कुशवाहा बोले.. जातीय जनगणना की मांग से पीछे नहीं हटेंगे, मैं इस्लाम कबूल करना चाहूंगा तो कौन रोकेगा

कुशवाहा बोले.. जातीय जनगणना की मांग से पीछे नहीं हटेंगे, मैं इस्लाम कबूल करना चाहूंगा तो कौन रोकेगा

BUXAR : जातीय जनगणना के मसले पर बीजेपी और जेडीयू के बीच लगातार सियासी बयानबाजी आगे बढ़ रही है. नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना को लेकर शनिवार को पार्टी का स्टैंड साफ किया था और अब जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सीधे-सीधे बीजेपी को चुनौती दे डाली है. कुशवाहा ने कहा है कि जातीय जनगणना हमारी पार्टी की पुरानी मांग है और हम किसी भी कीमत पर इससे पीछे नहीं हटेंगे.


उपेंद्र कुशवाहा बक्सर दौरे पर पहुंचे थे, यहां पर मीडिया ने उनसे सवाल किया कि बीजेपी जातीय जनगणना नहीं चाहती ऐसे में जेडीयू क्या करेगा. कुशवाहा ने कहा जेडीयू और बीजेपी दोनों अलग-अलग पार्टी है. हमारी नीति सिद्धांत अलग है हम जातीय जनगणना के पक्षधर हैं. 


इतना ही नहीं धर्म परिवर्तन के मसले पर भी उपेंद्र कुशवाहा ने बड़ा बयान दिया है. कुशवाहा ने कहा है कि अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन को कोई रोक नहीं सकता. यह संवैधानिक अधिकार है. अगर आज मैं इस्लाम धर्म कबूल करना चाहूंगा तो मुझे कौन रोक सकता है. कुशवाहा ने कहा कि धर्म परिवर्तन दबाव में नहीं होना चाहिए. लेकिन अगर कोई अपेक्षा से धर्म परिवर्तन कर रहा है. तो इसे कोई भी रोक नहीं सकता. कुशवाहा का यह बयान भी बीजेपी को रास नहीं आने वाला. दरअसल जनगणना के मसले पर बीजेपी पहले ही जातीय आधार को खारिज कर चुकी है. वहीं धर्म परिवर्तन के मसले पर बीजेपी की राय अलग है.


जातीय जनगणना को लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने आगे कहा कि इसे लेकर कई बार अलग-अलग राज्यों में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से कहा है कि अगर आप पिछड़ों के लिए कोई योजना बनाते हैं. लेकिन उनकी संख्या कितनी है, ये बताइये. उस तरीके से जनगणना ही नहीं है. इसलिए सरकार बता नहीं पाती है. साल 1931 के बाद आज तक जातीय जनगणना हुई ही नहीं है. 


गौरतलब हो कि बीते दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा था कि कम से कम एक बार जातीय जनगणना जरूर होनी चाहिए. नीतीश ने ट्वीट कर भी लिखा था कि "हम लोगों का मानना है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए. बिहार विधान मंडल ने दिनांक-18.02.19 और पुनः बिहार विधान सभा ने दिनांक-27.02.20 को सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव पारित किया था. इसेे केन्द्र सरकार को भेजा गया था. केन्द्र सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए."