DESK : वैशाख मास की पूर्णिमा को भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, इस उपलक्ष में बुद्ध पूर्णिमा मनाया जाता है. बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध अनुयायियों के साथ साथ हिन्दुओं के लिए भी बहुत खास होता है. हिन्दू धर्म में गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का नवां अवतार माना गया है.
ऐसी मान्यता है कि आज ही के दिन वर्षों वन में भटकने व कठोर तपस्या करने के पश्चात बोधगया, बिहार में बोधिवृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध को सत्य का ज्ञान हुआ था. इस घटना के बाद महात्मा बुद्ध ने अपने ज्ञान के प्रकाश से पूरी दुनिया में एक नई रोशनी पैदा की और वैशाख पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ. भगवान के जीवन की सारी प्रमुख घटना आज ही के दिन घटित हुई थी. इसलिए भी आज के दिन की विशेषता बढ़ जाती है.
आज के दिन पवित्र नदी सरोवर में स्नान कर व्रत और दान का विशेष महत्त्व है. हालांकि इस बार देश में फैली कोरोना महामारी के कारण लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर एकत्र होने पर रोक है, ऐसे में आप घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल डाल कर स्नान कर सकते हैं.
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा रही है. आज के दिन जो भी व्रत रहता है और भगवान विष्णु की आराधना करता है, उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है. भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. कहा जाता है उस व्यक्ति को बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त होता है.
बुद्ध पूर्णिमा के दिन कैसे करें पूजा
- घर के मंदिर में विष्णु जी के सामने दीपक जलाकर पूजा करें.
-घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और गंगाजल छिड़कें.
-पीपल के वृक्ष को बोधिवृक्ष मन कर उसके आस-पास दीपक जलाएं और उसकी जड़ों में दूध विसर्जित कर फूल चढ़ाएं.
-गरीबों को भोजन और कपड़े दान करें.
-शाम ढलने के बाद उगते चंद्रमा को जल अर्पित करें.