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Sawan 2025: भगवान शिव की आराधना का पर्व शुरू, नवविवाहिताएं निभाएंगी मधुश्रावणी की परंपरा

Sawan 2025: सावन 2025 का शुभारंभ आज से हो गया है। शिव भक्त रूद्राभिषेक, जलाभिषेक और पार्थिव पूजन के साथ भगवान शिव की आराधना में जुटे हैं। वहीं मिथिलांचल में नवविवाहिताएं मधुश्रावणी व्रत कर पति की दीर्घायु की कामना करेंगी।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 11 Jul 2025 07:22:51 AM IST

Sawan 2025

सावन का पावन महिना - फ़ोटो GOOGLE

Sawan 2025: भगवान शिव का प्रिय मास सावन शुक्रवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र एवं वैधृति योग में आरंभ हो रहा है, जो धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इस बार सावन माह में चार सोमवार पड़ रहे हैं, जो शिवभक्तों के लिए विशेष फलदायी रहेंगे। सावन माह का समापन 9 अगस्त, शनिवार को रक्षाबंधन के दिन होगा।


शहर के प्रमुख शिवालयों को रंगीन बल्बों, झालरों और फूलों से आकर्षक रूप से सजाया गया है। आज से मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। श्रद्धालु अपने आराध्य भगवान महादेव को जल अर्पण कर रूद्राभिषेक, पार्थिव पूजन, एवं विशेष अनुष्ठानों में भाग लेंगे।


सावन के सोमवार

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा के अनुसार, पंचांग के अनुसार सावन मास का आरंभ इस बार विशेष शिववास योग में हो रहा है। इस बार चार सोमवार निम्नलिखित तिथियों को होंगे:


पहली सोमवारी – 14 जुलाई

दूसरी सोमवारी – 21 जुलाई

तीसरी सोमवारी – 28 जुलाई

चौथी व अंतिम सोमवारी – 4 अगस्त


नवविवाहिता करेंगी मधुश्रावणी व्रत

मिथिलांचल क्षेत्र में नवविवाहिताएं सावन मास में मधुश्रावणी व्रत करेंगी, जो 15 जुलाई (मंगलवार) से प्रारंभ होकर 15 दिनों तक चलेगा। इस पूजा में महिलाएं माता गौरी, भगवान शिव और विषहरी नागिन की विधिवत पूजा करती हैं, अपने पति की दीर्घायु और पारिवारिक सुख-शांति के लिए। इस अनुष्ठान के प्रथम और अंतिम दिन विशेष विधिविधान के साथ पूजन होता है।


नंदी का पूजन है जरूरी

श्रावण मास में भगवान शिव एवं माता पार्वती के पूजन के उपरांत नंदी महाराज की पूजा आवश्यक मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि अपनी मनोकामनाओं को नंदी के कान में कहने से वे शीघ्र पूर्ण होती हैं। नंदी शिव के परम भक्त और उनके वाहन हैं।


श्रद्धालु भगवान शिव का अभिषेक गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत, गन्ना रस, अनार रस आदि से करते हैं। इसके बाद वस्त्र, यज्ञोपवीत, चंदन, भस्म, बेलपत्र, धतूरा, भांग, फूलमाला, गुलाल आदि से शिवलिंग का श्रृंगार होता है। मिट्टी के शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा के बाद विसर्जन करने की परंपरा भी निभाई जाती है। इससे प्रकृति पूजन का भाव भी जुड़ता है।


पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर में रूद्राभिषेक को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह है। अब तक 1280 बुकिंग हो चुकी हैं। पहली सोमवारी के लिए 44 बुकिंग पहले ही हो चुकी है।


रूद्राभिषेक का समय – सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक

सोमवारी को शुल्क – ₹2750

अन्य दिनों के लिए शुल्क – ₹2310

महामृत्युंजय जाप – ₹330 प्रति 1000 जाप

पंडित राम मिलन ने बताया कि भक्तों को रूद्राभिषेक के लिए पूजन सामग्री बाहर से लाने की आवश्यकता नहीं है। मंदिर प्रबंधन द्वारा सभी सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है।


तीन शिवलिंगों पर होगा रूद्राभिषेक

महावीर मंदिर में तीन प्रमुख शिवलिंग हैं

प्राचीन शिवलिंग (नीचे)

शीशाबंद शिवलिंग (ऊपर)

हनुमानजी के बगल में स्थित शिवलिंग (मध्य में)


इन तीनों शिवलिंगों पर रूद्राभिषेक कराया जाएगा। हनुमानजी के समीप स्थित शिवलिंग पर दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे तक विशेष पूजन होगा।


बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद एवं महावीर मंदिर न्यास समिति के सदस्य सायन कुणाल ने जानकारी दी कि श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंदिर की ऊपरी मंजिल पर एक नया शिवलिंग स्थापित किया जा रहा है, जहां रूद्राभिषेक की अलग व्यवस्था होगी। भीड़ को सुव्यवस्थित रूप से नियंत्रित करने के लिए फूल, प्रसाद और पूजन सामग्री के लिए अलग काउंटर बनाए गए हैं। दक्षिण भारत के विद्वान आचार्यों द्वारा रूद्राभिषेक संपन्न कराया जाएगा।