1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 06 Mar 2025 02:29:52 PM IST
तेजस्वी यादव की फाइल तस्वीर - फ़ोटो Google
Bihar politics: बिहार विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बाकी हैं, ऐसे में चुनावी माहौल गर्म होता जा रहा है। सभी दल अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए रणनीति बना रहे हैं। लालू यादव ने पहले ही दावा कर दिया है कि अगले मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव होंगे। हालांकि, बिहार की जनता अब पहले से ज्यादा जागरूक हो चुकी है, खासकर महिलाएं। वे यह समझने लगी हैं कि कौन-सी सरकार वास्तव में उनके लिए काम कर रही है और कौन केवल वादे कर रही है।
महिलाओं के लिए ‘माई-बहिन मान योजना’
देश की आधी आबादी महिलाएं हैं, और अब वे चुनावों में सक्रिय रूप से भाग लेने लगी हैं। बिहार में भी पिछले एक दशक में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। माइग्रेशन के कारण कई पुरुष वोटर चुनाव के समय बिहार में मौजूद नहीं रहते, जिससे महिला वोटरों की भागीदारी अधिक हो जाती है। इसी कारण राजनीतिक दल अब महिलाओं को लुभाने के लिए आकर्षक वादे कर रहे हैं।
राजद (RJD) ने अपनी ‘माई-बहिन मान योजना’ के तहत बिहार की महिलाओं को 2,500 रुपये प्रति माह देने की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या तेजस्वी यादव इस योजना के जरिए महिला वोटरों को अपने पक्ष में करने में सफल हो पाएंगे या फिर महिलाएं नीतीश कुमार पर ही भरोसा बनाए रखेंगी।
युवाओं को साधने की रणनीति
महिलाओं के साथ-साथ राजद ने युवा वोटरों को भी अपने पक्ष में लाने के लिए रणनीति बना ली है। तेजस्वी यादव रोजगार और नौकरी के मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर पहले ही युवाओं के बीच लोकप्रिय हो चुके हैं। इस बार उन्होंने 100% डोमिसाइल नीति लागू करने का भी वादा किया है। बुधवार को ‘युवा चौपाल’ कार्यक्रम में उन्होंने इस बात को दोहराया।अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बिहार के युवा तेजस्वी यादव के वादों पर भरोसा करेंगे या नहीं।
महिलाओं पर मेहरबान क्यों हैं तेजस्वी?
राजद की ‘माई-बहिन मान योजना’ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ‘मैया सम्मान योजना’ से प्रेरित लगती है। झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार ने महिलाओं को 2,500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया था, जिसका असर चुनावों में साफ दिखा और इसका लाभ भी हेमंत सोरेन को मिला।
अब बिहार में भी राजद ने इसी तरह की योजना की घोषणा कर दी है। सवाल यह है कि क्या तेजस्वी यादव को भी हेमंत सोरेन की तरह इसका फायदा मिलेगा या बिहार की महिलाएं किसी और विकल्प को प्राथमिकता देंगी?