BETTIAH: बेतिया के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व जंगल से भटक कर रियायशी इलाके में पहुंचा बाघ जंगल के तरफ लौट चुका हैं। बाघ ने 24 दिन में 125 किलोमीटर की दूरी तय की हैं। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल को पार कर फिलहाल नेपाल के पर्सा नेशनल पार्क के जंगल को इस बाघ ने अपना ठिकाना बना लिया है। बाघ ने 24 दिन में 125 KM की यात्रा कर देश की सीमा को पार किया है।
वीटीआर के मानपुर वन प्रक्षेत्र से बीते 13 जुलाई को भटका बाघ बिरहा नदी के रास्ते मैनाटांड, चनपटिया के पुरैना आदि कई गांवों में चहलकदमी मचाने के बाद पर्सा नेशनल पार्क में पहुंच गया है। वन विभाग की विशेष टीम रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही थी। इस बाघ का पीछा करते हुए वनकर्मियों की टीम परसा जंगल तक पहुंची। फिलहाल वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के अधिकारी नेपाल के चितवन नेशनल पार्क अथॉरिटी के साथ वार्ता कर रही है।
वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के डीएफओ-1 प्रद्युमन गौरव ने बताया की वीटीआर के जंगल से नए इलाके की तलाश में भटका नर बाघ 24 दिनों में 125 किलोमीटर की दूरी तय कर नेपाल के परसा नेशनल पार्क में प्रवेश किया है. लेकिन, इस दौरान बाघ ने मानव एवं पालतू पशुओं को कोई क्षति नहीं पहुंचाया है. जिससे स्पष्ट होता है कि बाघ हिंसक नहीं है. वह छेड़छाड़ एवं अत्यधिक शोरगुल से त्रस्त होकर प्रतिक्रिया देता है.
डीएफओ-1 ने बताया है कि मानपुर वन क्षेत्र के परिसर से भटका बाघ बिरहा नदी के रास्ते मैनाटांड़ अंचल होते हुए चनपटिया के पुरैना, कर्णपट्टी आदि गांवों में विचरण किया था. वीटीआर की 15 सदस्यीय ट्रैकिंग टीम बाघ के ट्रैकिंग एवं अनुश्रवण तथा उसके जंगल की ओर मोड़ने के लिए कार्य में जुटा था. जिसके फलस्वरुप बाघ जंगल में प्रवेश किया है।
वहीं उन्होंने कहा कि ट्रैकिंग में जुटे वन कर्मियों का कार्य बेहद ही सराहनीय रहा है. उन्हें वीटीआर प्रशासन की ओर से पुरस्कृत किया जाएगा. ईधर, वीटीआर प्रशासन ने ट्रैकिंग में जुटे वन कर्मियों, स्थानीय पुलिस प्रशासन एवं आम जनता को धन्यवाद दिया है. बता दें की मानपुर वन क्षेत्र के परिसर से भटका बाघ बिरहा नदी के रास्ते मैनाटांड़, चनपटिया के पुरैना समेत कई गांवों में घूमता हुआ देखा गया था. जिसे लेकर लोगों मे डर बना हुआ था।
बेतिया से संतोष कुमार की रिपोर्ट