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Mahashivratri 2025: सनातन धर्म में फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। यह पावन दिन भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। इस अवसर पर भक्तगण व्रत, पूजा-अर्चना और रुद्राभिषेक कर भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं। मान्यता है कि इस दिन शिव जी की आराधना करने से हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि आती है।
महाशिवरात्रि 2025 कब है?
तिथि प्रारंभ: 26 फरवरी 2025, बुधवार
पूजा का उत्तम मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त एवं निशीथ काल
व्रत पारण: अगले दिन, 27 फरवरी 2025
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
गंगाजल से घर को शुद्ध करें और पूजा स्थल तैयार करें।
भगवान शिव का गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और चीनी से अभिषेक करें।
बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल और फल अर्पित करें।
"ॐ नमः शिवाय" और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
शिव चालीसा का पाठ करें और शिव आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
पूजा के दौरान तीन बार ताली बजाएं और भगवान शिव से मनोकामना करें।
शिव पूजा में ताली बजाने का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव की पूजा के दौरान तीन बार ताली बजाने की परंपरा है। यह परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है, जब रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तीन बार ताली बजाई थी। इसके पीछे तीन मुख्य कारण बताए जाते हैं—
पहली ताली - भगवान शिव की उपस्थिति का आह्वान करने के लिए।
दूसरी ताली - अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए।
तीसरी ताली - भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए।
इस प्रकार, ताली बजाकर शिव पूजा का समापन किया जाता है।
महाशिवरात्रि और फाल्गुन अमावस्या का संबंध
महाशिवरात्रि के अगले दिन फाल्गुन अमावस्या होती है, जिसे पितरों की शांति के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य और शिव उपासना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि 2025 का यह शुभ अवसर शिव भक्ति और आत्मशुद्धि का पर्व है। इस दिन श्रद्धा और विधि-विधान से शिव पूजन करने से सभी कष्टों से मुक्ति, सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पूजा के दौरान तीन बार ताली बजाने की परंपरा भगवान शिव के प्रति संपूर्ण समर्पण और आशीर्वाद प्राप्ति का प्रतीक है। इस विशेष दिन पर शिवजी की कृपा पाने के लिए पूरे भक्ति भाव से उनका पूजन अवश्य करें।