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Rangbhari Ekadashi 2025: रंगभरी एकादशी 2025 की डेट, मुहूर्त और धार्मिक महत्व

फाल्गुन माह में रंगों और उल्लास का विशेष महत्व होता है। होली से पहले आने वाली रंगभरी एकादशी, जिसे आमलकी एकादशी भी कहा जाता है, भगवान विष्णु और शिव-पार्वती की पूजा के लिए समर्पित होती है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 26 Feb 2025 08:00:04 AM IST

Rangbhari Ekadashi 2025

Rangbhari Ekadashi 2025 - फ़ोटो Rangbhari Ekadashi 2025

Rangbhari Ekadashi 2025: फाल्गुन माह में रंगों और उल्लास का विशेष महत्व होता है। होली से पहले आने वाली रंगभरी एकादशी, जिसे आमलकी एकादशी भी कहा जाता है, भगवान विष्णु और शिव-पार्वती की पूजा के लिए समर्पित होती है। इस दिन भक्तजन विशेष रूप से बाबा विश्वनाथ के मंदिर में श्रद्धा भाव से रंग-गुलाल अर्पित करते हैं और पर्व की खुशियां मनाते हैं।


रंगभरी एकादशी 2025 कब है?

रंगभरी एकादशी 10 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। यह महाशिवरात्रि और होली के बीच आने वाली एकादशी है, जिससे इसका विशेष महत्व बढ़ जाता है। इस दिन बाबा विश्वनाथ का भव्य श्रृंगार किया जाता है और वाराणसी में होली का पर्वकाल आरंभ हो जाता है।


रंगभरी एकादशी 2025: तिथि एवं शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि आरंभ: 9 मार्च 2025 को प्रातः 07:45 बजे

एकादशी तिथि समाप्त: 10 मार्च 2025 को प्रातः 07:44 बजे

पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातः 09:34 बजे से प्रातः 11:03 बजे तक

व्रत पारण (उपवास तोड़ने का समय): 11 मार्च 2025 को प्रातः 06:35 बजे से प्रातः 08:13 बजे तक


रंगभरी एकादशी का धार्मिक महत्व

रंगभरी एकादशी का विशेष उत्सव वाराणसी में धूमधाम से मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती से विवाह के पश्चात पहली बार काशी पधारे थे। इस पावन अवसर पर भक्तजन भगवान शिव पर रंग, अबीर और गुलाल अर्पित करते हैं। इसी दिन से काशी में होली खेलने की शुरुआत होती है, जो अगले छह दिनों तक चलती है। ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी पर भगवान शिव पर गुलाल अर्पित करने से सांसारिक जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।


रंगभरी एकादशी पर आंवले की पूजा का महत्व

इस एकादशी पर आंवले के वृक्ष की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, आंवले का संबंध भगवान विष्णु से है और इसे उत्तम स्वास्थ्य और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भक्त आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर कथा श्रवण करते हैं और उसकी पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि इस दिन मंदिर में आंवले का वृक्ष लगाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।


रंगभरी एकादशी व्रत का महत्व

रंगभरी एकादशी का व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव-पार्वती की भक्ति से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जो भक्त श्रद्धा भाव से इस व्रत का पालन करते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।


रंगभरी एकादशी की पूजन विधि

प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

भगवान विष्णु और शिव-पार्वती का पूजन करें।

आंवले के वृक्ष की पूजा करें और कथा श्रवण करें।

भगवान शिव पर गुलाल और पुष्प अर्पित करें।

दिनभर व्रत रखें और भक्ति भाव से भगवान की आराधना करें।

अगले दिन व्रत का पारण करें और जरूरतमंदों को दान दें।


रंगभरी एकादशी 2025, आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। वाराणसी में इस अवसर पर भव्य आयोजन होते हैं और शिव भक्त रंग-गुलाल उड़ाकर भगवान शिव का स्वागत करते हैं। इस पावन दिन पर व्रत और पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।