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Mahabharata: महाभारत का विचित्र योद्धा शिखंडी, एक स्त्री से पुरुष बनने की रहस्यमयी यात्रा

महाभारत में शिखंडी एक ऐसा योद्धा था, जिसकी कहानी न सिर्फ अद्वितीय है, बल्कि बहुत ही विचित्र भी है। द्रुपद के घर जन्मी इस व्यक्ति की असलियत और उसकी जन्मकथा से जुड़ी घटनाएं आज भी रहस्यमयी बनी हुई हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 04 Jan 2025 08:07:34 AM IST

Mahabharata

Mahabharata - फ़ोटो Mahabharata

Mahabharata: महाभारत में शिखंडी का नाम एक विचित्र और रहस्यमयी योद्धा के रूप में लिया जाता है, जिसकी कहानी सुनकर आज भी लोग हैरान रह जाते हैं। शिखंडी का जन्म राजा द्रुपद के घर हुआ था, जो एक शक्तिशाली राजा थे और द्रौपदी के पिता थे। शिखंडी का जन्म असल में एक लड़की के रूप में हुआ था, लेकिन आकाशवाणी के अनुसार उसे पुरुष की तरह पालने की सलाह दी गई थी। इस तरह शिखंडी को एक पुरुष के रूप में ही समाज में प्रस्तुत किया गया।


शिखंडी का पूर्व जन्म अंबा नाम की एक राजकुमारी के रूप में था, जो भीष्म पितामह से विवाह करना चाहती थी, लेकिन भीष्म ने उसे स्वीकार नहीं किया। अंबा के साथ हुए अपमान के बाद उसने शिव की तपस्या की और यह वरदान प्राप्त किया कि वह अगले जन्म में भीष्म को मारने का कारण बनेगी। उसी जन्म में शिखंडी ने द्रुपद के घर जन्म लिया और उनका उद्देश्य था भीष्म को मारना।


महाभारत युद्ध के दौरान शिखंडी ने भीष्म को युद्ध के लिए मजबूर किया, क्योंकि भीष्म ने स्त्री पर शस्त्र नहीं चलाने का प्रण लिया था। जब शिखंडी युद्ध में भीष्म के सामने आया, तो भीष्म ने अपने हथियार डाल दिए और इस दौरान अर्जुन ने शिखंडी के बाणों से भीष्म को घायल कर दिया, जिससे उनकी मृत्यु हुई।


लेकिन शिखंडी की जीवन की एक और विचित्र घटना थी। जब उसकी शादी हुई, तो उसकी पत्नी को उसकी असलियत का पता चला कि वह पहले लड़की थी। पत्नी ने इस रहस्य को जानने के बाद उसे छोड़ दिया, जिससे शिखंडी अंदर से हिल गया। इस घटनाक्रम ने उसकी जीवन यात्रा को और भी उलझा दिया।


शिखंडी को दुखी देखकर एक यक्ष ने उसे पुरुषत्व प्रदान किया, जिससे वह फिर पुरुष बनकर युद्ध में शामिल हुआ। अंत में महाभारत युद्ध के बाद शिखंडी की मृत्यु भी विचित्र तरीके से हुई। युद्ध के बाद, अश्वत्थामा ने शिखंडी को गहरी नींद में पाकर उसकी हत्या कर दी। शिखंडी का जीवन महाभारत का एक अनोखा अध्याय है, जो न केवल एक योद्धा के रूप में, बल्कि एक व्यक्ति के रूप में भी अपनी असल पहचान के संघर्ष का प्रतीक बना।