहाँ भूमि दोष होता है, वहाँ पालतू जानवरों की सेहत पर इसका सबसे पहले प्रभाव दिखता है। कुत्ते, बिल्ली, गाय या अन्य पालतू अक्सर बिना किसी कारण के बीमार रहने लगते हैं। कई बार उनकी असमय मृत्यु भी हो जाती है। इसे भूमि की नकारात्मक ऊर्जा का स्पष्ट संकेत माना जाता है।


2. लगातार अशुभ या दुर्घटनात्मक घटनाएँ

अगर किसी परिवार में बार-बार दुर्घटनाएँ होती हों—जैसे गिर जाना, आग लगना, इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट, रोड एक्सीडेंट, घर में चोट या जलने की घटनाएँ—तो यह भूमि दोष का एक मजबूत संकेत है। यह बताता है कि घर की ऊर्जा असंतुलित है और नकारात्मक शक्ति सक्रिय है।

3. परिवार के सदस्यों का लगातार बीमार रहना

यदि डॉक्टरों को स्पष्ट कारण न मिले और फिर भी परिवार में कोई न कोई हमेशा बीमार रहता हो, तो यह भूमि की अशुद्धता से जुड़ा माना जाता है। विशेष रूप से बार-बार सिरदर्द, कमजोरी, तनाव, अनिद्रा और मानसिक अस्थिरता भूमि दोष का परिणाम हो सकते हैं।


4. आर्थिक रुकावटें और कामों का बिगड़ना

घर के लोगों की मेहनत का परिणाम न मिलना, अचानक आर्थिक नुकसान, जॉब या व्यापार में बाधाएँ—ये सभी संकेत बताते हैं कि भूमि ऊर्जात्मक रूप से असंतुलित है।


भूमि दोष के प्रभावी उपाय

1. मिट्टी हटवाना (सबसे प्रभावी उपाय)

भूमि दोष को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है कि भूमि की ऊपरी सतह से डेढ़ से दो फीट मिट्टी हटाकर उसे घर से दूर फेंक दिया जाए।

यदि यह उपाय घर बनाने से पहले किया जाए तो परिणाम अत्यंत शुभ होते हैं।

घर बनने के बाद भी यदि यह प्रक्रिया संभव हो, तो इससे भूमि की नकारात्मक ऊर्जा कम होकर साफ और संतुलित होती है।


2. विश्वकर्मा पूजा

भूमि दोष कम करने के लिए हर साल विश्वकर्मा पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

यह पूजा घर की ऊर्जा को शुद्ध करती है।

निर्माण कार्य चल रहा हो या नई संपत्ति खरीदी गई हो, ऐसे समय में यह सबसे प्रभावी होती है।

इससे घर में सकारात्मकता, सुख-समृद्धि और प्रगति बढ़ती है।


3. भूमि शुद्धि के पारंपरिक उपाय

भूमि पूजन और नारियल स्थापना

वास्तु शुद्धि मंत्रों का जाप

पंचगव्य छिड़काव

गौमूत्र से शुद्धिकरण

तुलसी, श्वेत अपराजिता या अशोक जैसे पवित्र पौधों का रोपण

ये उपाय भूमि में सत्व ऊर्जा बढ़ाते हैं और उसके दोषों को कम करते हैं।