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Mahashivratri: क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि, जानें इसका महत्व

हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्त्व है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पावन विवाह का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भक्तगण उपवास रखते हैं, शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं और भोलेनाथ की आराधना कर मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं।

Mahashivratri

Mahashivratri: हिंदू धर्म में साल भर धार्मिक पर्व मनाए जाते हैं, जिन्हें विधि-विधान से संपन्न करने पर चमत्कारी लाभ होते हैं। इनमें महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। इस दिन शिव आराधना, व्रत, पूजा और स्तोत्र पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है।


महाशिवरात्रि का महत्व

हरिद्वार के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री के अनुसार, महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। महाशिवरात्रि का शाब्दिक अर्थ 'महान रात्रि' है, जिसमें भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल यानी रात्रि में की जाती है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।


भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। माता पार्वती ने शिवजी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों तक कठिन तपस्या की थी। अंततः फाल्गुन मास की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव ने पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। इसलिए इस दिन व्रत और पूजन करने से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


शिवलिंग प्राकट्य का दिन

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने स्वयं को पहली बार शिवलिंग के रूप में प्रकट किया था। शिवलिंग को जल, दूध, शहद, तिल, जौ और बेलपत्र से अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।


महाशिवरात्रि और जलाभिषेक का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने सृष्टि के कल्याण हेतु समुद्र मंथन से निकले विष (कालकूट) का पान किया था। इस विष को ग्रहण करने के बाद उनका तापमान अत्यधिक बढ़ गया था, जिसके शीतलन के लिए देवताओं ने उन पर जल डाला। तभी से शिवलिंग पर जलाभिषेक करने की परंपरा चली आ रही है।


महाशिवरात्रि पर पूजा विधि

स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, बेलपत्र, तिल और जौ अर्पित करें।

ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।

रात्रि जागरण कर शिव पुराण का पाठ करें।

व्रत का पालन करें और ब्राह्मणों को दान दें।


महाशिवरात्रि का चमत्कारी लाभ

भगवान शिव की कृपा से सभी कष्टों का निवारण होता है।

कुंवारी कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है।

गृहस्थ जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

महाशिवरात्रि भगवान शिव की कृपा पाने का सबसे उत्तम अवसर है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति से भोलेनाथ की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।