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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 22 Feb 2025 06:20:44 AM IST
Shivling Jalabhishek - फ़ोटो Shivling Jalabhishek
Shivling Jalabhishek: भगवान शिव, जिन्हें महादेव, भोलेनाथ और नीलकंठ के नाम से जाना जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) में संहारक के रूप में पूजे जाते हैं। शिवभक्तों के लिए जलाभिषेक एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसमें श्रद्धालु शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं। यह माना जाता है कि जलाभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
जलाभिषेक के प्रभावशाली मंत्र
पंडित अनंत झा के अनुसार, जलाभिषेक के समय कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से अत्यधिक लाभ मिलता है। इनमें दो प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं:
ॐ नमः शिवाय
यह शिव का पंचाक्षरी मंत्र है और सबसे प्रसिद्ध मंत्रों में से एक है।
इसका अर्थ है: "मैं शिव को नमन करता हूं।"
इस मंत्र के जाप से मन को शांति मिलती है और आत्मा शुद्ध होती है।
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
यह मंत्र मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाला माना जाता है।
इसके जाप से रोगों से मुक्ति मिलती है और आयु में वृद्धि होती है।
जलाभिषेक के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
भगवान शिव की पूजा में कुछ गलतियों से बचना चाहिए, ताकि वे नाराज न हों:
मुख की दिशा: जलाभिषेक करते समय मुख पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जल अर्पित करना अशुभ माना जाता है।
शुद्ध जल का प्रयोग: जलाभिषेक के लिए हमेशा स्वच्छ और पवित्र जल का ही प्रयोग करना चाहिए।
जल अर्पण की विधि: जल को धीरे-धीरे धारा के रूप में अर्पित करें, जल को छिड़कना या फेंकना अनुचित माना जाता है।
मन की शुद्धता: जलाभिषेक के समय मन को शुद्ध और शांत रखना चाहिए। किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचार नहीं आने चाहिए।
भगवान शिव की पूजा में जलाभिषेक का विशेष महत्व है। सही विधि और श्रद्धा से किए गए जलाभिषेक से व्यक्ति को मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक लाभ मिलता है। महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए सही दिशा, शुद्ध जल और पवित्र मन से जलाभिषेक करना आवश्यक है।