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08-Jan-2025 03:24 PM
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bihar politics : जब नीतीश कुमार ने पाला बदलकर एक बार फिर से बिहार में एनडीए की सरकार बनाई तब महागठबंधन खेमे के 7 विधायकों ने पाला बदल लिया था। आरजेडी और कांग्रेस के पाला बदलने वाले इन विधायकों की सदस्यता कब रद्द होगी इसपर चर्चा एक बार फिर से शुरू हो गई है।इस बीच आज महागठबधनं के तरफ से इन विधायकों की सदस्यता रद्द करवाने को लेकर स्पीकर को ज्ञापन सौंपा है।
दरअसल, महागठबंधन का शीर्ष मंडल आज पाला बदलने वाले विधायकों के मुद्दों को लेकर विधानसभा पहुंचे। इनलोगों ने विधानसभा के स्पीकर से मिलकर राजद के चार और कांग्रेस के दो विधायकों के सदस्य्ता रद्द करने को लेकर ज्ञापन सौंपा। इनलोगों ने विहिप का उलंधन करने के मामले में सदस्य्ता रद्द करने की मांग की है। इसके साथ ही इन्होंने अपने ज्ञापन में दल-बदल कानून के नियमों का भी हवाला दिया है।
इसके आगे इनलोगों ने विधानसभा स्पीकर ने यह निवेदन किया है कि पाला बदलने वाले विधायकों की सदस्य्ता अगले विधानसभा सत्र से पहले रद्द कर दी जाए। इसके पीछे की वजह नियमों का उलंधन करना बताया है। जानकारी हो कि महागठबंधन के सात विधायकों ने दल बदल कानून का उल्लंघन कर नीतीश कुमार को बहुमत साबित करने में मदद की थी। इनमें राजद के पांच और कांग्रेस के दो विधायक शामिल थे। राजद से सूर्यगढ़ा के विधायक प्रह्लाद यादव, मोकामा से आरजेडी विधायक नीलम देवी, शिवहर से चेतन आनंद और भभुआ विधायक भारत बिंद और कांग्रेस के बिक्रम विधायक सिद्धार्थ सौरव और कांग्रेस के ही चेनारी से विधायक मुरारी गौतम भी शामिल थे।
मालूम हो क, दलबदल विरोधी कानून या भारतीय संविधान का 52वां संशोधन एक संवैधानिक संशोधन है जो संसद में राजनेताओं की पार्टी बदलने की क्षमता को सीमित करता है। निर्वाचित विधायकों और सांसदों को पार्टी बदलने से रोकने के लिए संविधान में संशोधन किया गया था। अनुच्छेद 2.2 में कहा गया है कि कोई भी सदस्य, एक निश्चित राजनीतिक दल के प्रतिनिधि के रूप में चुने जाने के बाद, यदि वह चुनाव के बाद किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है, तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। अब इसी नियम के तहत राजद इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग कर रहा है।