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उपचुनाव में झटका खाने के बाद कांग्रेस फिर RJD के सहारे, इस बार तेजस्वी की चलेगी

1st Bihar Published by: Updated Mon, 10 Jan 2022 10:47:59 AM IST

उपचुनाव में झटका खाने के बाद कांग्रेस फिर RJD के सहारे, इस बार तेजस्वी की चलेगी

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PATNA : बिहार में चर्चा भले ही कोरोना की तीसरी लहर की हो रही हो, लेकिन विधान परिषद के आगामी चुनाव में सियासी सरगर्मी को बढ़ा रखा है. एक तरफ पूरे देश की नजर जहां उत्तर प्रदेश समेत अन्य विधानसभा चुनावों पर हैं तो वहीं बिहार में सबकी नजर स्थानीय कोटे से होने वाले विधान परिषद की 24 सीटों के चुनाव पर जा टिकी है. 


बात एनडीए की करें या फिर महागठबंधन की दोनों में से किसी भी गठबंधन के अंदर अब तक के सीटों के तालमेल पर अंतिम मुहर नहीं लग पाई है. हालांकि अंदर ही अंदर उम्मीदवारों को सजाए जाने और फिर सीटों पर दावेदारी का खेल शुरू हो चुका है. एनडीए गठबंधन में बातचीत जारी है तो वहीं महागठबंधन के अंदर एक बार फिर कांग्रेस की एंट्री होती नजर आ रही है. बीते विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस और आरजेडी आमने-सामने आ खड़े हुए थे. लेकिन अब एक बार फिर कांग्रेस से लालटेन के सहारे ही अपना हाथ मजबूत करने की कोशिश में है.


दरअसल, स्थानीय निकाय से जिनमें 24 सीटों पर विधान परिषद के लिए चुनाव होना है. उसमें सबसे बड़ा दावा महागठबंधन के अंदर आरजेडी के पास है. आरजेडी लगभग 18 से 20 सीटों पर अपना उम्मीदवार देने का मन बना चुकी है. रही बात अन्य घटक दलों की तो भाजपा के लिए पार्टी ने एक सीट छोड़ने का मन बनाया है. सूत्रों की मानें तो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के लिए भागलपुर सह बांका की विधान परिषद सीट आरजेडी छोड़ सकता है. इस सीट पर संजय यादव चुनाव लड़ सकते हैं.


फिलहाल यह तय नहीं हो पाया है कि आयुर्वेदिक कांग्रेस के लिए कितनी सीटें छोड़ने को तैयार है. लेकिन बीते विधान परिषद चुनाव को देखें तो कांग्रेस ने महागठबंधन के तहत 4 सीट मिली थी. इनमें से एक सीट उसने अपने कोटे से एनसीपी को दी थी. कांग्रेस की सीटों की संख्या कितनी बढ़ पाएगी यह कहना फिलहाल मुश्किल है. लेकिन कांग्रेस के नेता यह जरूर चाहेंगे कि सीटों की संख्या थोड़ी बढ़ जाए. माना जा रहा है कि कांग्रेस से पांच से छह सीटों पर अपना दावा कर सकती है.लेकिन तेजस्वी यादव अपनी शर्तों पर गठबंधन के घटक दलों के साथ बटवारा चाहते हैं. दरअसल बीते विधानसभा चुनाव का अनुभव तेजस्वी नहीं भूले हैं. कांग्रेस को 70 सीटें देने का खामियाजा नेता प्रतिपक्ष भुगत चुके हैं, और विधानसभा उपचुनाव में भी इसी वजह से उन्होंने कांग्रेस की बात नहीं मानी थी. विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस चौथे नंबर पर चली गई थी. इसके कारण उसका दावा पहले से ज्यादा कमजोर हुआ है. अब देखना होगा कि सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन में किसकी चलती है. कांग्रेस से झुकती है या फिर विधानसभा उपचुनाव की तरह अकेले मैदान में उतरती है.